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RTI में खुलासा, छह साल में 14 युवतियों की हत्‍याएं हुईं दाखिल दफ्तर Agra News

वर्ष 2013 से 2018 के दौरान 14 अज्ञात युवतियों की हत्या करके फेंकी गयी थी लाश। पुलिस नहीं तलाश सकी बेटियों के कातिल बेनाम ही रह गईं मृतक।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sat, 13 Jul 2019 01:25 PM (IST)Updated: Sat, 13 Jul 2019 01:25 PM (IST)
RTI में खुलासा, छह साल में 14 युवतियों की हत्‍याएं हुईं दाखिल दफ्तर Agra News
RTI में खुलासा, छह साल में 14 युवतियों की हत्‍याएं हुईं दाखिल दफ्तर Agra News

आगरा, जागरण संवाददाता। केस एक: डौकी के धनौटा गांव में 22 अगस्त 2016 की रात में आगरा- फतेहाबाद रोड के किनारे 18 वर्षीय युवती का हत्या करके फेंका शव पुलिस को मिला। उसके सिर और चेहरे पर चोट के निशान थे। पास में खून से सनी एक ईंट पड़ी थी। जिससे उसकी हत्या की गयी थी। वह हरे रंग का कुर्ता और नीले रंग की पजामी पहने थी। पुलिस ने शिनाख्त के प्रयास किए, लेकिन सफलता नहीं मिली। मामले में पुलिस ने हत्या और साक्ष्य मिटाने की धारा में मुकदमा दर्ज कर लिया। शिनाख्त नहीं होने से पुलिस को हत्यारे का सुराग नहीं मिल सका।

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केस दो: सिकंदरा के जऊपुरा के जंगल में 29 मार्च को युवती की हत्या करके लाश फेंक दी। लगभग 30 वर्षीय मृतका की शिनाख्त नहीं हो सकी। हत्यारों ने रस्सी और दुपट्टे से उसका गला घोंट दिया। युवती शोर न मचा सके इसके लिए मुंह में रस्सी बांध दी थी। युवती सलवार सूट के ऊपर से कमीज पहने थी। लाल रंग का दुपट्टा उसके गले में बंधा था। हुलिए से मजदूर प्रतीत होती युवती की कौन थी। वह कहां से आयी और उसे किसने मारा, गुत्थी अभी तक नहीं सुलझ सकी।

ये दोनों किसी की परिवार की बेटियां थीं। जिन्हें परिजन आज भी कहीं खोज रहे होंगे, उनके लौटने का इंतजार कर रहे होंगे। मगर, वह अब कभी नहीं लौटेंगी। दैनिक जागरण के संवाददाता को सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार जिले में छह साल के दौरान 14 युवतियों की हत्या की गयी। उनकी लाशों को जिले में विभिन्न थाना क्षेत्रों में फेंक दिया गया। तीन दिन तक शवों को मोर्चरी में रखने के बाद पुलिस ने पोस्टमार्टम कराके लावारिस में उनका अंतिम संस्कार कर दिया। इन युवतियों की शिनाख्त नहीं हो सकी है।

पुलिस की नाकामी ने उनके कातिलों को खुलेआम घूमने की आजादी दे दी। कातिलों ने इन युवतियों को अपने विश्वास में लिया होगा। इसके बाद अपने साथ लाकर हत्या करके लावारिस में फेंक दिया। पुलिस ने भी हत्यारों को खोजने की जगह मुकदमों को दाखिल दफ्तर करके अधिकांश में एफआर लगा दी।

शिनाख्त कराने की खानापूर्ति

कहावत है कि पुलिस चाहे तो पाताल से भी अपराधी को खोज लाए। मगर, हत्या करके फेंकी गयी अज्ञात लाशों की शिनाख्त के नाम पर पुलिस खानापूर्ति करती है। मृतकों की उम्र से लेकर कपड़ों समेत अन्य पहचान चिन्हों के फोटो पंफलेट तैयार करती है। इसे जिला अपराध रिकार्ड ब्यूरो (डीसीआरबी) भेजा जाता है। वहां से राज्य अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एससीआरबी) एवं राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) में शवों के फोटो भेजे जाते हैं। इन्हें सभी राज्यों के जिलों के थानों में लगाया जाना चाहिए। मगर, अधिकांश पंफलेट थानों में नहीं लगते। 


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