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सुधरने की बजाय बढ़ती गई कालिंदी की पीर, दावे हाे रहे हकीकत में फेल Agra News

उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वार्षिक रिपोर्ट से स्थिति आई सामने। यमुना के अप व डाउन स्ट्रीम में बढ़ा जल प्रदूषण नहाने के योग्य भी नहीं।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Fri, 07 Feb 2020 08:41 AM (IST)Updated: Fri, 07 Feb 2020 08:41 AM (IST)
सुधरने की बजाय बढ़ती गई कालिंदी की पीर, दावे हाे रहे हकीकत में फेल Agra News
सुधरने की बजाय बढ़ती गई कालिंदी की पीर, दावे हाे रहे हकीकत में फेल Agra News

आगरा, जागरण संवाददाता। कभी शहर की लाइफलाइन कही जाने वाली यमुना की दशा दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही है। वर्ष 2019 में उसकी दशा वर्ष 2018 की तुलना में और खराब हो गई। उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) की वार्षिक रिपोर्ट से यह स्थिति सामने आई है। जिस ताजमहल को संरक्षित रखने को प्रदूषणकारी उद्योगों पर सुप्रीम कोर्ट ने ताज ट्रेपेजियम जोन (टीटीजेड) बनाया, उसी के समीप यमुना सर्वाधिक प्रदूषित पाई गई है। इससे यमुना की दशा में सुधार को करोड़ों रुपये खर्च कर संचालित किए जा रहे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के सफेद हाथी साबित होने पर मुहर लगती नजर आ रही है।

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ऐसे मापा जाता प्रदूषण का स्तर

-यूपीपीसीबी माह में दो बार यमुना जल की सैंपलिंग करता है।

-अपस्ट्रीम में कैलाश घाट, वाटर वक्र्स और ताज के डाउन स्ट्रीम में।

-मासिक आंकड़ों के आधार पर प्रदूषण की बनती है वार्षिक रिपोर्ट।

-वर्ष 2019 की जनवरी से दिसंबर तक के आंकड़ें शामिल

-तीनों सैंपलिंग प्वॉइंट पर डिजॉल्व ऑक्सीजन (डीओ) मानक से कम मिली।

-बायो ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) मानक से कहीं अधिक पाई गई। सभी प्वाइंट पर टोटल कॉलिफॉर्म मानक से अधिक मिला।

ताज पर गंदगी छोड़ता है गोल्डीकाइरोनोमस

यमुना में प्रदूषण की वजह से ताज पर बड़ा प्रभाव पड़ता है। यमुना की गंदगी में पनपा कीड़ा गोल्डीकाइरोनोमस ताज की सतह पर हल्के भूरे व हरे रंग के दाग छोड़ता है। यह समस्या स्थायी बन गई है। इससे संगमरमर को तो कोई नुकसान नहीं पहुंचता, लेकिन विश्वदाय स्मारक की छवि खराब होती है। एएसआइ की रसायन शाखा ने यमुना की दशा में सुधार को जो सुझाव दिए थे, उन पर आज तक अमल नहीं किया जा सका है। यमुना से उठती दुर्गंध पर्यटकों को अलग परेशान करती है।

सीधे गिर रहे हैं 61 नाले

ताजनगरी में 92 नाले यमुना में गिरते हैं। इनमें से 31 नाले टैप्ड हैं। 61 नाले यमुना में सीधे गिरकर उसे प्रदूषित कर रहे हैं।

यूपीपीसीबी लगा चुका है जुर्माना

यूपीपीसीबी जल निगम पर एसटीपी के सही से संचालित नहीं होने पर 15 लाख रुपये का जुर्माना लगा चुका है। उसने पिछले पांच वर्षों में यमुना व पर्यावरण को क्षति पहुंचाने पर 10-11 करोड़ रुपये के जुर्माने का आकलन कर रिपोर्ट लखनऊ मुख्यालय भेजी है।

यमुना में प्रदूषण की स्थिति (वार्षिक औसत)

वर्ष, डीओ, बीओडी, टोटल कॉलिफार्म

अपस्ट्रीम कैलाश घाट

2018, 6.5, 9.8, 32750

2019, 5.8, 11.3, 36333

अपस्ट्रीम वाटर वर्क्‍स

2018, 5.8, 12.2, 52833

2019, 5.3, 12.7, 54667

डाउन स्ट्रीम ताजमहल

2018, 5.1, 13.1, 98750

2019, 4.8, 14.5, 109250

यह हैं फुल फार्म

डीओ: डिजॉल्व ऑक्सीजन।

बीओडी: बायो ऑक्सीजन डिमांड।

टोटल कॉलिफार्म: मानव व जीव अपशिष्ट।

यह हैं मानक

डीओ: पीने के पानी में छह, नहाने के पानी में पांच या उससे अधिक और ट्रीटमेंट के बाद पानी में चार मिलीग्राम प्रति लिटर होनी चाहिए।

बीओडी: पीने के पानी में दो, नहाने के पानी में तीन और ट्रीटमेंट के बाद पानी में तीन मिलीग्राम प्रति लिटर होनी चाहिए।

टोटल कॉलिफार्म: पीने के पानी में 100, नहाने के पानी में 500 एमपीएन से अधिक नहीं होना चाहिए। जिस पानी में यह पांच हजार से अधिक हो, उसे शोधित नहीं कर सकते हैं। 


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