आयकर छूट का लाभ लेने वाली संस्थाओं पर कसेगा शिकंजा, होगी जांच
नए वित्तीय वर्ष में ऐसी संस्थाओं की जांच कर परखा जाएगी उद्देश्य पूर्तिप्रधान मुख्य आयकर आयुक्त बोले व्यापार और छूट नहीं मिलेगी साथ
By Edited By: Published: Sat, 13 Apr 2019 08:00 AM (IST)Updated: Sat, 13 Apr 2019 08:01 AM (IST)
आगरा, जागरण संवाददाता। आयकर छूट का लाभ लेने वाले ट्रस्ट, कंपनी, शिक्षण संस्थान और धर्मार्थ संस्थाओं पर शिकंजा कसने की तैयारी हैं। उन्हें अपने उद्देश्य साबित करने होंगे। ऐसा न कर पाने पर उनको छूट के लाभ से वंचित होना पड़ सकता है। विभाग नए वित्तीय वर्ष से ऐसी संस्थाओं की गंभीरता से जांच करेगा, जो छूट के नाम पर राजस्व बचत का तो पूरा लाभ उठाते हैं, लेकिन सेवार्थ काम की आड़ में अपना कारोबार चलाते हैं। प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त व प्रधान मुख्य आकर आयुक्त छूट, पश्चिमी उप्र व उत्तराखंड प्रमोद कुमार गुप्ता ने यह बात कही। शुक्रवार को संजय प्लेस स्थित आयकर भवन में वह मीडिया से रूबरू हुए। उन्होंने कहा कि आयकर विभाग का छूट देने लक्ष्य 11 लाख करोड़ है, जबकि मोटे-मोटे आंकड़े के अनुसार करीब 25 लाख करोड़ की छूट दी जा रही है, जिसका सीधा असर विभागीय राजस्व पर पड़ रहा है। लिहाजा मौजूदा नए वित्तीय वर्ष में छूट का लाभ लेने वाले ऐसे ही ट्रस्ट, शिक्षण संस्थानों, कंपनी, धर्मार्थ संस्थानों आदि की नियमित जांच होगी। परखा जाएगा कि जिन उद्देश्यों के लिए उन्हें छूट दी जा रही हैं, वह उनकी पूर्ति कर भी रहे हैं या नहीं। सीबीडीटी कर रही है मंथन उन्होंने बताया कि काफी समय से इस पर मंथन चल रहा है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के भी निर्देश हैं। संभवत शुरूआत 500 टॉप ट्रस्ट से होगी, कि वह उद्देश्यों की अवहेलना तो नहीं कर रहे। यह वर्ष विभाग का एक्सपेरिमेंट ईयर होगा, जिसके सांकेतिक तौर पर लिया जाएगा। धर्मार्थ संस्थाएं भी जद में आएंगी। हालांकि धार्मिक भावनाओं को ठेस न पहुंचे, इसका भी ध्यान रखा जाएगा। शुरूआत पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से होगी। शिक्षण संस्थाओं पर नजर कई शिक्षण संस्थाएं आयकर छूट का लाभ लेने के बाद भी किताब से फीस तक व्यापारिक तौर से वसूली कर रही हैं। विभाग की नजर इस पर भी है। उन्होंने बताया कि शिकायतें मिली हैं, जो शिक्षण संस्थान जांच में चिह्नित विक्रेताओं से किताब, ड्रेस आदि बिक्री कराता मिला या फीस वसूली से जुड़ी अनियमितताएं मिलीं, तो उनकी छूट का लाभ खत्म कर उन्हें व्यापारिक संस्था मान टैक्स वसूला जाएगा। ऐसे हुई शुरुआत सेवार्थ कार्य की आड़ में व्यापारिक हित साधने के मामलों का पिछले दिनों राजफाश हुआ, जब विभाग ने महाराष्ट्र आदि राज्यों में ऐसी ही 30 संस्थाओं पर सर्वे किया। कार्रवाई में 900 करोड़ की करापवंचना भी पकड़ी थी। वित्तीय सत्र में पौने छह हजार करोड़ से ज्यादा थी। लक्ष्य पूर्ति में रीजन सर्वश्रेष्ठ इस वर्ष विभागीय लक्ष्य 12 लाख करोड़ था, जिसमें से साढ़े 11 लाख करोड़ जुटाया जा चुका है। यूपी वेस्ट, कानपुर, गाजियाबाद और उत्तराखंड ने लक्ष्य पूर्ति के साथ 250 करोड़ ज्यादा राजस्व संग्रह किया। वृद्धि 23 फीसद की है। रीजन 19 क्षेत्रों में प्रथम रहा, जिसका श्रेय अधिकारियों को जाता है। करदाताओं में खूब हुई बढ़ोत्तरी लोगों के बीच जाने का विभाग को फायदा हुआ है। असर यह है कि पिछले वित्तीय वर्ष में यूपी वेस्ट में 593749 नए करदाता बने। 2018 में विभाग के 3304153 करदाता थे, जो 2019 में 3897842 हो गए। यह देश के 88 फीसद की तुलना में 90 फीसद रहा। टीडीएस में भी मिली अभूतपूर्व सफलता विभाग ने डीटीएस वसूली के लिए उत्तराखंड के सरकारी विभागों से शुरूआत की। पीडब्लूडी में डिडक्शन रिविजन कर करापवंचना हो रही थी, जिसे विभाग ने पकड़ा। विभिन्न मामलों में एफआइआर कराई, सर्वे हुए, 1800 करोड़ राजस्व बढ़ोत्तरी हुई। इसी का असर है कि 2018 में टीडीएस से प्राप्त राजस्व जहां 9991 था वहीं 2019 में 13682 करोड़ हो गया। इस तिमाही में भी टीडीएस संग्रह के लिए काफी सर्वे होंगे।
Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें