Move to Jagran APP

Ram Mandir Movement: जीत सुनिश्चित हैं, डरें नहीं...पढ़ें किसके थे ये शब्द जिन्होंने भर दिया था युवाओं में जोश

Ram Mandir Movement आज भी ताजा हैं अयोध्या कार सेवा का यादें। 29 युवाओं की टोली गई और सकुशल लौटी।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Tue, 04 Aug 2020 07:02 PM (IST)Updated: Tue, 04 Aug 2020 07:02 PM (IST)
Ram Mandir Movement: जीत सुनिश्चित हैं, डरें नहीं...पढ़ें किसके थे ये शब्द जिन्होंने भर दिया था युवाओं में जोश
Ram Mandir Movement: जीत सुनिश्चित हैं, डरें नहीं...पढ़ें किसके थे ये शब्द जिन्होंने भर दिया था युवाओं में जोश

आगरा, संदीप शर्मा। जीत सुनिश्चित हैं, डरें नहीं। हर गली-मुहल्ले में गुप्त बैठकें कर बोले गए विश्व हिंदु परिषद अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल के विजयी शब्दों ने राम मंदिर आंदोलन में युवाओं को स्वेच्छा से उतरने को प्रेरित किया था। महज तीन महीने में आंदोलन की ऐसी आंधी तैयार हुई, जो सीधे अयोध्या जाकर ठहरी और स्वयंसेवकों ने कारसेवा को अंजाम दिया। इसमें नामदेव शाखा से 29 युवाओं की टोली ने भी हिस्सा लिया था।

loksabha election banner

जत्था प्रमुख रहे पश्चिमी महानगर कार्यवाह भारत भूषण बताते हैं कि उनकी उम्र महज 26 वर्ष थी। साथ में 29 युवाओं की टोली ने अयोध्या कूच किया। चप्पे-चप्पे पर पुलिस थी, ईदगाह पहुंच बमुश्किल अवध एक्सप्रेस में चढ़े। ट्रेन खचाखच भरी थी, लेकिन कोई किसी सेे बात नहीं कर रहा था। कुछ स्टेशनों पर पुलिस ने ट्रेन रोककर कुछ स्वयंसेवक गिरफ्तार किए। बातों में पता चला कि पूरी ट्रेन मेें अयोध्या जा रहे स्वंंयसेवक सवार थे। सुबह ट्रेन लखनऊ पहुंची, लेकिन सात मिनट बाद ही स्टेशन पर पुलिस का छापा पड़ा, जैसे तैसे वहां से निकले, जिस धर्मशाला में रुकना था, वहीं भी छापा पड़ने पर एक डोरमेट्री में दो दिन गुजारे। सारे साथी बिछड़ गए। इसके बाद तीसरेे दिन एक ट्रेन के ड्राइवर ने हमें चुपके से बैठाकर ट्रेन स्लो करके गौंड़ा के पास उतारा था।

गांव-गांव हुआ स्वागत

खेत में उतरकर पैदल चलते हुए यादवों के एक गांव पहुंचे, तो भव्य स्वागत हुआ। महिलाओं ने पूड़ियां बनाकर खिलाई। पकड़े जाने की शंका मन में आई, तो गांव प्रधान ने भरोसा दिलाया कि प्रभु के काम को तीन महीने से मेहनत कर रहे हैं, अनाज जुटाया, ताकि कारसेेवकों की सेवा कर सकें। ऐसे एक नहीं कई गांव थे।

सरयू घाट पर हुई गिरफ्तारी

हरिकेश कुमार बताते हैं कि फिर सभी एकजुट होकर सरयू घाट के जंगल में पहुंचे। घाट पर नहाने गए कुछ लोगों को पुलिस ने पकड़ लिया। हैलीकॉप्टर भी आ गया, सीटी बजाते हुए पुलिस ने अर्धसैनिक बलों के साथ ने घेर लिया। संगीने तान दी और पकड़े लिया। बसों में बैठाकर एक पुलिसकर्मी और ड्राइवर के साथ रवाना किया, तो आगे ग्रामीणों ने छुड़ाकर खेतों से होकर भगा दिया। एक गांव के प्रधान कश्मीर सिंह का नेतृत्व मिला और सभी रोड़ पर पहुंचेे और सात-आठ हजार लोग एक दीवार बनाकर चलने लगे। तमाम पुलिस बैरियर तोड़कर आगे बढ़ते गए, पुलिसकर्मी हमें देखकर भाग जाते थे। सरयू पुल पर पहुंचें, तो अर्धसैनिक बलों से सामना हो गया। फोर्स बंदूकों सेे लैस थी, लिहाजा सभी राम धुन गाते हुए सड़क पर बैठ गए। लाठी चार्ज हुआ, तमाम स्वयं सेवक घायल हुए, लेकिन पीछे नहीं हटे, मैं उत्तेजित होकर पुलिस से भीड़ गया, तो साथियों ने हटाया। इसी दौरान भी गोली चली।

हो गई कार सेवा

शाम को समाचार मिला कि कारसेवा हो चुकी है। ट्रांजेस्टर पर बीबीसी की सुनकर विश्वास हुआ। इसके बाद कार्यकर्ताओं को ट्रकों, बसों और ट्रेनों में सवार कर वापस भेजा गया। आगरा में कर्फ्यू था, तो टूंडला से पैदल चलकर घर पहुंचे। यहां दीपावली जैसा नजारा था।

यह भी थे जत्थे में शामिल

भारत भूषण, जयकिशन अग्रवाल, हरिकेष, युव कुमार, वेदप्रकाश शर्मा, महेश बंसल, गोविंद यादव, राजीव वर्मा, गोरखी आदि। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.