135 वर्ष के इतिहास में दूसरी बार नहीं जलेगा रावण
रामलीला मैदान आगरा कैंट व सेंट जोंस चौराहे पर जलते थे पुतले कोरोना काल में इस बार रामलीला का भी नहीं हो सका मंचन।
आगरा, जागरण संवाददाता । उत्तर भारत में प्रसिद्ध आगरा की रामलीला के तहत इस बार रावण के पुतले का दहन नहीं होगा। रामलीला के 135 वर्ष के इतिहास में यह दूसरा मौका है जब रावण का पुतला नहीं जलेगा। इससे पूर्व भारत-पाकिस्तान युद्ध, 1965 के दौरान रावण दहन नहीं हुआ था। आगरा कैंट और सेंट जोंस चौराहे पर भी रावण के पुतले नहीं जलाए जाएंगे।
कोरोना काल में इस बार आगरा में रामलीला का मंचन नहीं हो सका है। रामलीला कमेटी, रेलवे और पर्वतीय समाज की ओर से होने वाला रामलीला मंचन इस बार नहीं हो सका है। रामलीला के तहत ही दशहरा के दिन रावण के विशाल पुतलों का दहन होता रहा है। इस दौरान आतिशबाजी के मुकाबले होते थे। यह बच्चों के साथ ही विदेशी पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र रहे हैं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। पिछले वर्ष यहां 100 फुट ऊंचे रावण के पुतले का दहन हुआ था। आगरा कैंट स्टेशन पर 49 वर्षों से चली आ रही परंपरा टूटेगी। वहीं, सेंट जोंस चौराहे पर 47 वर्ष पुरानी परंपरा टूटेगी। यहां 1974 से रावण के पुतले का दहन होता चला आ रहा है। रेलवे की रामलीला में होगा रावण वध
उत्तर मध्य रेलवे संस्थान की रामलीला में रविवार शाम को चार-पांच लोगों द्वारा रावण वध की लीला का मंचन किया जाएगा। इस दौरान केवल भगवान श्रीराम, लक्ष्मण, हनुमान जी और रावण का किरदार निभाने वाले चार-पांच लोग ही मौजूद रहेंगे। रेडीमेड बिक रहा रावण
छिली ईंट रोड, नामनेर बाजार में रावण के रेडीमेड पुतले बिक रहे हैं। दो से लेकर 10 फुट ऊंचाई तक के पुतले उपलब्ध हैं। नामनेर में पुतले बेच रहे राहुल कुमार प्रजापति ने बताया कि रावण का पांच फुट ऊंचा पुतला दो हजार और 10 फुट ऊंचा पुतला चार हजार रुपये का है। राहुल का एक भी पुतला शनिवार शाम तक नहीं बिका था। कालोनियों में बच्चों ने बनाए रावण
कालोनियों व बस्तियों में बच्चों में रावण के पुतलों को लेकर काफी क्रेज दिखा। उन्होंने घर पर ही रावण के पुतले तैयार किए हैं। रविवार शाम को इन पुतलों का दहन किया जाएगा।