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अपने सूरमा की रणनीति पर जयंत की नजर

रालोद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयंत चौधरी अभी तक निकाय चुनाव प्रचार को आए नहीं हैं, लेकिन वे पार्टी के सबसे बड़े स्टार प्रचारक हैं। इसलिए उनकी और चारू चौधरी की प्रत्याशी डिमांड कर रहे हैं। जयंत चौधरी की टीम भी मेयर पद के चुनाव और अपने दल के प्रत्याशी और स्थानीय पदाधिकारियों की रणनीति पर नजर बनाए हुए हैं। वे पार्टी के पुराने और भरोसेमंद पदाधिकारियों से पूछ रहे हैं कि चुनाव प्रचार कैसा चल रहा है। प्रत्याशी कैसा लड़ रहा है, शहर में पार्टी उम्मीदवार के प्रति क्या संदेश है। क्या मुझे प्रचार के लिए आना चाहिए? इतना ही नहीं वे सुझाव दे रहे हैं और सुझाव प्राप्त भी कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 14 Nov 2017 12:34 AM (IST)Updated: Tue, 14 Nov 2017 12:34 AM (IST)
अपने सूरमा की रणनीति पर जयंत की नजर
अपने सूरमा की रणनीति पर जयंत की नजर

जागरण संवाददाता, आगरा: रालोद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयंत चौधरी अभी तक निकाय चुनाव प्रचार को आए नहीं हैं, लेकिन वे पार्टी के सबसे बड़े स्टार प्रचारक हैं। इसलिए उनकी और चारू चौधरी की प्रत्याशी डिमांड कर रहे हैं। जयंत चौधरी की टीम भी मेयर पद के चुनाव और अपने दल के प्रत्याशी और स्थानीय पदाधिकारियों की रणनीति पर नजर बनाए हुए हैं। वे पार्टी के पुराने और भरोसेमंद पदाधिकारियों से पूछ रहे हैं कि चुनाव प्रचार कैसा चल रहा है। प्रत्याशी कैसा लड़ रहा है, शहर में पार्टी उम्मीदवार के प्रति क्या संदेश है। क्या मुझे प्रचार के लिए आना चाहिए? इतना ही नहीं वे सुझाव दे रहे हैं और सुझाव प्राप्त भी कर रहे हैं।

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राष्ट्रीय लोकदल अब तक विधानसभा और लोकसभा चुनाव में जोर आजमाइश करता रहा है और पहली बार निकाय चुनाव में भाग लिया। इस लिहाज से शहरी वोटर रालोद के लिए नए हैं, लेकिन आगरा के मुद्दों को रालोद का पूर्व में समर्थन मिलता रहा है, जैसे वेस्ट यूपी में हाईकोर्ट की बैंच की स्थापना, वेस्ट यूपी के नाम से अलग राज्य की स्थापना आदि यहां की मांगों को रालोद ने पूर्व में खूब हवा दी थी, हालांकि सफलता नहीं मिली। रालोद के शीर्ष नेताओं को उम्मीद है कि निकाय चुनाव में उनकी पार्टी पहली बार जरूर सिंबल पर उतरी है,लेकिन आगरा से उनका नाता पुराना है। चौधरी अजित सिंह की पार्टी से 1989 में आगरा से अजय सिंह सांसद चुने गए थे। इधर, जयंत चौधरी पार्टी के पुराने पदाधिकारियों से स्थानीय परिस्थितियों के लिहाज से मशविरा मांगा है, जातीय समीकरणों पर जानकारी साझा की है। प्रत्याशी की भूमिका, संदेश, असर, छवि आदि पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया है। स्थानीय पदाधिकारियों ने सुझाव दिया है कि अगर आप आएं तो चुनाव रोचक हो सकता है, परिणाम भले ही कुछ भी आए, लेकिन शहर की सियासत में पार्टी की एंट्री जनाधार के संदेश के साथ हो सकती है। कुछ पार्टी के पदाधिकारियों ने प्रत्याशी की कमियों से भी अवगत कराया है। जयंत चौधरी ने चुनाव प्रचार को तेज करने के लिए किन-किन का सहयोग लेना चाहिए, इसके बारे में राय साझा की है। रालोद की जिलाध्यक्ष डॉ. मालती चौधरी का कहना है कि जयंत चौधरी का आगरा के चुनाव प्रचार को प्रभाव बनाने पर फोकस है, कुछ लोग नाराज है, उनकी नाराजगी दूर करने को पर्यवेक्षक कृष्ण पाल राठी एक-दो दिन में आने वाले हैं।


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