जागरण विमर्श: इस बार जातिगत समीकरणों में नहीं फंसी जनता, विकास रहा मुख्य वजह
लोकसभा चुनाव में लोगों ने जाति फेक्टर नकारा विकास को तवज्जो दी। भारतीय लोकतंत्र परिपक्व होने की दिशा में कास्ट लाइन पड़ी धुंधली।
आगरा, नेहा सिंह। जातिगत राजनीति से निजी स्वार्थ तो सिद्ध हो सकता है, लेकिन देश के विकास के लिए यह ठीक नहीं है। देशवासियों के समझ में यह अब भलीभांति आ गया है। यही कारण है कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में जातिवाद व परिवारवाद की राजनीति को मतदाताओं ने सिरे से नकार दिया। उन्होंने विकास को तवज्जो दी है। यह देश के लिए सुखद संदेश भी है।
यह कहना है डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल सांइस के प्रो. मोहम्मद अरशद का। उन्होंने सोमवार को दैनिक जागरण कार्यालय में आयोजित 'जागरण विमर्श' कार्यक्रम में 'क्या दम तोड़ रही जाति की राजनीति' विषय पर विचार रखे। उन्होंने कहा कि आपातकाल के बाद के दशक में कई राज्यों में जाति पर आधारित पार्टियों की नींव पड़ी थी।
तब चुनाव में मोबलाइजेशन का आधार जाति ही थी। टिकट देने में भी कास्ट फैक्टर चलता था। राजनीति के इस चलन को देशहित में सही नहीं कहा जा सकता। वर्ष 2019 के चुनाव में मतदाताओं के बदले रुख से गठबंधन और कास्ट फैक्टर के जरिए जीत की उम्मीद लगाए बैठीं पार्टियों को झटका लगा। दिल्ली, हरियाणा, अरुणाचल प्रदेश सहित 17 प्रदेशों में भाजपा को 50 फीसद से अधिक वोट मिलना इसका प्रमाण है। मतदाताओं के बदले मूड से साफ है कि भारतीय लोकतंत्र अब परिपक्व हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने समाज की भावनाओं को समझते हुए चुनाव के लिए प्लानिंग की। दूसरी पार्टियों को भी अब ऐसा ही करना होगा।
खत्म होने के कगार पर वंशवादी राजनीति
वंशवादी राजनीति के खिलाफ देश में माहौल बन रहा है। नरेंद्र मोदी ने इसे 'नामदार' का नाम देकर खूब भुनाया। पुलवामा, बालाकोट कुछ ऐसे मुद्दे रहे, जिन्होंने पूरे देश को एकजुट किया। इससे कास्ट लाइन धुंधली पड़ी। वहीं समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के मतदाताओं की आपस में केमिस्ट्री नहीं बन पाई।
अल्पसंख्यकों को अपनाने का संदेश बेहतर
प्रो. अरशद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सबका साथ-सबका विकास में सबका विश्वास के माध्यम से जो अल्पसंख्यकों को अपनाने का संदेश दिया है वह उचित ही है। उनका कहना है कि बीजेपी ने देश की सुरक्षा और विकास के जरिए लोगों के दिलों में जगह बनाई। घटनाएं घटने के बाद पॉलिटिकल पार्टी की क्या प्रतिक्रिया होती है, इसका प्रभाव सीधा जनता पर पड़ता है। मुस्लिम समाज भी देशहित में बदलाव चाहता है। जरूरत है उसे समझने की और उसका विश्वास जीतने की।
जनता तक सही प्रकार नहीं पहुंची न्याय योजना
प्रो. अरशद का कहना था कि कांग्रेस की न्याय योजना जनहितकारी थी। लेकिन इसे जनता को समझाया नहीं जा सका। लिहाजा उसका लाभ भी कांग्रेस को चुनाव में नहीं मिला।
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