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वो कौन सा शहर है जिसके समोसे, बेड़ई और गोलगप्पे बेहद पसंद रहे अटल जी को

स्वागत से भाव विभोर अटल जी ने मंच से कहा कि आगरा के लोग तो फूलों से ही घायल कर देते हैं। इसके बाद उनसे जब भी आगरा के लोग मिले, उन्होंने फूलों से घायल करने का जिक्र जरूर किया।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Mon, 25 Dec 2017 02:11 PM (IST)Updated: Tue, 26 Dec 2017 10:48 AM (IST)
वो कौन सा शहर है जिसके समोसे, बेड़ई और गोलगप्पे बेहद पसंद रहे अटल जी को
वो कौन सा शहर है जिसके समोसे, बेड़ई और गोलगप्पे बेहद पसंद रहे अटल जी को

आगरा [संजय रुस्तगी]। ताजनगरी आगरा में जब भी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की बात होती है तो प्रतापपुरा के समोसे, हरीपर्वत के गोलगप्पे और बेलनगंज में रामगुरू की बेड़ई भी चर्चा में आ जाती है। अटल बिहारी जी जब भी आगरा आए, इनका स्वाद जरूर लिया। देश के पूर्व प्रधानमंत्री तो यहां के गली-मोहल्लों से रूबरू रहे ही हैं, यहां का आम आदमी आज भी उनसे सीधा लगाव रखता है। 

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आगरा से अटल बिहारी जी का सीधा सियासी जुड़ाव तो नहीं रहा, लेकिन जिले के बटेश्वर गांव के निवासी होने और आगरा में बहन के घर अक्सर आने-जाने से वह शहर की रीति-नीति, रहन-सहन व खान-पान से भलीभांति वाकिफ रहे हैं। अटल जी के करीबियों में से एक भाजपा नेता पुरुषोत्तम खंडेलवाल बताते हैं लंबे अरसे से अटल जी का शहर आना नहीं हुआ है, लेकिन जब भी वह यहां आए, नाश्ते में हमेशा उन्होंने तेल की बेड़ई खाना पसंद की। 

उनकी सहृदयता ही रही कि वह खुद ही ये कहकर समोसे खाने की इच्छा व्यक्त करते 'भैय्या समोसे को खिलवा दो'। प्रतापपुरा के समोसे उनकी पसंद रही। वह यहां से पार्टी नेताओं व साहित्यकारों से सीधे नाम व चेहरे से पहचानते रहे हैं। 

आगरा के लोग फूलों से कर देते हैं घायल

आगरा में वर्ष 1988 में भाजपा का राष्ट्रीय अधिवेशन हुआ था। इसमें शामिल होने तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी व अटल जी भी आए। शहर में निकाले गए दोनों के स्वागत जुलूस में जमकर पुष्पवर्षा की गई। स्वागत से भाव विभोर अटल जी ने मंच से कहा कि आगरा के लोग तो फूलों से ही घायल कर देते हैं। इसके बाद उनसे जब भी आगरा के लोग मिले, उन्होंने फूलों से घायल करने का जिक्र जरूर किया। 

खुद पहुंच गए एम्स में भर्ती कराने 

शहर के भाजपा नेता सुभाष भिलावली के 1984-85 में परिवार के लोग अस्वस्थ थे। उन्हें एम्स ले जाना पड़ा। उनके भर्ती करने में दिक्कत आने की जानकारी जब अटल जी को हुई तो वह खुद ही एम्स पहुंच गए और उन्हें भर्ती कराया। 

ताजमहल पर लिखी पहली कविता 

अटल जी का आगरा के प्रति लगाव ही था कि उन्होंने अपनी पहली कविता ताजमहल पर ही लिखा। उन्होंने शहर के वरिष्ठ साहित्यकार प्रणवीर चौहान को 1964 में लिखे पत्र में इसका जिक्र करते हुए बताया कि उन्हें पूरी कविता तो याद नहीं, लेकिन उसकी दो पक्तियां यह थीं। 

जब रोया हिंदुस्तान सकल 

तब बन पाया यह ताजमहल 

प्रणवीर चौहान अटल बिहारी वाजपेयी की यादों को ताजा करते हुए बताते हैं अक्सर उनसे पत्र व्यवहार चलता रहता था। एक पत्र में उन्होंने ताजमहल पर लिखी कविता का जिक्र करते हुए बताया था कि उस वक्त वह नवीं कक्षा में पढ़ते थे। जब भी वह शहर के फुलट्टी में जनसभा करते थे, वह उन्हें जरूर सुनने जाते थे। एक बार वह पार्लियामेंट गए थे। वहीं अटल जी से मुलाकात हो गई। उनके प्रयासों से ही पार्लियामेंट की कार्रवाई देखने का मौका मिला। 

