स्वतंत्रता के सारथी: भले ही हैं सलाखों के पीछे, पर पर्यावरण बचाने में आगे Agra News
प्लास्टिक और पॉलीथिन की ईको ब्रिक्स बना रहे बंदी। अनफोल्ड फाउंडेशन की मुहिम से जुड़ रहे हैं शहर के संगठन।
आगरा, निर्लोष कुमार। वो है भले ही सलाखों के पीछे, लेकिन प्लास्टिक और पॉलीथिन से ईको ब्रिक्स बनाकर पर्यावरण संरक्षण में अहम योगदान कर रहे हैं। शहर के पर्यावरण को जख्मी करती पॉलीथिन और प्लास्टिक की समस्या का निदान तो मिला ही है, उन्हें मेहनताना भी मिल रहा है।
शहर के लिए नासूर बन रहे पॉलीथिन और प्लास्टिक के कचरे से बचाने और उसके दुरुपयोग के बारे में अनफोल्ड फाउंडेशन द्वारा लोगों को जागरूक किया जाता था। लोग पैकेजिंग की पॉलीथिन के खत्म करने पर सवाल करते थे, तो उनके पास जवाब नहीं होता था। अनफोल्ड फाउंडेशन की चीफ कोऑर्डिनेटर डॉ. मीता कुलश्रेष्ठ इंडोनेशिया घूमने गईं तो इन सवालों का जवाब ईको ब्रिक्स के रूप में लेकर आईं। लाजपत कुंज पार्क में ईको ब्रिक्स से बेंच व स्टूल बनाने के साथ नए मिशन की शुरुआत हुई। शहर की संस्थाओं को प्लास्टिक व पॉलीथिन के कचरे के निदान का यह प्रयोग रास आया। इसके बाद कारवां बनता गया। पर्यावरण प्रेमी हरविजय वाहिया और आगरा विकास मंच के अशोक जैन सीए के जुडऩे से इसे गति मिली। जिला जेल में बंदियों को ईको ब्रिक्स बनवाने का प्रशिक्षण दिया गया।
जिला जेल अधीक्षक शशिकांत मिश्रा ने बताया कि सौ से अधिक बंदी ईको ब्रिक्स बना रहे हैं। उन्हें एक ब्रिक्स बनाने पर पांच रुपये बतौर प्रोत्साहन राशि दिए जाते हैं। इन्हें आगरा विकास मंच द्वारा खरीदा जाता है। ईको ब्रिक्स बनाने के लिए मंच सामाजिक संस्थाओं से प्लास्टिक की बोतलें व पॉलीथिन जुटाते हैं।
जगह मिले तो बनाएं स्कल्पचर
अनफोल्ड फाउंडेशन की डॉ. मीता कुलश्रेष्ठ ने बताया कि वो बंदियों को ईको ब्रिक्स से फर्नीचर बनाने का प्रशिक्षण देने की तैयारी कर रही हैं। उन्होंने इससे स्टूल बनाए हैं। शहर में जगह मिलने पर ईको ब्रिक्स से स्कल्पचर बनाया जाएगा। इससे लोगों को यह जानकारी मिलेगी कि पॉलीथिन व प्लास्टिक के कचरे का कैसे निस्तारण कर सकते हैं।
बनाए गए टेबल लैंप, ट्री गार्ड, स्टूल
ईको ब्रिक्स का इस्तेमाल न केवल दीवार बनाने में हो रहा है, उससे अन्य वस्तुएं भी बनाई जा रही हैं। समाजसेवी हरविजय वाहिया ने इससे टेबल लैंप और ट्री गार्ड बनाए हैं। अनफोल्ड फाउंडेशन ईको ब्रिक्स से अब स्टूल, टेबल का बेस आदि बना रहा है।
प्लास्टिक के नुकसान
-पॉलीथिन जलाने से वायु प्रदूषण बढ़ता है। उससे निकलने वाली हानिकारक गैसें मानव स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेय हैं।
-पॉलीथिन नष्ट नहीं होती और जमीन की उर्वरा क्षमता को प्रभावित करती है।
-नाले-नालियां चौक कर देती है।
-कूड़ा-करकट में 50-60 फीसद हिस्सा प्लास्टिक-पॉलीथिन का होता है। यह सड़कों पर बिखरी रहती हैं।
अब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप