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ईमानदारी और अल्लाह की ़फरमाबर्दारी की सीख देता है छठवां रोजा

कोरोना संक्रमण के खात्मे को मस्जिदों व घरों में अदा हुई नमाज

By JagranEdited By: Published: Mon, 19 Apr 2021 10:30 PM (IST)Updated: Mon, 19 Apr 2021 10:30 PM (IST)
ईमानदारी और अल्लाह की ़फरमाबर्दारी की सीख देता है छठवां रोजा
ईमानदारी और अल्लाह की ़फरमाबर्दारी की सीख देता है छठवां रोजा

आगरा, जागरण संवाददाता।

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छठवां रोजा ईमानदारी और अल्लाह की ़फरमाबर्दारी की सीख देता है। मुकम्मल ईमानदारी और अल्लाह की ़फरमाबर्दारी के साथ रखा गया रोजा और रोजेदार इसकी पहचान है। नेकनीयत और पाकी•ागी के साथ रखे गए रोजे का नूर अलग ही चमकता है। जज्बा-ए-रहम (दया का भाव) रोजेदार की पाकीजा दौलत है और जज्बा-ए-सब्र रोजेदार की रुहानी ताकत है। कुरआने-पाक में अल्लाह को सब्र करने वाले का साथ देने वाला बताया गया है। रोजा इम्तहान भी है और इंतजाम भी। सब्र और संयम रोजेदार की कसौटी है इसलिए रोजा इम्तहान है।

शहर मुफ्ती मजदुल खुबैब रूमी ने यह बात कही। सोमवार को माह-ए-रमजान के पहले अशरे में छठां रोजा रखा गया। रोजेदारों ने नमाज अदा कर मुल्क व कौम की तरक्की के साथ ही कोरोना संक्रमण के खात्मे की भी दुआ की। रमजान का इन दिनों पहला अशरा चल रहा है, जो कि बेशुमार रहमतों वाला होता है, वैसे तो रमजान का पूरा महीना ही मोमिनों के लिए अल्लाह तआला की तरफ से रहमतों और बरकतों का होता है, लेकिन पहले रोजे से दसवें रोजे तक का पहला अशरा रहमतों का अशरा कहलाता है। इसीलिए इस अशरे में रोजेदार अधिक से अधिक इबादत करते हैं। रमजान माह के पहले असरे के छठें रोज पर रोजेदारों ने पांच वक्त की नमाज अदा की। कोरोना गाइडलाइन के अनुपालन के चलते मस्जिदों में नमाजियों की संख्या सीमित रही, अधिकतर रोजेदारों ने घरों में ही नमाज पढ़ी। वहीं शहर की कई मस्जिदों के प्रवेश द्वार पर ही कोरोना गाइडलाइन के पालन और पाबंदियों की जानकारी के संबंध में सूचना चस्पा कर दी गई है।


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