बिजली के बाद भी रेलवे फूंक रहा जेनरेटर कार में डीजल
हर राजधानी एक्सप्रेस में हैं दो जेनरेटर कार, प्रत्येक में होते हैं दो डीजल जेनरेटर
आगरा(निर्लोष कुमार): रेलवे ओवरहेड इलेक्ट्रिक (ओएचई) होने पर भी जेनरेटर कार का उपयोग ट्रेनों में कर रहा है। राजधानी एक्सप्रेस में ही दो जेनरेटर कार लगी हैं। इससे होने वाले ध्वनि व वायु प्रदूषण से यात्रियों के अलावा स्टेशनों पर मौजूद लोग भी परेशान होते हैं।
स्वामीबाग निवासी अधिवक्ता आदित्य पारौलिया ने रेलवे मंत्रालय से दिसंबर, 2017 में सूचना का अधिकार (आरटीआइ) में जानकारी मांगी थी। उन्होंने राजधानी एक्सप्रेस, जेनरेटर कार, डीजल के उपयोग की मात्रा व ध्वनि प्रदूषण के बारे में पूछा था। जानकारी न मिलने पर अपील की। इसके बाद रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड्स ऑर्गेनाइजेशन (आरडीएसओ) लखनऊ ने उन्हें बताया कि राजधानी में जेनरेटर कार के स्थान पर लोकोमोटिव से पावर सप्लाई का सिस्टम तैयार किया जा रहा है।
पर्यावरण के क्षेत्र में काम कर रहे डॉ. शरद गुप्ता बताते हैं कि एक्स्ट्रा लग्जरी के नाम पर रेलवे ने राजधानी में खर्चा बढ़ा रखा है। शताब्दी व अन्य ट्रेनों में एसी ओएचई से चल रहे हैं। राजधानी से जेनरेटर कार क्यों नहीं हटाई गईं? इसका जवाब किसी अधिकारी के पास नहीं है।
यह है वर्तमान स्थिति:
- 24 राजधानी देशभर में विभिन्न रूटों पर दौड़ रही हैं
- 04 राजधानी एक्सप्रेस गुजरती हैं आगरा से होकर
- 40 ट्रेनों से जेनरेटर कार हटाई जा चुकी हैं।
- 99 डेसीबल तक एक जेनरेटर कार से होता है ध्वनि प्रदूषण
- 75 डेसीबल अधिक निर्धारित सीमा है ध्वनि प्रदूषण की यूपीपीसीबी का नहीं ध्यान: उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) का रेलवे द्वारा जनरेटर कार का उपयोग करने की ओर ध्यान नहीं है। इससे अधिक नहीं होनी चाहिए ध्वनि:
स्थान, दिन, रात
औद्योगिक क्षेत्र, 75, 70
व्यावसायिक क्षेत्र, 65, 55
आवासीय क्षेत्र, 55, 45
शांत क्षेत्र, 50, 40 हर ट्रेन में लगे हैं आल्टरनेटर:
राजधानी को छोड़कर शताब्दी व अन्य ट्रेनों में आल्टरनेटर व डायनेमो लगे हैं। आल्टरनेटर बिजली बनाते हैं, डायनेमो बैकअप के काम आते हैं।
-संचित त्यागी, डीसीएम/पीआरओ आगरा मंडल