शोध छात्रा हत्याकांड: बीत गए सात वर्ष और तीन माह, आखिर आगरा की निर्भया को कब मिलेगा इंसाफ?
निर्भया के गुनहगारों को फांसी के बाद शोध छात्रा के पिता ने फेसबुक पर की मार्मिक पोस्ट। सात वर्ष पहले डीईआइ की बायो नैनो टैक्नोलॉजी लैब में दुष्कर्म के बाद हुई थी हत्या।
आगरा, जागरण संवाददाता। सात वर्ष तीन माह बाद दिल्ली की निर्भया के गुनहगारों को फांसी हो गई। निर्भया के स्वजनों से लेकर देशभर के लोगों ने माना कि अब निर्भया को न्याय मिल गया। मगर, आगरा की निर्भया यानी शोध छात्रा को इंसाफ कब मिलेगा। उसकी भी दुष्कर्म के बाद कुछ इसी अंदाज में हत्या की गई थी। सीबीआइ चार्जशीट लगा चुकी है। हत्यारोपित जेल में है। मगर, न्याय के रथ की रफ्तार धीमी है। शुक्रवार को शोध छात्रा के पिता ने फेसबुक पर मार्मिक पोस्ट की। इसमें उन्होंने शोध छात्रा के गुनहगारों को भी जल्द सजा दिए जाने की मांग और सिस्टम से सहयोग की अपील की है।
दयालबाग शिक्षण संस्थान की बायो नैनो टैक्नोलॉजी लैब में शोध छात्रा की दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी। दरिंदे ने उसके शरीर पर पेपर कटर से 12 घाव करके गला काट दिया था। बर्बरता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि छात्रा के पोस्टमार्टम के दौरान उसके शव से डॉक्टरों को कांच की पिपेट मिली थी। दुष्कर्म के बाद हत्या की इस वारदात ने पूरे शहर को हिला दिया। जघन्य हत्याकांड के दूसरे दिन डीईआइ के छात्र छात्राएं सड़क पर आ गए थे। मामले में सीबीआइ जांच हुई। पहले पुलिस ने फिर सीबीआइ ने केस में मामले में डीईआइ के अध्यक्ष प्रेम कुमार के धेवते उदयस्वरूप के खिलाफ चार्जशीट कोर्ट में प्रस्तुत कर दी। मामले की आगरा कोर्ट में सुनवाई चल रही है। अभी तक गवाही की प्रक्रिया ही पूरी नहीं हो सकी है। शोध छात्रा के पिता ने शुक्रवार को फेसबुक पर किए पोस्ट में कहा है कि सत्संग सभा के प्रमुख पदाधिकारी के प्रभाव के कारण उनको न्याय मिलने में देरी हो रही है। वे अपने प्रभाव से कोई न कोई रोड़ा लगाते रहते हैं। शोध छात्रा के पिता ने अपील की है कि अपनी बेटी को न्याय दिलाने को सभी को अपने हाथ मिलाकर आगे बढ़ना चाहिए, जिससे हमारी बेटियां सड़क, गलियों और कॉलेज में निर्भय होकर आ जा सकें।
ये रहा घटना क्रम
15 मार्च 2013- शोध छात्रा की दुष्कर्म के बाद हत्या। छात्रा की कार खेलगांव के पास सड़क पर लावारिस खड़ी मिली।
22 अप्रैल 2013- परिस्थितिजन्य और वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर उदय स्वरूप तथा यशवीर सिंह संधू को हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर पुलिस ने जेल भेज दिया।
12 जुलाई 2013- पुलिस की केस डायरी में हत्याकांड का चश्मदीद सामने आया।
18 जुलाई 2013- पुलिस ने दोनों हत्यारोपियों के खिलाफ चार्जशीट लगा दी।
22 जुलाई 2013- शोध छात्रा की पिता के प्रार्थनापत्र पर शासन ने केस सीबीआइ को स्थानांतरित कर दिया।
10 फरवरी 2014- हाईकोर्ट के आदेश पर उदय और संधू जेल से रिहा।
5 जनवरी 2016- सीबीआइ ने उदय स्वरूप के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी, मगर संधू को क्लीन चिट दे दी।
12 मई 2016- अदालत ने फिर उदय स्वरूप को जेल भेज दिया।
न्याय मिलने तक लड़ाई जारी रहेगी
बेटी की हत्या के बाद कानूनी लड़ाई लड़ रहे शोध छात्रा के पिता निर्भया के गुनहगारों को सजा मिलने के बाद बेहद खुश हैं। उनका कहना है कि निर्भया की आत्मा को आज शांति मिल गई। न्यायपालिका पर उन्हें पूरा भरोसा है। तमाम लोगों की दुआएं साथ हैं, इसलिए मेरी बेटी के दोषियों को दंड जरूर मिलेगा। न्याय मिलने तक उनकी लड़ाई जारी रहेगी। अभी मामले पर आगरा दीवानी कोर्ट में सुनवाई चल रही है। शुक्रवार को तारीख है। मगर, वे किसी कार्य के कारण तारीख पर यहां नहीं आ पाए हैं।