वेबर की फसल से राजा के ढीले हुए तेवर
पाच रुपये प्रति किलोग्राम थोक में गिरे आलू के दाम
आगरा, जागरण संवाददाता। लाकडाउन से ऊंचे हुए आलू (राजा) के दाम नवंबर में पंजाब की फसल आने के बाद भी आसमान छू रहे थे। दो दिन से सिकंदरा मंडी में आई वेबर की फसल से आलू के दाम घटने लगे हैं। अभी तक 28 से 32 रुपये प्रति किलोग्राम पर स्थिर आलू अब घटकर 23 रुपये प्रति किलोग्राम थोक में पहुंच गया है। वहीं फुटकर बाजार में भी गिरावट आई है, नया आलू 50 से घटकर 45 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया है।
गत वर्ष आलू का उत्पादन कम हुआ था, जिससे भंडारण के समय 70 से 80 फीसद तक ही शीतगृह भरे थे। भंडारण के ठीक बाद लाकडाउन लगा, जिससे आलू की खपत बढ़ी और बाजार तक हरी सब्जियां नहीं पहुंच सकी। गुजरात, कर्नाटक की फसल भी खराब होने के कारण आगरा के आलू की माग अधिक रही, जिससे दाम ऊंचे ही बने रहे। वर्तमान में स्थानीय आलू तो बाजार से लगभग समाप्त हो गया है, लेकिन पंजाब की आवक हो रही थी। थोक विक्रेता यासीन ने बताया कि पंजाब के आलू के दो से तीन ट्रक प्रतिदिन आ रहे हैं। प्रति ट्रक 100 कुंतल आलू का है। वहीं वेबर का आलू एक हजार से 1200 कुंतल प्रतिदिन आना शुरू हो गया है। इससे दामों में बढ़ी गिरावट आई है। थोक विक्रेता राजन ने बताया कि सप्ताह भर के अंदर आलू के दाम थोक में 20 रुपये प्रति किलोग्राम से नीचे पहुंच जाएंगे। वहीं फुटकर बाजार में विक्रेताओं की मनमानी चल रही है। अधिकतर क्षेत्र में दाम 45 रुपये प्रति किलोग्राम है, जबकि कमला नगर, आवास विकास सहित दूसरे क्षेत्र में 50 रुपये प्रति किलोग्राम भी ठेल वाले वसूल रहे हैं। इस बार फिर बढ़ गया रकवा :
वर्ष 2016 से 2019 तक जिले में आलू की बंपर पैदावार हुई, लेकिन आलू को बाजार नहीं मिला। लागत मूल्य नहीं मिल पाने के कारण किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ा था। कुछ किसानों ने तो शीतगृह में ही आलू छोड़ दिया था। वर्ष 2019-20 में जिले में 70 हजार हेक्टेयर में आलू बुवाई हुई। कुछ किसानों ने फसल पर आलू बेच दिया, जिससे भंडारण भी कम ही हुआ। दामों में उछाल को देख इस बार फिर किसानों ने आलू की ओर रुख किया है। जिले में तीन से चार हजार हेक्टेयर रकवा बढ़ गया है।