Rahat Indori: हर साल इस वजह से ताजनगरी में आना चाहते थे राहत इंदौरी
Rahat Indori इस शहर की तहजीब व श्रोता उन्हेंं थे पसंद। सूर नजीर गालिब की करते थे कद्र।
आगरा, जागरण संवाददाता। विख्यात शायर राहत इंदौरी का मंगलवार को इंतकाल हो गया। उन्हेंं आगरा की तहजीब और श्रोता बहुत पसंद थे, इसलिए वे बार-बार आना चाहते थे। यहां की साहित्यिक जमीं के प्रति उनकी अगाध निष्ठा थी।
राहत इंदौरी ने उर्दू शायरी को एक नया रूप दिया था, लेकिन पुरानी बुनियाद से जुड़े रहे। यही वजह है कि उनके चाहने वालों में हर वर्ग, हर आयु के लोग शामिल हैं। शहर के वरिष्ठ शायर अमीर अहमद ने बताया कि गहरी से गहरी बात व बड़े से बड़े व्यंग्य को सीधे सरल शब्दों में पेश करने की खूबी ने उन्हेंं सफलता व लोकप्रियता के शीर्ष पर स्थापित कर दिया था। हालत ये हो गई कि मुशायरे में राहत साहब के काव्य पाठ के पश्चात किसी भी शायर को लोग सुनना ही पसंद नहीं करते थे।
वर्ष 2017 में जब फिराक अवार्ड लेने आए, तब कई बीमारियों ने उन्हेंं घेर रखा था। मिजाज पूछने पर हंसते हुए बोले, दुनियां की सभी बीमारियों ने मेरे जिस्म में अपना डेरा जमा लिया है।
जब स्टेज पर माइक के सामने आते तो लगता ही नहीं था कि वह बीमार हैं।
हास्य कवि व व्यंग्यकार पवन आगरी ने कहा कि कि मेरे संयोजन में वर्ष 2018 में सूरसदन में हुए मुशायरों में वे दो बार आए। राहत साहब अपने फन के बड़े शायर थे। वो अपनी शायरी में बेबाकी से सियासी तंज किया करते थे।
2017 में दिया था फिराक इंटरनेशनल अवार्ड
चित्रांशी संस्था के अध्यक्ष केसी श्रीवास्तव ने बताया कि 26 मार्च वर्ष 2017 को होटल ग्रांड में संस्था द्वारा आयोजित 35वें कुल हिंद मुशायरे में उन्हेंं सम्मानित किया था। उन्हेंं 51 हजार रुपये की सम्मान राशि के साथ फिराक इंटरनेशनल अवार्ड से नवाजा था। श्रीवास्तव ने बताया इंदौरी सरीखे शायर का जाना उर्दू साहित्य की बहुत बड़ी क्षति है। उपाध्यक्ष डॉ. बीएन कौशल, महासचिव अमीर अहमद अधिवक्ता, जीडी शर्मा, तरुण पाठक, हरीश सक्सेना 'चिमटीÓ, डॉ. महेशचंद्र धाकड़, शिवराज यादव, डॉ. त्रिमोहन 'तरलÓ आदि ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है।