दीवाली पर रखेंगी इन बातों का ध्यान तो नहीं पहुंचेगा कोख के जीवन को नुकसान Agra News
डॉ निहारिका मल्होत्रा के अनुसार त्योहार पर होने वाले प्रदूषण से बचें गर्भवती महिलाएं।
आगरा, तनु गुप्ता। रोशनी का पर्व जीवन में उल्लास लाता है। पटाखों की जगमगाहट इस पर्व को और भी अधिक रोमांचित बनाती है लेकिन यही जगमगाहट मां की कोख में पल रहे शिशु के लिए बेहद नुकसान दायक भी हो सकती है। रेनबो आईवीफ सेंटर की डॉ. निहारिका मल्होत्रा के अनुसार पटाखों से निकलने वाला धुआं, धमाके की आवाज और केमिकल के सम्पर्क में आने से गर्भवती महिलाओं के लिए नतीजे अच्छे नही आते। साथ ही ये भ्रूण को भी नुकसान पहुंचाते हैं। लेकिन अगर वे सावधानी से खुशियों को सेलिब्रेट करते हैं, तो सब अच्छा होता है।
इन बातों का रखें खास ध्यान
डॉ. निहारिका बताती हैं कि प्रेग्नेंसी के दौरान प्रदूषण गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए समस्या उत्पन्न कर सकता है। केमिकल्स के सीधे संपर्क में आने से गर्भ में पल रहे बच्चे और मां दोनों को खतरा हो सकता है। उन्होंने कहा कि जिन्हें सांस की समस्या हो, उन्हें हर हाल में प्रदूषण से दूर रहना चाहिए। खासकर अगर किसी महिला को अस्थमा की समस्या है तो उन्हें हर वक्त अपने साथ इनहेलर रखना चाहिए।
ऐसे कम करें खतरा
एलर्जी के खतरे को कम करने के लिए जब तक संभव हो सजावट की फूल-मालाएं आदि को घर से बाहर ही रखें। साथ ही उन्हें घर के भीतर लाने से पहले पानी से अच्छी तरह से छिड़काव करें। ऐसा करने से उन फूलों पर लगी धूल और पराग खत्म हो जाएगी और एलर्जी से भी बचाव होगा।
इसलिए होती है हानि
डॉ. निहारिका कहती हैं कि प्रदूषण गर्भ में पल रही नन्ही सी जान के लिए बहुत नुकसानदेह है। मां जो कार्बन मोनोक्साइड सांस के जरिए लेंगी, वह हानिकारक गैस भ्रूण के प्लेसेंटा से हो कर गुजरे तो गर्भ में पल रहे बच्चे को पर्याप्त आक्सीजन नहीं मिल पाता। यह भ्रूण के विकास में रुकावट का कारण भी बन सकता है।
न बरतेें भोजन में लापरवाही
अक्सर महिलाएं त्योहार की तैयारियों में व्यस्त होकर भोजन के प्रति लापरवाही कर जाती हैं। उन्हें थोड़ी-थोड़ी मात्रा में 1 से 2 घंटे के अंतराल पर पौष्टिक भोजन लेते रहना चाहिए और संभव हो तो हर घंटे में पानी पीते रहना चाहिए। ऐसा करने से चक्कर आने की समस्या, बेहोशी और सुस्ती से आप खुद को बचा सकती हैं। वहीं त्योहार पर मिलावटी और नकली खान पान से भी बचें।