Ram Mandir Ayodhya: अयोध्या में मंदिर निर्माण, कान्हा के अंगना बाजी बधाई
Ram Mandir Ayodhya ब्रज का कण-कण रोमांचित-जन-जन गा रहा राम की महिमा। फिर मनेगी दीवाली कृष्ण के मंदिरों में हो रहा हवन-पूजन।
आगरा, विनीत मिश्र। वहां मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम हैं, यहां नटवर नागर नंदकिशोर। अयोध्या में भगवान राम के मंदिर की आधारशिला रखने की तैयारी हो रही है, तो कान्हा के अंगना में बधाई बज रही है। ब्रज का कण-कण रोमांचित है, जन-जन राम की महिमा गा रहा है। कृष्ण के मंदिरों में हवन पूजन के बीच मंगलगान हो रहे हैं।
ब्रज में राम मंदिर निर्माण की ये खुशी यूं ही नहीं है। दरअसल, ब्रज में कृष्ण जितने प्रिय हैं, उतनी ही राम की उपासना होती है। इसके पीछे अटूट रिश्ता भी है। त्रेतायुग में राम के रूप में भगवान विष्णु ने अवतार लिया, तो द्वापर में विष्णु जी कृष्ण के रूप में आए। राम और कृष्ण के बीच रिश्तों के इस भाव को ब्रजवासी दिल से लगाए हैं। दरअसल, अयोध्या और मथुरा के बीच एक नाता और भी है। सैकड़ों वर्षों से ब्रजवासियों की अभिलाषा आराध्य को मंदिर में देखने की थी। आज वह घड़ी आई, तो खुशियां हर घर पसरी हैं। मथुरावासी खुश हैं, इसके लिए श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर सोमवार से ही उल्लास छाया है। शिवपूजा हुई और मंगलवार से भगवान शिव मंदिर पर रामचरित मानस का पाठ शुरू हो गया। यहां राम दरबार भी है, लेकिन शिव मंदिर पर पाठ शुरू करने के पीछे तर्क ये है कि भगवान राम हर काम शिव जी की उपासना के साथ शुरू करते हैं। उधर, नंदगांव स्थित नंदबाबा मंदिर में 108 श्रीरामरक्षा स्त्रोत, 108 श्रीगोपाल सहस्त्रनाम स्त्रोत पाठ, अखंड श्री रामचरित मानस पाठ शुरू हो गया है। वहीं रावल के राधारानी मंदिर को रंगीन रोशनी से सराबोर किया जा रहा है। बुधवार को अखंड कीर्तन होगा। बरसाना स्थित श्रीजी मंदिर में बुधवार को अखंड रामचरित मानस का पाठ होगा, मंदिर परिसर को सजाया गया। बुधवार को वृंदावन के प्रमुख मंदिरों से लेकर तिराहा- चौराहा तक दीपोत्सव होगा।
ध्रुव की तपस्थली, शत्रुघन की राजधानी रही है मथुरा
अयोध्या का मथुरा से गहरा नाता रहा है। मथुरा भगवान राम के पूर्वज ध्रुव की तपस्थली रही है। यमुना तट पर ध्रुव टीले पर भक्त ध्रुव को नारायण की प्राप्ति के लिए नारद मुनि ने द्वादशाक्षर मंत्र दिया था। मधुवन (अब महोली) में ध्रुव ने तपस्या की थी। यहीं पर नारायण श्रीहरि विष्णु ने उन्हें दर्शन दिए। आज भी यमुना किनारे ध्रुव टीला और ध्रुव नारायण मंदिर है। श्रीमद् भागवत कथा आयोजन समिति के संस्थापक अमित भारद्वाज बताते हैं कि वाल्मीकि रामायण के उत्तराखंड में शत्रुघन के मथुरा में शासन करने का उल्लेख मिलता है। शत्रुह्न ने यहां दैत्य लवणासुर का वध किया था। मथुरा के छत्ता बाजार पापड़वाली गली में शत्रुह्न और उनकी पत्नी श्रुतकीर्ति का मंदिर है। वह बताते हैं कि लंकापति रावण का वध करने पर प्रभु राम पर ब्रह्महत्या का दोष लगा। ऐसे में ब्रह्महत्या दोष से निवारण के लिए ब्राह्मणों को आमंत्रित किया था। ब्राह्मणोंत्पति नामक प्राचीन ग्रंथ में इस बात का उल्लेख है कि मथुरा से भी बड़ी संख्या में ब्राह्मण अनुष्ठान के लिए गए थे।