विरासत बढ़ाने की सोच ने बढ़ा दिया जनसंख्या विस्फोट का खतरा Agra New
जागरण विमर्श में वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. अनुपमा शर्मा की बेबाक राय।
आगरा, जागरण संवाददाता। आंकड़े झूठ नहीं बोलते। जिस रफ्तार से जनसंख्या वृद्धि हो रही है, वह दिन दूर नहीं जब जनसंख्या की वजह से ही विकास की गति रुक जाएगी। भारत इस मामले में जनसंख्या वृद्धि रूपी एटम बम के ऊपर बैठा हुआ है, जिसमें कभी भी विस्फोट हो सकता है।
दैनिक जागरण के जागरण विर्मश कार्यक्रम में वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. अनुपमा शर्मा ने 'जनसंख्या नियंत्रण के लिए क्या किया जाना चाहिए' विषय पर विचार रखे। परिवार नियोजन को लेकर लंबे अर्से से प्रयासरत डॉ. शर्मा ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग से लेकर प्रदूषण जैसी तमाम समस्याओं के निदान के लिए जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करना होगा। उन्होंने कहा कि आज भी हमारे देश में कई ऐसे पिछड़े इलाके हैं, जहां बाल विवाह की परंपरा है। कम उम्र में शादी होने के बाद कम उम्र से ही बच्चे पैदा होने शुरू हो जाते हैं। शिक्षा का अभाव जनसंख्या वृद्धि की एक बड़ी वजह है। पुरुष-प्रधान समाज में लड़के की चाह में लोग कई बच्चे पैदा कर लेते हैं। कई ऐसी जगहें हैं, जहां बड़े-बुजुर्गों की ऐसी सोच होती है कि उनकी विरासत को आगे बढ़ाने और संभालने के लिए कम से कम दो लड़के जरूर पैदा किए जाएं। कई मामलों में शादीशुदा जोड़ों पर बच्चे पैदा करने का दबाव तक बनाया जाता है। लड़कियों को गर्भ निरोधक के उपाय की जानकारी शादी के पहले नहीं दी जाती है। इनकी वजह से जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है।
एक नजर आकड़ों पर
लगभग 1.32 अरब की जनसंख्या के साथ भारत विश्व का दूसरा सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश है। यहां प्रति 35 जन्म पर दो मृत्यु हो रहीं हैं। हालांकि जन्म दर 5.91 से घटकर 2.3 हो गई है। एक अनुमान के मुताबिक 2050 तक विश्व की आबादी नौ अरब 30 करोड़ के आसपास होगी। भारत में 1952 में परिवार नियोजन के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू किया था।
नियोजन को लेकर भ्रम की स्थिति
जनसंख्या नियोजन के लिए सरकारी स्तर पर मातृ शिशु कल्याण योजना के तहत मुख्यमंत्री जननी योजना चलाई जा रही है। स्वास्थ्य केंद्रों पर कॉपर टी, इंजेक्शन, ओरल पिल्स, ट्यूबरलाइजेशन जैसी सुविधाएं दी जा रही हैं। यूएचआइ से जुड़कर डॉ. अनुपमा शर्मा ने खुद कई महिलाओं की नसबंदी की। लेकिन, आज भी ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं में परिवार नियोजन के उपायों को लेकर भ्रम की स्थिति है।
चिकित्सकों को मिले नियमों में थोडी रियायत
जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए स्वास्थ्य सेवाएं उपयुक्त नहीं हैं। डॉ. अनुपमा ने कहा कि परिवार नियोजन को लेकर कुछ कानून पूरी तरह चिकित्सक विरोधी हैं। उनमें संशोधन होना चाहिए। गर्भधारण रोकने के लिए चिकित्सक द्वारा किए उपाय भी एक या दो फीसद केस में विफल हो जाते हैं। ऐसे में चिकित्सकों को कोर्ट तक नहीं घसीटना चाहिए।
जवाबदेही सिर्फ महिलाओं के भरोसे
जनसंख्या नियंत्रण की पूरी जवाबदेही यहां सिर्फ महिलाओं के भरोसे है। पुरुषों में नसबंदी के स्थायी उपाय ज्यादा सफल होते हैं। इनका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होता है। इसके बाद भी पुरुष इसके प्रति जागरूक नहीं हैं।
ऐसे नियंत्रण हो सकती है जनसंख्या वृद्धि
आर्थिक व्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी बढ़े।
महिलाओं और मुस्लिम समाज में शैक्षिक स्थिति में सुधार हो।
हेल्थ वर्कर, आशा कार्यकर्ताओं को जागरूक करें।
चिकित्सक विरोधी कानून में संशोधन हो।