Ram Mandir Bhumi Pujan: धनुष− तीर धारण कर लीलाधर बन गए रघुवीर, धन्य हुआ ब्रज धाम
Ram Mandir Bhumi Pujan श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर केशवदेव ने दिए राम रूप में दर्शन। द्वारिकाधीश मंदिर में बही भक्ति की बही अविरल धारा।
आगरा, जेएनएन। भगवान श्रीराम के मंदिर निर्माण के भूमि पूजन पर कान्हा भी राम के रंग में ही रंग गए। श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर ठाकुर केशवदेव ने बुधवार को भगवान राम के रूप में दर्शन दिए। कांधे पर धनुष चढ़ाए ठाकुर जी के दर्शन कर श्रद्धालु भी भाव-विभोर हो गए।
अयोध्या में राम मंदिर का भूमिपूजन शुरू हुआ, तो जन्मस्थान श्रीराम के जयकारों से गूंज उठा। भूमिपूजन के मुहूर्त में ही जन्मस्थान में स्थित राम दरबार में महाआरती की गई। श्रद्धालुओं ने जयकारे लगाए। उधर, परिसर में स्थित केशव देव प्रभु आज राम के रूप में थे। कांधे पर धनुष चढ़ा, मर्यादा पुरुषोत्तम की भूमिका में जिसने भी देखा, देखता रह गया। मगंलवार से ही मंदिर परिसर स्थित अन्पूर्णेश्वर महादेव मंदिर पर श्रीराम चरित मानस का अखंड पाठ चल रहा था। मंगलवार को पाठ खत्म हुआ, तो प्रसाद वितरण हुआ। पूरे जन्मस्थान परिसर को सतरंगी बिजली की झालरों से सजाया गया। शाम को 51 सौ दीप जले तो मानों आसमान से तारे जमीं पर आ गए हों। श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव कपिल शर्मा की अगुआई में मंदिर परिसर में ढोल. नगाड़े, घंटे, घडिय़ाल, मृदंग, झांझ, मंजीरों की ध्वनि गूंजती रही। श्रद्धालुओं को पूड़ी, हलवा का प्रसाद वितरित किया गया। यह श्रद्धा शाम तक बहती रही।
दशकों से जिस घड़ी का इंतजार था, वह आई तो ब्रजवासियों की खुशियों का पारावार नहीं रहा। राममंदिर के भूमिपूजन का उल्लास ऐसा था कि कान्हा की नगरी राम के रंग में रंग गई। चप्पा-चप्पा राम के नारों से गूंजा, गली-गली श्रद्धा से सराबोर रही। भगवान राम जब अयोध्या लौटे तो दिवाली हुई थी, लेकिन कान्हा की नगरी में तो तीन माह पहले ही ब्रजवासियों ने दिवाली मना ली। खुशियों की इस दिवाली में हर ओर बस राम ही राम थे।
अयोध्या में भूमिपूजन बुधवार को था, लेकिन लीलाधर की नगरी में तो दो दिन पहले से ही उल्लास छाया है। घर-घर राम की गूंज है। आस्था और श्रद्धा में रचे-बचे इस शहर में गांव तक खुशियां हैं। सुबह से राम के नारों की गूंज शुरू हो गई। चौक चौराहों पर जो उल्लास दिखा, उसने राम मंदिर को लेकर ब्रजवासियों की बेसब्री भी बयां कर दीं। आंखों में चमक यूं ही नहीं थी। आराध्य के अपने घर पहुंचने की उनमें खुशियां समाई थीं। मर्यादा पुरुषोत्तम को घर मिला, तो अपने कान्हा भी खुद की खुशी रोक न पाए। खुद राम के रूप में जब भक्तों के सामने आए, तो मानों रामलला अयोध्या से चलकर खुद आ गए हों। रामलला के जन्मस्थान के लिए श्रीकृष्ण के जन्मस्थान की खुशियों ने बहुत कुछ कह दिया। जग में सुंदर हैं दो नाम, चाहे कृष्ण कहो या राम। मंदिरों में जब ये कर्णप्रिय संगीत बजा, तो कृष्ण उपासक राम के रंग में रंग गए। कान्हा के हर मंदिर में आज केवल राम ही राम नजर आए। जिस गोवर्धन पर्वत को कृष्ण ने अपनी अंगुली पर उठाया था, आज वह गोवर्धन महाराज भी झिलमिल रोशनी से सराबोर 51 सौ दीपों की माला पहन इतराते नजर आए। घर-घर राम चरित मानस का पाठ हुआ, तो हनुमान चालीसा और सुंदरकांड की चौपाइयां भी कानों में गूंजती रहीं। ब्रजवासी शाम को दिवाली मनाने का बेसब्री से इंतजार करते रहे। अंधेरा छाया, तो उसे खुशियों से तारी दीपों की रोशनी के आगे हार माननी पड़ी। 7 दिन बाद जिस कान्हा की नगरी मेें उनका जन्मोत्सव मनाया जाना है, वह आज उनके राम के रूप का गुणगान कर रही थी।