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ShriKrishna JanamBhoomi: राम मंदिर का फैसला बन सकता है कृष्‍ण जन्‍मस्‍थान के लिए नजीर

ShriKrishna JanamBhoomi केस दायर करने वाले अधिवक्ता विष्‍णु शंकर जैन बोले-सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर फैसले में कहा है संकल्प अमर रहता है। फुलप्रूफ प्लानिंग के साथ दायर किया गया शाही मस्जिद हटाने का दावा। अब 30 सितंबर को होगी सुनवाई।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Mon, 28 Sep 2020 12:52 PM (IST)Updated: Mon, 28 Sep 2020 12:52 PM (IST)
ShriKrishna JanamBhoomi: राम मंदिर का फैसला बन सकता है कृष्‍ण जन्‍मस्‍थान के लिए नजीर
मथुरा में श्री कृष्‍ण जन्‍मस्‍थान को लेकर दायर केस पर अब लगी हैं देशभर की निगाहें। फाइल फोटो

आगरा, संजय रुस्तगी। श्रीकृष्ण जन्मस्थान की जंग का एलान यूं ही नहीं किया गया, अतीत से लेकर वर्तमान तक का समग्र अध्ययन किया गया है। मथुरा के सिविल जज सीनियर डिवीजन कोर्ट में दायर 57 पेज के दावे में भी इसकी झलक साफ दिखती है। सुप्रीम कोर्ट ने श्रीराम मंदिर के पक्ष में दिए फैसले के पैरा 117 में 'संकल्प अमर रहने' का स्पष्ट उल्लेख किया है, यह वाक्य इस मामले में भी नजीर बन सकता है। श्रीकृष्ण विराजमान व अन्य पक्षकारों की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन व उनके पुत्र विष्णु शंकर जैन ने वाद दायर किया है। हरिशंकर जैन ने 40 साल व विष्णु शंकर जैन ने 10 साल तक राम मंदिर के मुकदमे में पैरवी की है। अब श्री कृष्ण जन्मस्थान मामले में 30 सितम्बर को सुनवाई होगी। इस सुनवाई में यह तय होगा कि ये केस चलेगा या नही। वादी अपनी बात रखेंगे कि वह किस लिए औऱ किस मुद्दे पर केस चलाना चाहते हैं।

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ये जुटाए गए साक्ष्य

अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन के मुताबिक राजा वीर सिंह बुंदेला ने 1618 में 33 लाख रुपये की लागत से श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर मंदिर का दोबारा निर्माण कराया था। इसकी जानकारी विभिन्न पुस्तकों में मिलती है। 1670 में औरंगजेब ने मंदिर को ध्वस्त करा मूर्तियों को वहां से हटवा दिया। इसका बकायदा फरमान जारी किया गया। मुगल शासन पर कई पुस्तक लिखने वाले यदुनाथ सरकार की 'एनिट डॉट्स ऑफ औरंगजेबÓ पुस्तक में भी फरमान की कॉपी है। लेखक यात्री निकोलम मनूची ने भी अपनी किताब 'इस्टोरिया डो मोगरÓ में इसका जिक्र किया है। पांच अप्रैल, 1770 की गोवर्धन की जंग में मुगल शासकों से जीत के बाद मराठाओं ने पुन: मंदिर बनवाया। 1803 में मथुरा में अंग्रेज आए, उन्होंने 1815 में कटरा केशवदेव मंदिर की 13.37 एकड़ भूमि की नीलामी की। जिसे बनारस के राजा पटनीमल ने खरीदा।

ऐसे बना ट्रस्ट

आठ फरवरी, 1944 को राजा पटनीमल के वारिस राय किशन दास व राय आनंद दास ने 13.37 एकड़ जमीन को पंडित मदन मोहन मालवीय, गोस्वामी गणेश दास व वीकेंद्र लाल आत्रेय के नाम बैनामा किया। इसका भुगतान जुगल किशोर बिड़ला ने कियार्। 1951 में ट्रस्ट बनाया गया। जिसमें अध्यक्ष व सचिव के साथ सदस्यों की भी व्यवस्था की गई।

कोर्ट में सुनवाई होने पर सभी साक्ष्यों को रखा जाएगा। राम मंदिर के फैसले में सुप्रीम कोर्ट यह स्पष्ट कर चुका है कि संकल्प अमर रहता है। मथुरा भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली है। यहां मंदिर संकल्प के साथ बनवाया गया है। लिहाजा यहां मस्जिद को भूमि देने का सवाल ही नहीं होता। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय मददगार साबित होगा।

-विष्णु शंकर जैन, अधिवक्ता, सुप्रीम कोर्ट


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