45.6 डिग्री तापमान में रेत से स्नान
यमुना प्रेमियों ने यमुना की दुर्दशा पर किया ध्यान आकृष्ट नदी पर बैराज बनाने व राष्ट्रीय नदी नीति घोषित करने की मांग
आगरा,जागरण संवाददाता। 45.6 डिग्री पर पहुंचा पारा। आसमान से आग बरसाता सूरज और लू के थपेड़ों से झुलसते बदन। ऐसे माहौल में यमुना प्रेमियों ने नदी की दुर्दशा की ओर ध्यान आकृष्ट करने को रेत से स्नान किया। सूखी यमुना की दशा में सुधार को कोरे वादों और घोषणाओं के बीच बढ़ते प्रदूषण के खिलाफ सरकारी बेरुखी पर आक्रोश जताया गया।
एत्माद्दौला व्यू प्वॉइंट पर रिवर कनेक्ट कैंपेन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में नदी की तलहटी से निकाली गई बालू के ढेर लगाए गए थे। सदस्यों ने एक-दूसरे पर रेत डालकर स्नान किया। यमुना किनारा मार्ग से गुजरते राहगीर इसे अचरज से देखते नजर आए। रिवर कनेक्ट कैंपेन के ब्रज खंडेलवाल ने बताया कि गंगा दशहरा आने को है। यमुना में पानी नहीं है। भक्तों को रेत से ही नहाना होगा। नदी का जल स्तर निरंतर गिर रहा है और यहां बैराज अब तक नहीं बना सका है। मेट्रो रेल को प्राथमिकता दी जा रही है, लेकिन आगरा की जीवन रेखा को बचाने के कोई प्रयास नहीं हो रहे हैं। राष्ट्रीय नदी नीति घोषित करने की मांग की गई। शशिकांत उपाध्याय, नंदन श्रोत्रिय, जुगल किशोर, राहुल राज, दीपक राजपूत, संतोष गौतम, चतुर्भुज तिवारी, जितेंद्र यादव, पद्मिनी, ज्योति खंडेलवाल, पूर्व विधायक सतीशचंद्र गुप्ता, रंजन शर्मा आदि मौजूद रहे। नदी नहीं नाले में बदल चुकी है यमुना
यमुना अब नदी नहीं रही, वो नाले में तब्दील हो चुकी है। उसमें पानी के नाम पर नालों का दूषित जल और सीवरेज बह रहा है। उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) द्वारा जारी की गई वर्ष 2018 की रिपोर्ट में उप्र में यमुना सबसे अधिक आगरा में प्रदूषित पाई गई थी।