प्लेन हाई जैक करने वाले से मिलने पहुंचे लोगों के प्रति बेहद संवेदनशील अटल

अटल जी के बेहद करीबी रहे लखनऊ के पूर्व सांसद लालजी टंडन के पास उसने जुड़ी बातों का बड़ा भंडार है। लालजी टंडन ने कहा कि मुझे एक आदमी भी ऐसा नहीं मिला जिसने यह कहा हो कि मैं अटल जी के पास गया और उनसे मिल नहीं सका। वह लोगों से मुलाकात के प्रति कितने संवेदनशील थे इसका एक दिलचस्प उदाहरण लखनऊ में देखने को मिलता है। देश में राम जन्मभूमि आंदोलन का दौर चल रहा था और अटल जी लखनऊ के सांसद हुआ करते थे। प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा था। लखनऊ में एक प्रवास के आखिरी रोज अटल जी मीराबाई रोड के गेस्ट हाउस में बैठे रात का खाना खा रहे थे। खाना खाने के बाद उन्हें दिल्ली निकलना था। इसी बीच लखनऊ के तत्कालीन डीएम और राज्यपाल मोतीलाल वोरा के सलाहकार पहुंचे। डीएम ने कहा कि उन्हें अटल जी से मुलाकात करनी है। बीजेपी नेताओं ने कहा कि अटल जी भोजन कर लें तो मुलाकात हो जाएगी। डीएम और राज्यपाल के सलाहकार अटल जी के कमरे का दरवाजा खोलकर उसमें दाखिल हो गए। अचानक पहुंचे डीएम को देखकर अटल जी ने पूछा कि कैसे आए डीएम साहब, कुछ विशेष। डीएम ने अटल जी से कहा कि अमौसी एयरपोर्ट पर एक युवक ने एक विमान हाईजैक कर लिया है और उसके हाथ में कोई बम जैसी चीज है।

प्लेन हाईजैकर ने विमान को उड़ाने की धमकी दी है लेकिन यह कहा है कि अगर अटल बिहारी वाजपेयी आ जाएं तो मैं सभी यात्रियों को छोड़ दूंगा। अगर आप हमारे साथ चलें तो शायद सभी की जान बच जाए। अटल जी ने खाना छोड़ा और डीएम के साथ चलने की हामी भर दी। लखनऊ में कोई विशेष सुविधा वाला हवाई अड्डा नहीं था, सिर्फ एक हवाई पट्टी थी इसलिए अटल जी, डीएम और राज्यपाल के सलाहकार के साथ एयरपोर्ट के एक टॉवर पर पहुंचे। वहां से विमान में संपर्क हुआ तो अटल जी ने हाईजैक करने वाले युवक से बात शुरू की। हाईजैकर ने अटल जी की आवाज सुनी और कहा कि आप अटल बिहारी वाजपेयी नहीं हैं। तय हुआ कि अटल जी विमान में जाकर उस युवक से बात करेंगे। अटल जी ने बिना कुछ सोचे डीएम को विमान तक चलने की व्यवस्था करने को कहा। एक निजी कार में अटल जी, लालजी टंडन, राज्यपाल के सलाहकार व डीएम विमान तक पहुंचे जो एयरपोर्ट के किनारे पर खड़ा था। प्लेन के नीचे पहुंचकर लालजी टंडन ने युवक से अपना परिचय दिया तो उसने उन्हें पहचानने की बात कही। लालजी टंडन पहुंचे और फिर युवक से बात कर अटल जी को विमान में बुलाया। अटल जी पहुंचे तो लालजी टंडन ने कहा कि वाजपेयी जी इतनी दूर से तुमसे मिलने आए हैं, इनका पैर तो छू लो। इतना कहते ही युवक अटल जी का पैर छूने को जैसे ही झुका, तुरंत वहां मौजूद एक पुलिस अधिकारी ने जकड़ लिया। इस दौरान उस युवक ने अपने हाथ में पड़े एक सुतली के गुच्छे को फेंकते हुए कहा कि मेरे पास कोई बम नहीं है, मैं तो सिर्फ बताना चाहता था कि देश में राम जन्मभूमि आंदोलन को लेकर कितना आक्रोश है। युवक की गिरफ्तारी के बाद, अटल जी विमान में बैठे अन्य यात्रियों की स्थिति समझ चुके थे। उन्होंने सभी लोगों से मिलना शुरू किया तो एक सीट पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता सीताराम केसरी भी बैठे हुए थे। सहमे से सीताराम केसरी के हाथ पैर कांप रहे थे, इसी बीच अटल जी पहुंचे तो उन्होंने उन्हें हिम्मत बंधाई। केसरी जी ने जहां अपनी दिल्ली की यात्रा रद्द कर दी वहीं अटल जी इस पूरे घटनाक्रम के बीच ट्रेन छूट जाने के कारण दिल्ली ना जा सके। 

होली के दिवाने अटल ने नहीं मनाई होली

अटल बिहारी वाजपेयी को होली खेलने का बहुत शोक था। वह हमेशा होली के समय पार्टी दफ्तर या घर में जश्न में शरीक होते थे। वर्ष 2002 में गुजरात के भुज और कच्छ में भूकंप की घटना से आहत होकर वाजपेयी कुछ दिन रहने के लिए नैनीताल राजभवन आए थे। मार्च में होली के आसपास वहां कुछ दिनों तक रहे पर होली नहीं मनाई, बस वहां रहकर कुछ कविताएं लिखी।

अटल बिहारी वाजपेयी देश के तीन बार प्रधानमंत्री रहे हैं। सबसे पहले उन्होंने मई 1996 में प्रधानमंत्री का पदभार संभाला था लेकिन 13 दिन बाद ही उनकी कुर्सी चली गई थी। दूसरी बार उन्होंने मार्च 1998 में पीएम पद की शपथ ली थी लेकिन 13 महीने बाद उन्हें पद छोड़ना पड़ा था। इसके बाद हुए आम चुनावों में एनडीए गठबंधन को बहुमत मिला और वो तीसरी बार प्रधानमंत्री बने। उन्होंने 2004 तक अपनी कार्यकाल पूरा किया था।


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