लाड़िली महल में जन्मीं वृषभानु नंदिनी, उल्लास में डूबी ब्रज की नगरी
सुबह चार बजे अभिषेक के साथ शुरू हुआ राधारानी का प्राकट्य उत्सव। सड़कों पर राधा कृष्ण के स्वरूप कर रहे हैं नृत्य।
आगरा(जेएनएन): रात भर की जगार से सूजी आखें और थके पैर जब सड़कों पर थिरके तो जाम लग गया। राधा के जन्म के साथ ही बरसाना इस कदर भक्ति की मस्ती में डूबा कि हर गली लाली के जयकारों से गूंज गई। पुलिस को व्यवस्था संभालने के लिए कई जगह हुज्जत करनी पड़ी। सखी रूप में सजे स्वरूपों के सड़कों पर नृत्य से जाम लग गया।
ब्रज को लेकर बैजू बावरा का एक पद है। ज्ञानी, गुमानी, धनी जाओ रे यहा से, यहा तो राज है बावरे ठाकुर को। लाड़ली के जन्म के उत्सव पर भक्ति का यह बावरापन सड़कों पर साफ दिखा। इस मस्ती को वही समझ सकते हैं जो भक्ति के राग में डूबे हैं।
सुबह के चार बजते ही शखनाद से जन्मोत्सव शुरू हो गया। 170 लीटर दूध, 80 किलो दही, 20 किलो शहद,10 किलो घी और 30 ग्राम केसर सहित तमाम सामिग्री एकत्रित कर महाभिषेक किया गया। पंचामृत महाभिषेक डेढ घटे तक चला। अभिषेक के बाद छह बजे पीतवस्त्र पहना कर मंगला आरती की गई।
इसके बाद साढ़े आठ बजे श्रृंगार आरती में राधारानी को गुलाबी वस्त्र पहनाए गए। इसके बाद समाज गायन का सिलसिला दिन भर चलता रहा। राधाजन्म की सूचना के साथ ही कृष्ण और राधा के स्वरूप धरे लोग गलियों में न जाने कहा से हुजूम उमड़ पड़े। डीजे की धुन पर फिर नृत्य का सिलसिला शुरू हुआ तो फिर सड़कें जाम हो गईं। कस्बे के गोपाल जी मन्दिर, रस मन्दिर, मान मन्दिर, रंगीली महल, दानगढ़, कुशल बिहारी मंदिर, अष्टसखी मंदिर, श्याम श्याम मंदिर, महीभान मंदिर, बृषभान मंदिर, राम मंदिर सहित आदि में भी राधारानी का जन्मोत्सव मनाया गया। राधारानी की ननिहाल रावल में भी जन्मोत्सव धूमधाम से मना। रावल वालों की मान्यता है कि उनका जन्म ननिहाल में ही हुआ। यहा साढ़े पाच बजे कार्षि्ण गुरु गुरुशरणानंद महाराज ने पंचामृत अभिषेक कराया।
इस तरह चल रहा है जन्मोत्सव का क्रम:
रात 1:00 बजे- सेवायतों ने मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश किया।
सुबह 4:00 बजे- सुबह चार बजे तक राधारानी की मूल शाति के लिए पाठ।
सुबह 5:00 बजे- सुबह चार से साढ़े पाच बजे तक पंचामृत अभिषेक।
सुबह 6:00 बजे- सुबह छह से सात बजे तक मंगला आरती के दर्शन हुए।
सुबह 7:00 बजे- फिर से पट बंद हुए।
सुबह 8:00 बजे- श्रृंगार आरती के दर्शन दोपहर ढाई बजे के लिए शुरू हुए।
दोपहर 2: 30 बजे- दोपहर में मंदिर के पट फिर बंद हुए।
शाम 5:00 बजे- शाम को राधारानी का डोला सफेद छतरी पर लाया गया।
शाम 7:00 बजे- गोस्वामी समाज की कन्याओं ने राधारानी का आरता किया।
रात 9:00 बजे- शाम से रात नौ बजे तक राधारानी ने दर्शन दिए।