Dusshera 2019: पथ संचलन के साथ स्थापना दिवस पर RSS ने दिया देशभक्ति का संदेश Agra News
मंडलभर में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने किया पथ संचलन और शस्त्र पूजन। संघ प्रमुख मोहन भागवत का दिखाया जाएगा बौद्धिक लाइव।
आगरा, जेएनएन। 'नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे' की प्रार्थना के साथ राष्ट्रीय स्वयं संघ के सदस्य मंडलभर में पथ संचालन कर स्थापना दिवस मना रहे हैं। पथ संचलन के बाद शस्त्र पूजन और फिर संघ प्रमुख मोहन भागवत के बौद्धिक का लाइव प्रसारण दिखाया जा रहा है।
मंगलवार को आरएसएस देशभर में स्थापना दिवस मना रहा है। इसी कड़ी में आगरा मंडल के विभिन्न जिलों में आयोजन हुए। आगरा में महानगर के तीनों संयुक्त महानगर के 40 नगरों में 32 स्थानों पर पथ संचलन निकाला गया। पश्चिमपुरी से पथ संचलन निकाला गया। नगर की सभी शाखाएं एक स्थान पर कार्यक्रम आयोजित किया। इसके बाद संघ प्रमुख मोहन भागवत का बौद्धिक लाइव दिखाया गया। महानगर में तीन और विभाग स्तर पर पांच प्राथमिक शिक्षा वर्ग लगेेे। इनमें भी पथ संचलन और शस्त्र पूजन के कार्यक्रम हुए।
मथुरा में भी विजयादशमी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने जगह-जगह पथ संचलन किया। इस दौरान शस्त्रों का भी पूजन किया गया। शहर में विकास मार्केट स्थित सरस्वती शिशु मंदिर से सुबह अनुशासित सिपाहियों की तरह स्वयंसेवकों ने पथ संचलन किया। शहर में होली गेट, छाता बाजार, चौक बाजार, घीया मंडी, भरतपुर गेट होते हुए वापस सरस्वती शिशु मंदिर पहुंचे। इसके अलावा बरसाना और अन्य इलाकों में भी पथ संचलन किया गया। पथ संचलन प्रांत सह सेवा प्रमुख श्यामकिशोर की अगुआी में किया गया। वृंदावन में आरएसएस पदाधिकारियों ने विधिवत शस्त्र पूजन किया। सुदामा कुटी पर आयोजित शस्त्र पूजन में महंत सुतीक्षणदास, नगर संघ चालक दास बिहारी अग्रवा, देवेंद्र शर्मा, विनीत शर्मा, मुकुट वल्लभ मौजूद रहे। कासगंज के प्रभु पार्क में गोष्ठी के बाद पथ संचालन हुआ।
जगह जगह हुआ शस्त्र पूजन
आरएसएस के अलावा बजरंग दल, हिंदूवादी संगठन आदि ने राम मंदिर रामलीला मैदान और सेंट जोंस स्थित हनुमान मंदिर पर हवन के साथ शस्त्र पूजन किया।
कब हुई थी आरएसएस की स्थापना
दुनिया के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना केशव बलराम हेडगेवार ने की थी। 27 सितंबर 1925 को विजयदशमी के दिन आरएसएस की स्थापना की गई थी। इस साल विजयदशमी के दिन संघ ने अपनी स्थापना के 93 साल पूरे कर लिए हैंं और 2025 में ये संगठन 100 साल का हो जाएगा। नागपुर के अखाड़ों से तैयार हुआ संघ मौजूदा समय में विराट रूप ले चुका है।
संघ के प्रथम सरसंघचालक हेडगेवार ने अपने घर पर 17 लोगों के साथ गोष्ठी में संघ के गठन की योजना बनाई। इस बैठक में हेडगेवार के साथ विश्वनाथ केलकर, भाऊजी कावरे, अण्णा साहने, बालाजी हुद्दार, बापूराव भेदी आदि मौजूद थे। संघ का क्या नाम होगा, क्या क्रियाकलाप होंगे सब कुछ समय के साथ धीरे-धीरे तय होता गया। उस वक्त हिंदुओं को सिर्फ संगठित करने का विचार था। यहां तक कि संघ का नामकरण 'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ' भी 17 अप्रैल 1926 को हुआ। इसी दिन हेडगेवार को सर्वसम्मति से संघ प्रमुख चुना गया, लेकिन वह सरसंघचालक नवंबर 1929 में बनाए गए। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ यह नाम अस्तित्व में आने से पहले विचार मंथन हुआ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, जरीपटका मंडल और भारतोद्धारक मंडल इन तीन नामों पर विचार हुआ। बाकायदा वोटिंग हुई नाम विचार के लिए बैठक में मौजूद 26 सदस्यों में से 20 सदस्यों ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को अपना मत दिया, जिसके बाद आरएसएस अस्तित्व में आया।
हेडगेवार ने व्यायामशालाएं या अखाड़ों के माध्यम से संघ कार्य को आगे बढ़ाया। स्वस्थ और सुगठित स्वयंसेवक होना उनकी कल्पना में था।