Deepawali 2020: बिछेगी आज रात बिसात, राधारानी संग चौसर खेलेंगे ठाकुर जी
Deepawali 2020 दीपावली पर मंदिर के सेवायत ठाकुरजी व राधारानी का प्रतिनिधित्व करते हुए चौसर के पासे फेकेंगे। दर्शन को आए श्रद्धालु भी इसका आनंद लेने के लिए ठहर जाएंगे। दीपावली पर मंदिर में चौसर खेलने की अनोखी प्राचीन परंपरा है।
आगरा, जेएनएन। खेलत चौपर मैन की माई। हास सिगार भाव अनुराग की सार बनी सुखदाई। राधाबल्लभीय संप्रदाय के रसिकाचार्यों की इन पंक्तियों का गायन करते हुए दीपावली पर मंदिर के सेवायत ठाकुरजी व राधारानी का प्रतिनिधित्व करते हुए चौसर के पासे फेकेंगे। दर्शन को आए श्रद्धालु भी इसका आनंद लेने के लिए ठहर जाएंगे। दीपावली पर मंदिर में चौसर खेलने की अनोखी प्राचीन परंपरा है, जिसके दर्शन के लिए श्रद्धालु लंबे समय तक बेताब रहते हैं। श्रद्धालु उनके दर्शन पाकर स्वयं को धन्य अनुभव करते है। प्राचीन अवधारणा है कि दीपावली की रात जुआ खेला जाए। इसी मान्यता के चलते ब्रज की देवालयी संस्कृति में इसकी आनुष्ठानिक झलक दीपावली की रात देखने को मिलती है। राधाबल्लभ मंदिर में यह खेल दीपावली का मुख्य आकर्षण होता है। चांदी की हटरी में राजशाही अंदाज में ठा. राधाबल्लभ लालजू विराजेंगे और सामने बिछी होगी चौपड़ की बिसात। राधारानी और ठाकुरजी के दो अलग-अलग प्रतिनिधियों के रूप में सेवायत बाजी मारेंगें। सुबह श्रृंगार आरती से राजभोग आरती तक और शाम को धूप आरती से शयन भोग आरती तक यह खेल खेला जाएगा।
मंदिर में चौसर का ये शह-मात का खेल घंटों चलेगा, लेकिन परंपरा के अनुसार जीत राधारानी की ही होगी। मान्यता है कि वृंदावन राधारानी का निज धाम है। यहां सत्ता राधारानी की ही चलती है। धर्म साहित्य का उल्लेख करते हुए मंदिर के सेवाधिकारी देवकी नंदन गोस्वामी कहते हैं कि ठा. राधाबल्लभ लालजू राजा के रूप में दीपावली पर भक्तों को दर्शन देंगे। मंदिर में प्राचीन परंपरा है कि दीपावली पर ठाकुरजी चौसर खेलते हैं। इसी परंपरा का निर्वहन आज भी विधि विधान पूर्वक सेवायत गोस्वामी करते हैं। राधाबल्लभीय संप्रदाय के रसिकों ने भी अपने धर्म साहित्य में इसका उल्लेख किया है।