Progressive Farming: लॉकडाउन में छूटी नौकरी तो यूट्यूब देख आया ख्याल, मशरूम करा रहा अब कमाई
आगरा जनपद में वर्ष 2020 में कोरोना वायरस संक्रमण काल के चलते किसान परिवारों ने भी विपरीत परिस्थतियों का सामना किया। आवश्यकता अविष्कार की जननी होती है यह कहावत यहां सही बैठी और तमाम किसान अब परंपरागत खेती से मुंह मोड़ चुके हैं।
आगरा, जागरण संवाददाता। कोरोना वायरस संक्रमण काल के चलते किसान परिवारों पर आए संकट के चलते रोजगार के नए विकल्प तलाशे गए। पारंपरिक खेती के अलावा अब किसान का ध्यान उसे हट कर दूसरी ओर भी आकर्षित हो रहा है। लॉकडाउन में नौकरी छूटने पर यूट्यूब पर वीडियो देखते हुए मन में ख्याल आया और एक किसान परिवार के बेटे ने मशरूम की खेती शुरू कर दी। उसके देखादेखी आगरा के इरादतनगर क्षेत्र में चार किसानों ने पारंपरिक खेती से हटकर मशरूम की खेती की और अब उसका लाभ ले रहे हैं।
एक ओर जहां कोरोना ने लोगों से उनके रोजगार छीन लिए वहीं दूसरी और इस मुसीबत के दिनों में लोगों ने जिंदगी को फिर से पटरी पर लाने के लिए नए-नए तरीके खोजे हैं। इनमें शामिल हैं इरादतनगर निवासी केशव शर्मा, सतीश शर्मा, बंटू और मनोज। केशव शर्मा ने बताया कि लाकडाउन के दौरान उनकी और उनके दोस्तों की नौकरी छूट गई थी। वहीं कोरोनाकाल की वजह से कहीं और काम भी नहीं मिल रहा था। तब उनके मन में मशरूम की खेती करने को विचार आया और सभी ने मिलकर मशरूम की खेती की। अब चारों इसका लाभ ले रहे है। बाजार में मशरूम के अच्छे दाम मिल रहे हैं। सतीश शर्मा ने बताया है कि दो कमरों में 2200 बैग मशरूम तैयार किया है।
ये है फसल का सही समय
मशरूम की खेती अक्टूबर माह से शुरू होकर अप्रैल तक चलती है, इसे व्यापारी थोक के भाव मे खरीद कर कोल्ड स्टोर में रख देते हैं।
यूट्यूब देखकर आया ख्याल
किसान केशव शर्मा ने बताया कि लाकडाउन के दौरान वह यूट्यूब पर वीडियो देख रहे थे। मशरूम की खेती का वीडियो देखकर अपने दोस्तों से बात कर इसकी खेती करना शुरू कर दिया।
ग्वालियर की मंडी में भेजा जा रहा मशरूम
किसानों ने बताया कि 50 हजार रुपये की लागत से शुरू की गई खेती से तीन लाख रुपये की पैदावार हुई है। हरा फल 200 रुपये किलोग्राम व सूखी मशरूम 500 से 700 रुपये प्रति किलोग्राम है। कस्बे की मंडी के अलावा आगरा व प्रदेश से बाहर ग्वालियर की मंडियों में मशरूम की काफी मांग है।