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शिक्षा का अधिकार, समानता से सरोकार,जानिये कैसे एक ख्‍वाहिश ने रखी अभियान की नींव

शिक्षा के अधिकार से गरीब बच्चों को दिलाया कॉन्वेंट स्कूलों में प्रवेश। आरटीआइ एक्टिविस्ट चला रहा है गरीब बच्चों के लिए अभियान।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Tue, 22 Jan 2019 11:37 AM (IST)Updated: Tue, 22 Jan 2019 11:37 AM (IST)
शिक्षा का अधिकार, समानता से सरोकार,जानिये कैसे एक ख्‍वाहिश ने रखी अभियान की नींव
शिक्षा का अधिकार, समानता से सरोकार,जानिये कैसे एक ख्‍वाहिश ने रखी अभियान की नींव

आगरा, अली अब्बास। सुबह-सुबह सड़कों पर नन्हें कदमों से स्कूली ड्रेस में जाते बच्चों की तरह अपने नौनिहालों को स्कूल भेजना झुग्गी में रहने वाले परिवारों के लिए एक ख्वाब था। उनके इस ख्वाब को पूरा करने में मदद कर रहे हैं एक आरटीआइ एक्टिविस्ट। वे शिक्षा के अधिकार अधिनियम की मदद से हजारों गरीब बच्चों को कॉन्वेंट व पब्लिक स्कूलों में प्रवेश दिला चुके हैं। उन्होंने गरीब अभिभावकों के बच्चों को शिक्षा में समानता का अधिकार दिलाया है।

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लोहामंडी के मालवीय कुंज निवासी आरटीआइ एक्टिविस्ट धनवान गुप्ता बताते हैं कि इस अभियान की नींव पांच साल पहले पड़ी थी। वे बताते हैं कि मोहल्ले की एक लड़की दूसरे बच्चों की तरह नन्हें कदमों से कंधे पर बस्ता लाद नामचीन स्कूलों में पढऩे का सपना पाले बड़ी हो गई। उसका सपना पूरा नहीं हुआ। स्नातक करने के बाद वह एक छोटी सी नौकरी करने लगी। पांच साल पहले उक्त युवती के भतीजे के नर्सरी में प्रवेश कराने की बात चली। इसके साथ ही उसके बचपन का सपना जाग उठा। वह एक नामचीन पब्लिक स्कूल का आवेदन पत्र ले आई। परिवार के लोगों ने यह कहकर प्रवेश कराने से मना कर दिया कि पिता दो सौ रुपये रोज कमाता है। ऐसे में वह बच्चे को महंगे स्कूल में नहीं पढ़ा सकते। इसकी जानकारी होने पर उन्होंने युवती और बच्चे के सपने को साकार करने की ठानी। शिक्षा विभाग के अधिकारियों से मिला। उन्होंने शिक्षा के अधिकार के बारे में बताया। इसके तहत कान्वेंट और पब्लिक स्कूल 25 प्रतिशत गरीब बच्चों का प्रवेश लेने के लिए बाध्य थे।

उन्होंने इस नियम के संबंध में लोगों को जागरूक करने का बीड़ा उठाया। स्कूलों एवं शिक्षा विभाग से सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगना शुरू किया। मुहिम रंग लाई, स्कूलों ने गरीब और आर्थिक रूप से पिछड़े बच्चों को प्रवेश देना शुरू कर दिया।

तीन वर्ष लगे सरकारी तंत्र समझने में

धनवान गुप्ता कहते हैं बच्चों को हक दिलाने के लिए सरकारी तंत्र को समझना जरूरी था। इसे समझने में उन्हें तीन वर्ष लग गए। इसके बाद उन्होंने बच्चों को स्कूलों में प्रवेश दिलाने की लड़ाई लड़ी।

वर्ष 2016 में प्रदेश में अव्वल रहा आगरा

शिक्षा के अधिकार के तहत बच्चों के स्कूलों में प्रवेश देने के मामले में वर्ष 2015-2016 के सत्र में आगरा पूरे प्रदेश में अव्वल रहा था। इस वर्ष कान्वेंट और पब्लिक स्कूलों में कुल 3600 बच्चों को प्रवेश दिया गया। इसके लिए मुख्यमंत्री की ओर से तत्कालीन डीएम और बीएसए को सम्मानित किया गया।  

स्कूलों को भी किया सम्मानित

बच्चों को शिक्षा का अधिकार देने के मामले में शहर के कई नामचीन स्कूल भी पीछे नहीं रहे। उन्होंने नियमानुसार 25 फीसद सीट पर आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को प्रवेश दिया। ये बच्चे खुद को अन्य बच्चों से अलग-थलग महसूस नहीं करें। इसका भी प्रयास किया। 

स्कूल में मनवाया प्रतिभा का लोहा

प्रतिभा सिर्फ संपन्न परिवारों में ही जन्म नहीं लेती। इस बात को झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों ने साबित कर दिखाया। एक दर्जन से अधिक बच्चों ने 97 फीसद से अधिक अंक अपनी कक्षा में प्राप्त किए हैं।

कब कराया कितने बच्‍चों का स्‍कूल में प्रवेश

- 8852 बच्चों का तीन वर्षों में कराया कान्वेंट एवं पब्लिक स्कूलों में प्रवेश

- 3600 बच्चों को प्रवेश दिलाया वर्ष 2015-2016 के सत्र में

- 3100 बच्चों को दिलाया वर्ष 2016-2017 में प्रवेश

- 2152 बच्चों का प्रवेश वर्ष 2017-2018 में कराया


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