धुंध से ट्रिगर हुआ निमोनिया, बच्चों के लिए हुआ घातक, अपनाएं ये उपाए Agra News
सल्फर डाई ऑक्साइड ओजोन कार्बन मोनो ऑक्साइड और पर्टिकुलेट मैटर (पीएम 2.5 सूक्ष्म कणï) का स्तर बढ़नेे से बिगड़ रहे हालात।
आगरा, जागरण संवाददाता। धुंध और सर्दी में बच्चों में निमोनिया घातक हो रहा है। जहरीली हवा निमोनिया को ट्रिगर (संक्रमण बढ़ाने) करने का काम कर रही है। ऐसे में एसएन, जिला अस्पताल और निजी क्लीनिक पर निमोनिया से पीडि़त बच्चों की संख्या बढ़ रही है। इन्हें भर्ती करना पड़ रहा है।
दीपावली के बाद से सल्फर डाई ऑक्साइड, ओजोन, कार्बन मोनो ऑक्साइड और पर्टिकुलेट मैटर (पीएम 2.5 सूक्ष्म कणï) का स्तर सामान्य से अधिक है। ये सूक्ष्म कण सांस के साथ नलिकाओं में पहुंच रहे हैं, इससे सांस नलिकाओं में सूजन और संक्रमण हो रहा है। इससे बच्चों को निमोनिया होने लगा है। मगर, इस बार निमोनिया सामान्य दवाओं से ठीक नहीं हो रहा है। मरीजों को दो से तीन तरह की एंटीबायोटिक एक साथ देनी पड़ रही हैं। सांस की नलिकाओं में सूजन कम करने के लिए भी कई तरह की दवाएं और कफ सीरप दिए जा रहे हैं। इसके बाद भी 10 से 15 दिन में निमोनिया ठीक नहीं हो हा है। एसएन और निजी क्लीनिक पर गंभीर हालत में पहुंच रहे बच्चों को निमोलाइज करना पड़ रहा है, इन बच्चों को ऑक्सीजन देनी पड़ रही है।
ये है हाल
30 फीसद है एसएन और निजी क्लीनिक की ओपीडी में पहुंच रहे।
बच्चों में से निमोनिया पीडि़तों की संख्या
15 फीसद निमोनिया पीडि़त बच्चों को करना पड़ रहा है भर्ती।
ये करें
- बच्चों को प्रदूषण से बचाए, सुबह और शाम को घर से बाहर ना ले जाएं
- बच्चों को गर्म कपड़े पहनाकर रखे, सर्दी में बाहर ना निकाले
- सर्दी जुकाम होने पर आइसक्रीम या ठंडी चीजें ना खिलाए
विशेषज्ञों की राय
धुंध के चलते निमोनिया में दवाएं भी असरहीन हो रही हैं, कई तरह की दवाएं देनी पड़ रही हैं। इसके बाद भी सांस लेने में बच्चों को परेशानी हो रही है। निमोनिया में बच्चों को भर्ती करना पड़ रहा है।
डॉ. निखिल चतुर्वेदी, बाल रोग विशेषज्ञ
प्रदूषण निमोनिया के लिए ट्रिगर का काम कर रहा है, गंभीर हालत में बच्चे पहुंच रहे हैं, इन्हें निमोलाइज करने के साथ ही ऑक्सीजन देनी पड़ रही है। निमोनिया भी लंबा चल रहा है।
डॉ. अरुण जैन, बाल रोग विशेषज्ञ
सर्दी जुकाम से शुरू होने के बाद बच्चों को निमोनिया हो रहा है, दो साल से कम उम्र के बच्चों के लिए यह घातक है। बच्चों को भर्ती करना पड़ रहा है।
डॉ. नीरज यादव, बाल रोग विशेषज्ञ एसएन मेडिकल कॉलेज