Ram Mandir Movement: बोले कारसेवक, सफल हुआ संघर्ष, घरों में कर रहे दीवाली मनाने की तैयारी
Ram Mandir Movement दिल में आनंद की हिलोरें खुशी से आंखें नम। हर्ष में डूबे में राममंदिर आंदोलन में भाग लेने वाले मैनपुरी के कारसेवक।
आगरा, विक्रम प्रताप सिंह। मन मुदित है, दिलों में आनंद की हिलोरें उठ रही हैं। अयोध्या में प्रभू श्रीराम के मंदिर के निर्माण को पूजन का सिलसिला एकटक देख रहे हैं। पल-पल में आंखें छलछला उठती हैं। इंतजार है बुधवार का। जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी श्रीराम के भव्य मंदिर के निर्माण की आधारशिला रखेंगे। मैनपुरी जिले के जिन कारसेवकों ने राममंदिर आंदोलन में योगदान किया, लाठियां खाईं। आज उनको अपने आनंद की अनुभूति का बखान करने को शब्द नही सूझ रहे। बस बार-बार एक ही बात दोहराते हैं, हमारा संघर्ष सफल हो गया। सौभाग्यशाली हैं कि अपनी आंखों से मंदिर का शिलान्यास देख रहे हैं।
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की लड़ाई बहुत कठिन रही। इस आंदोलन रूपी संघर्ष में देशभर से रामभक्तों ने भागीदारी की थी। इस योगदान में मैनपुरी भी पीछे नहीं था। जिले से सैकड़ों लोग इस आंदोलन से जुड़े थे। जबकि 100 से अधिक महिला-पुरुष कारसेवा के लिए अयोध्या तक गए थे। जिले में राम मंदिर आंदोलन की अगुवाई करने वाले रङ्क्षवद्र ङ्क्षसह भदौरिया बताते हैं कि दो नवंबर 1990 के अयोध्या गोलीकांड के बाद लोगों में मौजूदा सरकार के प्रति आक्रोश था। कुछ लोग भयभीत भी थे। इसके बाद भी यहां से 57 पुरुष व 42 महिलाएं दो बसों में भरकर अयोध्या रवाना हुए थे। वहां पहुंच कर कारसेवा में हिस्सा लिया था। अब शिलान्यास होते देख कारसेवकों को अपने पुराने संघर्ष के दिन याद आ रहे हैं।
आंदोलन को इन्होंने दी थी गिरफ्तारियां
राम मंदिर आंदोलन को धार देने के लिए कार सेवकों द्वारा गिरफ्तारियां दी गई थी इस कार्य में भी नगर एवं क्षेत्र के सैकड़ों लोगों ने गिरफ्तारियां देकर आंदोलन को मजबूत बनाया था। गिरफ्तारी देने वालों में रमा तिवारी, चेयरमैन गुड्डू मिश्रा, गोङ्क्षवद चौहान, राजेश दुबे, श्रीदयाल, धनीराम, नरेश बाथम, आदित्य सक्सेना, बलराम कठेरिया, वेद प्रकाश शर्मा ,जिलेदार दिवाकर आदि शामिल थे।
दिल में मंदिर निर्माण की हसरत लिए चले गए कई कारसेवक
मंदिर आंदोलन में रमन चौहान, सुनील भदौरिया, गिरीश दुबे, राम शंकर दिवाकर आदि कई लोग भी शामिल थे। इन लोगों ने अपनी किशोरावस्था में ही बढ़-चढ़कर भागीदारी की। जीवन भर वे अपनी आंखों से राममंदिर निर्माण का सपना देखते रहे। परंतु यह सपना साकार होने से पहले ही उनका निधन हो गया। उनके स्वजन अब स्वयं को धन्य मान रहे हैं।
महिलाओं ने भी की थी भागीदारी
कार सेवा के दौरान नगर एवं क्षेत्र की 3 दर्जन से अधिक महिलाओं ने भी हिस्सा लिया था इनमें से नगर की रामादेवी गुप्ता, शांति देवी गुप्ता, नीलम चौहान का स्वर्गवास हो चुका है। जबकि पुष्पा देवी भदौरिया, शकुंतला व मंजू देवी आदि मंदिर निर्माण के सपने को सच होता हुआ देखकर आल्हादित हैं। सभी बुधवार को घरों में दीवाली मनाने की तैयारी कर रही हैं।
पिता-पुत्र ने भी लिया आंदोलन में था हिस्सा
रविंद्र सिंह भदौरिया के साथ उनके पुत्र सुनील भदौरिया ने राम मंदिर आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने संकल्प यात्रा व गिरफ्तारियां भी साथ-साथ दी थी
कारसेवकों के संस्मरण
कभी लंगर में भोजन, कभी भूखे रह गुजारा
कारसेवक रविंद्र सिंह भदौरिया ने बताया कि मंदिर निर्माण को लेकर शांतिप्रिय जन जागरण आंदोलन चलाया गया था। इसमें सभी निस्वार्थ भाव से शामिल हुए थे। आंदोलन के दौरान कारसेवकों को जगह-जगह लगे लंगर में भोजन करना पड़ता था। कई बार केवल ब्रेड खाकर दिन गुजारते थे। कई बार यह भी नसीब नहीं हुआ तो भूखे दिन गुजारते थे, परंतु कारसेवकों का उत्साह कम नहीं होता था।
सर्दी में छत पर बैठकर की थी यात्रा
आंदोलन से जुड़े रहे मुनींद्र सिंह चौहान ने बताया कि 1989 में निकली संकल्प यात्रा में वह शामिल हुए थे। इस दौरान क्षेत्र के खिदरपुर निवासी अशोक गुप्ता व महेंद्र प्रताप ङ्क्षसह चौहान, जटपुरा निवासी शीतल दुबे व गिरीश दुबे भी साथ थे। अयोध्या जाने वाली बस में जगह नहीं मिली थी। ऐसे में उन्होंने भीषण सर्दी में छत पर बैठकर अयोध्या तक यात्रा की थी। सर्दी में सभी की हालत खराब हो गई थी। अयोध्या पहुंचते ही फिर से सरयू नदी के तट पर स्नान कर मंदिर बनाने का संकल्प लिया था।
राम भजन के जरिए रोका था पुलिस को
कारसेवक शिक्षक करण पाल सिंह बताते हैं कि अयोध्या में विध्वंस के दौरान पुलिस ने कारसेवकों को रोकने का प्रयास किया था। परंतु तब कारसेवकों ने हर रास्ते और गलियों में बैठकर रामभजन शुरू कर दिया। पुलिस के रास्ते रोक दिए गए थे और किसी को आगे नहीं बढऩे दिया गया था। जब भी पुलिस आगे बढऩे की कोशिश करती तो महिलाएं और बच्चे राम भजन करते-करते गलियों में लेट जाते थे।
वीसीआर पर दिखाई थी क्षेत्रवासियों को अयोध्या गोलीकांड की हकीकत
नगर निवासी धर्मेंद्र ङ्क्षसह चौहान ने बताया कि तब लोगों में जनजागरण की मुहिम उन्होंने चलाई थी। उनके साथ रामबाबू सरिता, होली लाल बाथम की भी प्रमुख भूमिका थी। उस दौरान क्षेत्र के कई गांवों में अयोध्या में कारसेवकों पर हुए गोलीकांड को वीडियो कैसेट और वीसीआर के माध्यम से गांव-गांव दिखाया गया था। यह काम गोपनीय तरीके से होता था। पुलिस उनको तलाश रही थी। बाद में पुलिस ने एक जगह प्रसारण के दौरान टीवी और वीसीआर को तोड़ दिया था।