हुई नई पहल, अब डाकघर पहुंचाएंगे टीबी मरीजों का जांच नमूना
आगरा समेत चार जिलों में सैंपल कलेक्शन को डाक विभाग से करार। एक्टिव केस फाइंडिंग के तहत 22 तक तलाशे जाने हैं सात हजार मरीज।
आगरा, जेएनएन। टीबी मरीजों के बलगम के नमूनों की जांच जल्द कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने डाक विभाग से सहयोग लेने की योजना बनाई है। दूरदराज के प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों से नमूनों को जिला अस्पताल तक पहुंचाने में यह डाकखाने मदद करेंगे। पहले चरण में यह योजना आगरा, बदायूं, चंदौली और लखनऊ में शुरू की जा रही है।
राज्य क्षय रोग अधिकारी डॉ. सतोष गुप्ता ने मंगलवार को लखनऊ में टीबी पर आयोजित राज्य स्तरीय कार्यशाला में बताया कि देश में टीबी के करीब दस लाख मरीज मिसिंग हैैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन व सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च द्वारा आयोजित कार्यशाला में डॉ.गुप्ता ने बताया कि इन मरीजों की खोज के लिए प्रदेश में अब तक तीन चरणों में चलाए गए एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान में करीब 20 हजार नए मामले चिह्नित हुए हैं। इस बार 10 से 22 जून तक चलाए जा रहे अभियान के तहत सात हजार नए केस चिह्नित करने का लक्ष्य तय किया गया है। अभियान की मॉनीटङ्क्षरग के लिए 40 जिलों में टीमें भेजी गई हैं। इसके अलावा पांच मेडिकल मोबाइल वैन से भी 1110 केस चिह्नित किए गए हैं, जिनमें 122 एमडीआर केस पाए गए हैं।
डॉ.गुप्ता ने बताया कि सीबीनाट मशीन आने से टीबी मरीजों की जांच रिपोर्ट दो घंटे में मिलने लगी है, जिसकी वजह से जांच में पिछले साल के मुकाबले 60 फीसद की वृद्धि हुई है, जबकि मरीजों के नोटीफिकेशन में भी वर्ष 2017 के मुकाबले 2018 में सरकारी क्षेत्र में 36 फीसद और निजी क्षेत्र में 77 फीसद बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इसके अलावा मेरठ व गोरखपुर की तरह शहरी क्षेत्रों में नई लैब भी स्थापित की जा रही हैैं। इसी तरह 18 स्थानों पर नोडल डीआरटीबी सेंटर बनाए गए हैं। कार्यशाला में दिल्ली के पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट के पूर्व निदेशक व नेशनल टीबी टास्क फोर्स के उपाध्यक्ष डॉ.राजेंद्र प्रसाद ने टीबी के खात्मे में मिसिंग मामलों के साथ मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट (एमडीआर) व एक्सट्रीमली ड्रग रेजिस्टेंट (एक्सडीआर) मरीजों की बढ़ती तादाद पर काबू पाने को चुनौती बताया।
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