370 से बड़ी उपलब्धि 35 ए का हटाया जाना, जानिए क्या कहते हैं जानकार Agra News
दैनिक जागरण के विमर्श कार्यक्रम में क्यों जरूरी था धारा 370 को हटाना विषय पर शहर के कानूनविद् डॉ. हरिदत्त शर्मा ने रखे विचार।
By Tanu GuptaEdited By: Published: Tue, 13 Aug 2019 12:15 PM (IST)Updated: Tue, 13 Aug 2019 12:15 PM (IST)
आगरा, ऋषि दीक्षित। अनुच्छेद 370 के क्लॉज 2 और तीन को खत्म करने से ज्यादा बड़ी उपलब्धि है अनुच्छेद 35 ए को खत्म करना। इसके खत्म होने से जम्मू-कश्मीर राज्य में अब आम भारतीयों को नौकरी करने, घर बसाने जैसे वे सभी अधिकार मिल जाएंगे जो अब तक नहीं थे। राज्य का आर्थिक विकास तो होगा ही कानून व्यवस्था में भी सुधार होगा। यह विचार दैनिक जागरण के विमर्श कार्यक्रम में 'क्यों जरूरी था धारा 370 को हटाना' विषय पर शहर के कानूनविद् डॉ. हरिदत्त शर्मा ने व्यक्त किए।
डॉ. शर्मा के अनुसार आजादी के बाद हैदराबाद और जम्मू- कश्मीर को देश का हिस्सा बनाने में दिक्कतें थीं। हैदराबाद तो देश के मध्य में होने के चलते बल पूर्वक देश का हिस्सा बना लिया गया, लेकिन जम्मू-कश्मीर की सीमाएं पाकिस्तान से लगी होने के कारण वहां इस तरह का निर्णय नहीं लिया जा सका। जम्मू-कश्मीर के राजा हरिसिंह ने भारत में विलय के समझौते पर काफी समय बाद हस्ताक्षर किए थे। इसीलिए उसे संविधान की धारा 370 के तहत विशेष अधिकार दिए गए थे। अनुच्छेद 35 ए जम्मू और कश्मीर को प्रेसीडेंशियल आर्डर से ही आया था और प्रेसीडेंशियल आर्डर से ही यह खत्म कर दिया गया है। 35 ए के चलते जम्मू-कश्मीर में किसी अन्य राज्य का कोई व्यक्ति नौकरी नहीं कर सकता था, प्रापर्टी नहीं खरीद सकता था, घर नहीं बना सकता था। अब तक अनुच्छेद 35 ए को छूने से सरकारें उसी तरह से बच रही थीं, जिस तरह आरक्षण खत्म करने से बच रही हैैं। आजादी के बाद संविधान में कुछ अस्थाई प्रावधान बनाए गए थे जो 369 से लेकर 372-73 तक हैैं, जिनमें कुछ पिछड़े राज्यों को विशेषाधिकार दिए गए थे, जिनमें महाराष्ट्र, गुजरात, सिक्किम, नगालैैंड, मिजोरम, असम, मणिपुर आदि हैैं। डॉ. शर्मा के अनुसार देश-काल और परिस्थितियों के चलते सरकारें इस तरह के प्राविधान कुछ निश्चित समय के लिए बनाती हैैं, लेकिन बाद में उन्हें खत्म करना मुश्किल हो जाता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि 11 सितंबर 1964 को धारा 370 को खत्म करने के लिए प्रकाशवीर शास्त्री ने संसद में निजी बिल पेश किया था, उस समय कांग्रेस की सरकार थी और उसके अधिकांश सदस्य धारा 370 को खत्म करने के पक्ष में थे। लेकिन, उस समय की परिस्थितियों के चलते ऐसा नहीं किया जा सका। खास बात यह है कि तत्कालीन सरकारों ने जो भी नए कानून बनाए या संशोधन किए वे जम्मू और कश्मीर के साथ-साथ पूरे देश में लागू किए गए, जिनमें इनकम टैक्स अधिनियम जैसे और भी कई कानून हैैं, जो जम्मू-कश्मीर में भी लागू होते हैैं। उन्होंने बताया कि धारा 370 के क्लाज 2 और तीन के साथ 35 ए खत्म होने से जम्मू और कश्मीर में गर्वनर को अधिकार मिल जाएंगे। इससे पहले सदर-ए-रियासत की व्यवस्था का अंत हो जाएगा। यह शब्द आजादी के बाद प्रभुत्व में आया था।
धारा 370 के क्लॉज 2 और 3 व 35 ए खत्म करने के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के संबंध में डॉ. शर्मा ने बताया कि सरकार के निर्णय के खिलाफ कोई भी अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है, लेकिन जो निर्णय लिया गया है, वह कानून सम्मत है उसमें अदालत शायद ही कोई हस्तक्षेप करेगी।
डॉ. शर्मा के अनुसार आजादी के बाद हैदराबाद और जम्मू- कश्मीर को देश का हिस्सा बनाने में दिक्कतें थीं। हैदराबाद तो देश के मध्य में होने के चलते बल पूर्वक देश का हिस्सा बना लिया गया, लेकिन जम्मू-कश्मीर की सीमाएं पाकिस्तान से लगी होने के कारण वहां इस तरह का निर्णय नहीं लिया जा सका। जम्मू-कश्मीर के राजा हरिसिंह ने भारत में विलय के समझौते पर काफी समय बाद हस्ताक्षर किए थे। इसीलिए उसे संविधान की धारा 370 के तहत विशेष अधिकार दिए गए थे। अनुच्छेद 35 ए जम्मू और कश्मीर को प्रेसीडेंशियल आर्डर से ही आया था और प्रेसीडेंशियल आर्डर से ही यह खत्म कर दिया गया है। 35 ए के चलते जम्मू-कश्मीर में किसी अन्य राज्य का कोई व्यक्ति नौकरी नहीं कर सकता था, प्रापर्टी नहीं खरीद सकता था, घर नहीं बना सकता था। अब तक अनुच्छेद 35 ए को छूने से सरकारें उसी तरह से बच रही थीं, जिस तरह आरक्षण खत्म करने से बच रही हैैं। आजादी के बाद संविधान में कुछ अस्थाई प्रावधान बनाए गए थे जो 369 से लेकर 372-73 तक हैैं, जिनमें कुछ पिछड़े राज्यों को विशेषाधिकार दिए गए थे, जिनमें महाराष्ट्र, गुजरात, सिक्किम, नगालैैंड, मिजोरम, असम, मणिपुर आदि हैैं। डॉ. शर्मा के अनुसार देश-काल और परिस्थितियों के चलते सरकारें इस तरह के प्राविधान कुछ निश्चित समय के लिए बनाती हैैं, लेकिन बाद में उन्हें खत्म करना मुश्किल हो जाता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि 11 सितंबर 1964 को धारा 370 को खत्म करने के लिए प्रकाशवीर शास्त्री ने संसद में निजी बिल पेश किया था, उस समय कांग्रेस की सरकार थी और उसके अधिकांश सदस्य धारा 370 को खत्म करने के पक्ष में थे। लेकिन, उस समय की परिस्थितियों के चलते ऐसा नहीं किया जा सका। खास बात यह है कि तत्कालीन सरकारों ने जो भी नए कानून बनाए या संशोधन किए वे जम्मू और कश्मीर के साथ-साथ पूरे देश में लागू किए गए, जिनमें इनकम टैक्स अधिनियम जैसे और भी कई कानून हैैं, जो जम्मू-कश्मीर में भी लागू होते हैैं। उन्होंने बताया कि धारा 370 के क्लाज 2 और तीन के साथ 35 ए खत्म होने से जम्मू और कश्मीर में गर्वनर को अधिकार मिल जाएंगे। इससे पहले सदर-ए-रियासत की व्यवस्था का अंत हो जाएगा। यह शब्द आजादी के बाद प्रभुत्व में आया था।
धारा 370 के क्लॉज 2 और 3 व 35 ए खत्म करने के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के संबंध में डॉ. शर्मा ने बताया कि सरकार के निर्णय के खिलाफ कोई भी अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है, लेकिन जो निर्णय लिया गया है, वह कानून सम्मत है उसमें अदालत शायद ही कोई हस्तक्षेप करेगी।
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