Wheat Purchase Center: कान्हा की नगरी में गेहूं की रिकार्ड खरीद, भंडारण को लिए अतिरिक्त गोदाम
Wheat Purchase Center एक लाख बोरा और मिले क्रय केंद्रों पर की जा रही आपूर्ति। पिछले साल 24 मई तक 30624.56 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हुई थी लेकिन इस बार 61059.60 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हो चुकी है।
आगरा, जेएनएन। गेहूं की इस बार रिकार्ड खरीद होने से भंडारण की पूर्व क्षमता के सभी गोदाम भर गए। स्टेट वेयर कारपोरेशन को अतिरिक्त गोदाम की व्यवस्था करनी पड़ी है। एक लाख बोरे और मिलने से बारदाने की कमी काफी हद तक दूर हो गई है। इसे क्रय केंद्रों पर भेजा जा रहा है। अब कोई भी क्रय केंद्र प्रभारी बारदाना की कमी बताकर गेहूं खरीद से इंकार नहीं कर पाएगा। राज्य सरकार ने इस बार गेहूं खरीद का लक्ष्य निर्धारित नहीं किया था। इसके साथ ही पंद्रह जून तक जो भी किसान क्रय केंद्र पर अपना गेहूं लेकर जाएगा। उसके गेहूं को खरीदने के भी निर्देश दिए थे। इसका नतीजा यह रहा कि पिछले साल 24 मई तक 30624.56 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हुई थी, लेकिन इस बार 61059.60 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हो चुकी है।
भारतीय खाद्य निगम को 57980.20 मीट्रिक टन गेहूं की डिलीवरी की जा चुकी है। स्टेट वेयर कारपोरेशन के मथुरा, कोसीकलां, गोवर्धन रोड, मंडी समिति और महोली गांव के गोदाम भर गए। इतनी की गोदामों की क्षमता थी। क्रय केंद्रों से गोदामों पर जा रहे गेहूं से भरे ट्रकों को धीमी गति से खाली किए जा रहे थे। बारदाना की कमी बताकर क्रय केंद्र प्रभारी टोकन की तारीख पर गेहूं की खरीद नहीं कर रहे थे। इससे किसान परेशान थे। अब दोनों ही समस्या का समाधान हो गया है। डीएम नवनीत चहल ने बताया, बरदाना की कमी पूरी हो गई है। भंडारण के लिए भी अतिरिक्त गोदाम की व्यवस्था की गई है। जिला खाद्य एवं विपणन अधिकारी राजेश्वर प्रताप सिंह ने बताया, एक लाख बोरा और मिल गए हैं। इन सभी को क्रय केंद्रों पर भेजा जा रहा है। भारतीय खाद्य निगम के प्रबंधक शिवा श्रीवास्तव ने बताया, एक लाख कुंतल की क्षमता का गोदाम और ले लिया गया है। कोसीकलां में कई सालों से बंद पड़े 2.80 लाख कुंतल की क्षमता के गोदाम को भी शुरू करा दिया गया है। इसलिए भंडारण के लिए स्थान की कोई कमी नहीं हैं। क्रय केंद्रों पर रखा गेहूं का उठान भी एक दो दिन में हो जाएगा। बारदाना की कमी और गेहूं का उठान न होने के कारण क्रय केंद्र प्रभारी किसानों से टोकन की तारीख के दिन गेहूं की खरीद नहीं कर पा रहे थे, लेकिन अब उनके पास किसानों को लौटने के लिए कोई बहाना नहीं रहेगा।