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Taj Mahal Unlocked: 188 दिन की बंदी के बाद ताजमहल फिर आबाद, QR कोड स्कैनिंग से टिकट बुकिंग

Taj Mahal Unlocked188 दिनों तक सैलानियों से वाह ताज सुनने को तरसता रहा ताजमहल। ताज देखने आएं तो मास्क लगाने के साथ शारीरिक दूरी का जरूर करें पालन।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Mon, 21 Sep 2020 09:31 AM (IST)Updated: Mon, 21 Sep 2020 12:50 PM (IST)
Taj Mahal Unlocked: 188 दिन की बंदी के बाद ताजमहल फिर आबाद, QR कोड स्कैनिंग से टिकट बुकिंग

आगरा [निर्लोष कुमार]। मैं ताजमहल हूं। दुनिया के सात अजूबों में शुमार मोहब्बत की अनमोल निशानी। मेरे जर्रे-जर्रे में शहंशाह शाहजहां और मुमताज की रूहानी मोहब्बत की दास्तां नुमाया होती है। मेरे धवल संगमरमरी हुस्न की एक झलक को दुनिया भर से कद्रदान यहां खिंचे चले आते हैं।

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ताजमहल और आगरा किला 188 दिन की बंदी के बाद सोमवार को खुल गए हैं। दोनों स्मारकों पर पर्यटकों को थर्मल स्क्रीनिंग और सैनिटाइजेशन के बाद प्रवेश दिया जा रहा है। मोहब्बत के मकबरे का लॉकडाउन के बाद सबसे पहले दीदार दिल्ली के पर्यटक शुभम ने किया। वे सुबह 5ः39 बजे ताज महल के पश्चिमी गेट पर पहुंचे और ठीक 5ः 40 बजे उन्होंने संगमरमरी ताज का दीदार किया। उनके कुछ ही मिनट बाद चीनी पर्यटक लियांग चियांग ने पूर्वी गेट से एंट्री ली। विश्वदाय स्मारक के खुलने से छह माह से निराशा में डूबे पर्यटन कारोबारियों को रौनक लौटने की उम्मीद जगी। कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते दोनों स्मारक 17 मार्च को बंद किए गए थे। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) द्वारा जारी स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्राेसीजर (एसओपी) का पालन किया जा रहा है।ताजमहल पर सुबह से ही पर्यटक पहुंच रहे हैं। प्रवेश द्वार पर रजिस्टर में सभी का ब्यौरा दर्ज किया जा रहा है। टिकट विंडो बंद है और पर्यटक क्यूआर कोड स्कैन कर टिकट बुक कर रहे हैं। ताजमहल में पश्चिमी गेट से सबसे पहले दिल्ली के शुभम सिंह ने सुबह 5:40 बजे प्रवेश किया। वो ताज देखने आने वाले पहले पर्यटक रहे। वहीं, पूर्वी गेट से चीन के पर्यटक लिआंग चिआ ने सबसे पहले प्रवेश किया।

कोरोना ने कद्रदानों से दूर किया

बेरहम कोरोना ने मुझे अपने इन्हीं कद्रदानों से दूर कर दिया। मेरे दरवाजों पर बंदी का ताला लटक गया। मेरा आंगन जो कभी हंसते-मुस्कुराते लोगों से गुलजार रहा करता था, वहां सन्नाटा पसर गया। अपने सौंदर्य पर रीझे कद्रदानों से 'वाह ताज' सुनने को मैं तरस गया। मेरे भरोसे पेट पालने वाले न जाने कितनी रात आह भरते हुए भूखे सोए। 188 दिन की बंदी के बाद सोमवार से मेरे दरवाजों पर लगा बंदी का ताला खुल गया है। सैलानियों के इस्तकबाल को बाहें फैलाये हुए मैं तैयार हूं। गुलिस्तां आबाद होगा और एक बार फिर मेरे आंगन में बहार लौटेगी। हां, इतना जरूर याद रखना कि कोरोना को हराना है तो मास्क लगाना और शारीरिक दूरी का पालन करना न भूलना।

24 फरवरी 2020 को डोनाल्ड ट्रंप परिवार सहित आए 

2020 की शुरुआत में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ताजनगरी आने की खबर ने मेरे सीने में न जाने कितने अरमान जगा दिए थे। उनके परिवार सहित आने की तस्दीक होते ही मेरा मन बल्लियों उछल पड़ा था, आखिर देश और दुनिया भर का ध्यान जो मेरे ऊपर आ गया था। 24 फरवरी को मैं कैसे भूल सकता हूं। डोनाल्ड ट्रंप अपनी शरीक-ए-हयात (पत्नी) मेलानिया ट्रंप और बेटी इवांका ट्रंप के साथ मेरे हुस्न के दीदार को आए तो मैं दुनियाभर में छा गया। हर ओर मेरे आंगन में हाथों में हाथ डाल चहलकदमी करते डोनाल्ड और मेलानिया की तस्वीरें छाई हुई थीं। मुझे उम्मीद थी कि ताजनगरी के पर्यटन में अब नए रंग भरेंगे। इस बीच कोरोना वायरस ने मेरी धड़कनें बढ़ा दीं। फिर आया 16 मार्च और मेरे दरवाजे सैलानियों के बंद करने का आदेश। 17 मार्च की सुबह बदली हुई थी। मेरे दरवाजे सैलानियों के लिए बंद हो गए थे। बंदी के अचानक लिए गए निर्णय ने मेरे कद्रदानों को मेरी एक झलक के लिए शहर में इधर-उधर भटकने काे मजबूर कर दिया था। छह जुलाई से देशभर में स्मारक खुलने की घोषणा हुई तो मुझे भी एक उम्मीद जगी, लेकिन जिले की सरकार नहीं मानी। सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया। एक सितंबर को अन्य स्मारक तो खुल गए, लेकिन मेरा नसीब नहीं जागा।

सात सितंबर को आदेश होने के बाद ही मुझे सुकून मिला 

सात सितंबर को सैलानियों के लिए मेरे दरवाजे 21 सितंबर से खोलने का आदेश होने के बाद ही मुझे सुकून मिला कि अब मेरे भरोसे पलने वाले भूखे पेट नहीं सोएंगे। आज मेरे बन्द दरवाजे खुल गए हैं। कोरोना काल में मेरी देखरेख करने वाले महकमे ने कद्रदानों के लिए कुछ बंदिशें लगाई हैं। दिनभर में पांच हजार कद्रदान ही मेरे हुस्न का दीदार कर पाएंगे। दिन-प्रतिदिन बढ़ते कोरोना के संक्रमण के बीच मुझे भी अभी यह उचित नजर आता है। आखिर, इस महामारी का मुकम्मल उपचार भी तो अब तक नहीं खोजा जा सका है। कोरोना को हराना है तो हमें नियमित सैनिटाइजेशन, मास्क, शारीरिक दूरी को अपनाना ही होगा। कद्रदानों से इल्तिजा है कि मेरे हुस्न के दीदार को आएं तो इनका पालन जरूर करें। मुझे पूरा भरोसा है कि एक दिन दुनिया से कोरोना रूपी कुहासा छंटेगा और बंदिशें दूर होंगी... आमीन। 


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