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आगरा के Lesser Known Monuments का हुआ संरक्षण, सुरक्षित हुईं ये ऐतिहासिक धरोहर भी

भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण ने कराया है संरक्षण कार्य। सतकुइयां में पहली बार किया गया काम नष्ट होने से बचा स्मारक। जसवंत सिंह की छतरी और पहलवान का मकबरा भी संवारा गया। कासगंज में गार्डनर व उसकी पत्नी के मकबरे और सीताराम मंदिर एटा में बिल्सड़ में काम कराया गया है।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Sat, 31 Jul 2021 09:49 AM (IST)Updated: Sat, 31 Jul 2021 09:49 AM (IST)
आगरा के Lesser Known Monuments का हुआ संरक्षण, सुरक्षित हुईं ये ऐतिहासिक धरोहर भी
संरक्षण कार्य पूरा होने के बाद सतकुइयां अब ऐसा दिख रहा है।

आगरा, जागरण संवाददाता। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) प्रमुख धरोहरों के साथ अब कम लोकप्रिय स्मारकों (लेसर नोन मान्यूमेंट्स) के संरक्षण पर भी ध्यान दे रहा है। ताजनगरी में सतकुइयां, पहलवान का मकबरा, जसवंत सिंह की छतरी पर संरक्षण कार्य कराए गए हैं। कासगंज में सीताराम मंदिर और गार्डनर के मकबरे, एटा में बिल्सड़ में काम अंतिम चरण में चल रहे हैं। इससे धरोहर सुरक्षित हुई हैं।

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सतकुइयां

रामबाग की उत्तरी दिशा में यमुना किनारे एएसआइ द्वारा संरक्षित स्मारक सतकुइयां है। यहां जहांगीर के दरबारी बुलंद खां का बाग था, जो उसके नाम पर ही बुलंद बाग के नाम से जाना गया। यहां यमुना की धारा में घुमाव होने से वाटर लिफ्टिंग सिस्टम बनाया गया था। रहट के माध्यम से यमुना का पानी उठाकर उसे जल प्रणाली के माध्यम से यमुना किनारे बने बागों तक पहुंचाया जाता था। जल प्रणाली के अवशेष आज भी मौजूद हैं। वर्षों की उपेक्षा, दीवाराें से ईंटें निकलने की वजह से सतकुइयां नष्ट होने के कगार पर पहुंच गया था। पिछले वर्ष एएसआइ ने यहां संरक्षण कार्य कराया। दीवारों से निकली ईंटों को दोबारा लगाई गईं। स्मारक के प्राचीन स्वरूप को बहाल करते हुए उसे संरक्षित किया गया।

पहलवान का मकबरा

देवरी रोड स्थित पहलवान का मकबरा एएसआइ द्वारा संरक्षित है। पिछले वर्ष यहां एएसआइ ने 12 लाख रुपये की लागत से संरक्षण कार्य कराए। यहां मकबरे में रेड सैंड स्टोन का फर्श बनाने के साथ पानदासा (बार्डर) का काम हुआ। मकबरे के गुंबद के चारों ओर छोटी बुर्जियां बनाई गईं। इन्हें बंदरों द्वारा तोड़ दिया गया था। मकबरे की छत पर चारों ओर फेंसिंग की गई थी, जिससे कि आस-पड़ोस के लोग स्मारक में प्रवेश नहीं कर सकें। एएसआइ के रिकार्ड में पहलवान का नाम उपलब्ध नहीं है। बीजापुर के सुल्तान आदिलशाह ने जहांगीर के अनुरोध पर वर्ष 1617 में उसे आगरा भेजा था। बाद में वह शाहजहां के दरबार में भी रहा। मकबरा वर्गाकार है और ऊंचे प्लेटफार्म पर बा है। इसमें कब्र का पत्थर नहीं है।

जसवंत सिंह की छतरी

बल्केश्वर में यमुना किनारे पर एएसआइ द्वारा संरक्षित स्मारक जसवंत सिंह की छतरी स्थित है। रेड सैंड स्टोन से बना स्मारक हिंदू और मुगल वास्तुकला का अनुपम उदाहरण है। आगरा किला में शाहजहां के दरबार में उसके मीर बख्शी सलाबत खां को मौत के घाट उतारने वाले अमर सिंह की पत्नी हाड़ा रानी यहां सती हुई थीं। अमर सिंह को आगरा किला में बुलाकर धोखे से उनकी हत्या कर दी गई थी। राजा जसवंत सिंह ने यह छतरी उनकी स्मृति में बनवाई थी। यहां करीब 19 लाख रुपये की लागत से एएसआइ संरक्षण कार्य कर रहा है। यहां खराब हो चुके पत्थरों को बदलने के साथ प्वाइंटिंग (टीप) का काम करने के साथ स्मारक के ढांचे को सुदृढ़ बनाया जा रहा है।

सभी स्मारकों पर दे रहे ध्यान

अधीक्षण पुरातत्वविद् डा. वसंत कुमार स्वर्णकार ने बताया कि आगरा सर्किल के सभी स्मारक हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं। लंबे समय से ऐसे स्मारकों मेें काम नहीं किया जा सका था, जिनमें पर्यटक नहीं जाते हैं। आगरा में सतकुइयां, जसवंत सिंह की छतरी और पहलवान के मकबरे में संरक्षण कार्य कराए गए हैं। कासगंज में गार्डनर व उसकी पत्नी के मकबरे और सीताराम मंदिर, एटा में बिल्सड़ में काम कराया गया है।


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