Ramadan 2020: रखेंगे इन बातों का ध्यान तो माह-ए-रमजान में होगी हर दुआ कुबूल
मजान का महीना 24 या 25 अप्रैल से शुरू होने की उम्मीद है। अगर 24 अप्रैल को रमजान का चांद दिखाई दिया तो 25 अप्रैल को पहला रोजा रखा जाएगा नहीं तो 26 अप्रैल का पहला रोजा होगा।
आगरा, जागरण संवाददाता। इस्लाम धर्म में सबसे पवित्र महीना माना जाने वाला माह-ए- रमजान दस्तक देने वाला है। रमजान के महीने में मुसलमान व्रत यानी रोजा रखते हैं और शिद्दत से अल्लाह की इबादत करते हैं। इस्लामिक मान्यताओं के मुताबिक रमज़ान की शुरुआत चांद देखने के बाद होती है। इस साल भारत में रमजान का महीना 24 या 25 अप्रैल से शुरू होने की उम्मीद है। अगर 24 अप्रैल को रमजान का चांद दिखाई दिया तो 25 अप्रैल को पहला रोजा रखा जाएगा, नहीं तो 26 अप्रैल का पहला रोजा होगा। रमजान के महीने के बारे में कहा जाता है कि यदि कोई रोजेदार इस पाक महीने में बुरे कर्म करेगा तो उसको आम दिनों की अपेक्षा 70 गुना ज्यादा सजा मिलेगी और अच्छा काम करेगा तो उसको 70 गुना अधिक सवाब मिलेगा। रमजान के महीने में तरावीह के पढ़ने से इंसान की रुह पाक साफ होती है। रमजान के महीने में रोजे रखने का बड़ा महत्व है। मान्यता है कि इससे रुह और आत्मा दोनों स्वच्छ होती है।
कैसे रखें रोजा
अखिल भारतीय मुस्लिम विकास परिषद के अध्यक्ष शमी अगाई के अनुसार रोजा रखने के लिए रोजेेदार को सूर्योदय के पहले उठकर कुछ खा लेना चाहिए। इसको सेहरी करना कहते हैं। इसके बाद दिन में कुछ भी खाने-पीने की मनाही होती है। शाम को मगरीब की नमाज के बाद कुछ खाकर रोजा खोला जाता है। मान्यता है कि रमजान के महीने में रोज़ादार को इफ्तार कराने वाले के गुनाह माफ हो जाते हैं। इफ्तार के संबंध में हजरत मुहम्मद का कहना है कि खजूर या पानी से ही इफ्तार कराया जा सकता है। कहा जाता है कि अल्लाह ने मुसलमानों को रोजे रखने के लिए इसलिए कहा ताकि वो अपने अंदर परहेज की आदत पैदा कर सकें।
रोजा देता है खुद को काबू में रखने की तरबियत
रमजान के दिनों में सिर्फ रोजा रखना ही काफी नहीं है। बल्कि आदतों पर नियंत्रण रखना भी जरूरी है। रमजान के दौरान रोजेदार को बुरी सोहबतों से दूर रहना चाहिए। ना तो झूठ बोलना चाहिए न ही किसी की इस दौरान बुराई करना चाहिए। दंगे-फसाद से दूरी बनाकर रखना चाहिए। इसलिए कहा जाता है कि गलत चीजों को देखने और सुनने से भी रोजा टूट जाता है। मान्यता है कि रोजा रखने से इंसान हर गलत काम और बुराइयों से मुकद्दस हो जाता है। रोजे इंसान को स्वयं पर काबू रखने की तरबियत देते हैं।
इबादत में गुजारें ज्यादा से ज्यादा वक्त
रमजान में यदि रोजा रखना है तो रोजेदार को रात को इसको नियत कर लेना चाहिए। बेहतर यह है कि रमजान के महीने की पहली रात को ही पूरे महीने के रोजे की नियत कर लें। रमजान के शुरू होने से पहले जरूरत का साजो- सामान खरीद लेंं, जिससे रोजे के दौरान बाजारों के चक्कर न लगाना पड़े और ज्यादा से ज्यादा समय इबादत में गुजरे। इस वक्त वैसे भी कोरोना वायरस के कारण लाॅकडाउन चल रहा है। ऐसे में कोशिश करें िकि घर पर मौजूद चीजों से ही सेहरी और इफ्तार करें। बेफिजूल घर से बाहर न जाएं। घर पर ही अल्लाह की इबादत करें। कहना गलत न होगा कि लॉकडाउन ने इबादत के लिए अतिरिक्त वक्त दिया है।
इफ्तार के लिए खजूर है बेहतर
रोजे में मगरीब की नमाज अदा करने के बाद इफ्तार करें और पर्याप्त पानी पीकर शरीर में दिनभर के पानी की कमी को दूर करें। दिनभर के रोजे के बाद इफ्तार की शुरूआत काफी हल्के खाने से करे। इफ्तार के लिए खजूर को बेहतर माना जाता है। इसलिए फल, सलाद, खजूर, सूप, जूस को इसमें शामिल करें। गर्मी का मौसम है इसलिए सेेहरी के खाने का भी खास ख्याल रखें। तला,गला, मसालेदार भोजन न लें। दूध, ब्रेड, ओटमील, फल सेहरी मे सेहत के लिए बेहतर होते हैं।
करें बस नेक काम
रमजान के मुकद्दस महीने में ज्यादा से ज्यादा समय इबादत में गुजारें। कुरान की तिलावत, नमाज की पाबंदी, जकात, सदाक और अल्लाह का जिक्र करते हुए इबादत करें। इस पाक महीने में नेक काम करने और इफ्तार कराने से सवाब बढ़ता है। यदि रोजेदार गलती से कुछ खा पी ले तो उसका रोजा टूटता नहीं है। रमजान के महीने में रोजेदार गलत लतों से दूर रहता है। इसलिए इस महीने में सिगरेट, गुटखा, शराब आदि से दूर रहें। रमजान के महीने में कुरान पाक की तिलावत की आदत डालें। इससे बहुत सवाब हासिल होता है। रात को जल्द सोकर सुबह फज्र का नमाज के लिए उठने की आदत बनाएं।