बंदिशों की बेड़ियों में जकड़े गरीबों के आवास, गरीबों को लग रही निराशा ही हाथ Agra News
एनओसी नहीं मिलने पर ड्रॉप हुई पीएम शहरी आवास योजना। कहीं आवास का निर्माण नहीं हुआ पूरा। कहीं आवंटन में देरी गरीब लगा रहे हैं कार्यालयों के चक्कर।
आगरा, अमित दीक्षित। हर किसी की एक ही आस होती है, कम से कम उसका अपना एक घर हो। उस घर में वह और उसके बच्चे आराम की जिंदगी जी सकें। गरीबों के लिए तो घर की कल्पना एक छत की होती है।
झोपड़ियों और कच्चे घरों में रहने वालों को लिए पीएम शहरी आवास योजना एक आशा की किरण बनकर आई। लेकिन ताजनगरी में इस आशा की किरण को बंदिशों की बेड़ियों ने जकड़ लिया है। संबंधित विभागों से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) न मिलने के चलते एडीए ने प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना का प्रस्ताव ही ड्रॉप कर दिया। निजी क्षेत्र में जिन बिल्डरों ने इन मकानों को बनाने की जिम्मेदारी ली थी उन्होंने भी हाथ खींचना शुरू कर दिया है। आधा दर्जन से अधिक प्रोजेक्ट के नक्शे पास नहीं हुए। जिन भवनों का निर्माण हो चुका है, उन्हें भी आवंटित नहीं किया गया है। गरीब सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं। आखिर समस्याओं का दशानन कब जलेगा जिससे गरीबों के अपने घर का सपना पूरा हो सके।
तीन साल से लगी है तदर्थ रोक व यथास्थिति
शहर में तीन साल से तदर्थ रोक और यथा स्थिति लगी हुई है। इसकी वजह से बड़े प्रोजेक्ट शुरू नहीं हो पा रहे हैं। निर्माण शुरू करने से पहले ताज ट्रेपेजियम जोन (टीटीजेड) प्राधिकरण समेत कई विभागों से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) लेनी होती है। नए नियम में बीस हजार के बजाय सिर्फ पांच हजार वर्ग मीटर के प्रोजेक्ट के नक्शे पास हो रहे हैं। इसके चलते एडीए नक्शा पास नहीं कर रहा है।
बिल्डरों को बनाने थे दस हजार आवास
पीएम शहरी आवास योजना में बिल्डरों को दस हजार आवास बनाने थे। यह पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल से बनने थे।
1396 आवास बने, आवंटन नहीं
कांशीराम आवास योजना, बीएसयूपी योजना और राजीव गांधी आवास योजना में हजारों मकान बने हैं। बीएसयूपी योजना में शास्त्रीपुरम में 1396 मकान बने हैं और राजीव गांधी योजना में ढाई हजार। इन आवासों का ही अभी तक पूरी तरह आवंटन नहीं हुआ है।
साढ़े आठ सौ ने किया था आवेदन
पीएम शहरी आवास योजना में एडीए को दो हजार आवास बनाने थे। फिर लक्ष्य को घटाकर एक हजार कर दिया गया। एडीए ने बुढ़ाना में 33 करोड़ से आवास बनाने का प्रस्ताव भेजा। साथ ही मकानों के लिए आवेदन भी लिए गए। एडीए कार्यालय में साढ़े आठ सौ गरीबों ने आवेदन किया। अनुमति न मिलने पर प्रस्ताव को ड्रॉप कर दिया गया।
रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा रियल एस्टेट
पहले नोटबंदी और फिर रेरा। इसके चलते रियल एस्टेट रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा है। शहर में पांच हजार के करीब फ्लैट बने हुए हैं लेकिन इनकी बिक्री नहीं हो पा रही है।
ढाई लाख मिले, एक हजार गरीबों के आवास बने
पीएम शहरी आवास योजना में डूडा कार्यालय में 15 हजार लोगों ने आवेदन किया है। खुद की जमीन होने पर इन्हें ढाई लाख रुपये की आर्थिक मदद दी जानी थी। अब तक एक हजार गरीबों को ढाई-ढाई लाख रुपये दिए जा चुके हैं।