Agra Heliport: प्रधानमंत्री मोदी ने किया था हेलीपोर्ट का शिलान्यास, वायुसेना व टीटीजेड के पास नहीं है कोई रिकार्ड
हेलीपाेर्ट का निर्माण पर्यटन विभाग द्वारा लोक निर्माण विभाग के प्रांतीय खंड के माध्यम से कराया जा रहा है। सूचना का अधिकार से मिली थी प्रोजेक्ट की जानकारी। प्रधानमंत्री को पत्र भेजकर जांच कराने की मांग की गई। बिना अनुमति के बनाया जा रहा है टीटीजेड में हेलीपोर्ट।
आगरा, जागरण संवाददाता। ताजनगरी में पर्यटकों को हवाई दर्शन कराने को जिस हेलीपोर्ट का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था, उसका भारतीय वायुसेना और ताज ट्रेपेजियम जोन अथारिटी के पास कोई रिकार्ड उपलब्ध नहीं होने से योजना पर बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं। सिविल सोसायटी आफ आगरा के सचिव अनिल शर्मा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजा है। इसमें बिना अनुमति के हेलीपाेर्ट का निर्माण कराने को उनके नाम का दुरुपयोग करने की बात कही गई है। साथ ही हेलीपोर्ट के निर्माण से एयरफोर्स स्टेशन और ताजमहल की सुरक्षा को लेकर भी सवाल खड़े किए गए हैं।
आगरा में इनर रिंग रोड और लखनऊ एक्सप्रेस-वे से लगे मदरा में हेलीपाेर्ट का निर्माण पर्यटन विभाग द्वारा लोक निर्माण विभाग के प्रांतीय खंड के माध्यम से कराया जा रहा है। हेलीपाेर्ट पिछले वर्ष अक्टूबर-नवंबर तक बनकर तैयार हो जाना था, लेकिन अब तक काम पूरा नहीं हुआ है। सिविल सोसायटी आफ आगरा के सचिव व आरटीआइ एक्टीविस्ट अनिल शर्मा ने हेलीपोर्ट के संबंध में खेरिया एयरपोर्ट के एयर कमोडोर से आरटीआइ में जानकारी मांगी थी। भारतीय वायुसेना के मध्य वायु कमान के बमरौली प्रयागराज स्थित मुख्यालय ने उनकी आरटीआइ का जवाब दिया है। मुख्यालय के अनुसार एयरफोर्स स्टेशन, आगरा में हेलीपोर्ट से संबंधित कोई सूचना उपलब्ध नहीं है। भारतीय वायुसेना के हैड क्वार्टर को खेरिया एयरपोर्ट द्वारा हेलीपोर्ट के निर्माण से संबंधित कोई प्रस्ताव उपलब्ध नहीं कराया गया है। निर्धारित फार्मेट में हेलीपोर्ट के निर्माण से संबंधित कोई प्रस्ताव या सूचना आगरा एयरफोर्स स्टेशन में नहीं है। ताज ट्रेपेजियम जोन अथारिटी ने भी इस संबंध में कोई जानकारी होने से इन्कार किया है।
वायुसेना और टीटीजेड अथारिटी द्वारा हेलीपोर्ट का कोई रिकार्ड उपलब्ध नहीं होने की जानकारी देने के बाद अनिल शर्मा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजकर पूरे प्रकरण से अवगत कराया है। अनिल शर्मा ने कहा कि हेलीपोर्ट के निर्माण के लिए सरकार ने गाइडलाइन निर्धारित कर रखी है। इसके निर्माण को पर्यावरण मंत्रालय और भारतीय वायुसेना से अनुमति प्राप्त करना आवश्यक होता है। ऐसा प्रतीत होता है कि प्रधानमंत्री के नाम का दुरुपयोग किया गया है। प्रोजेक्ट के निर्माण में अनुमति लेने के संबंध में बरती गई लापरवाही की जांच कराई जाए। जिम्मेदार सरकारी अधिकारियों की जवाबदेही तय कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। इससे स्थिति स्पष्ट होगी और भविष्य में अन्य प्रोजेक्टों के लिए राह प्रशस्त होगी। वर्तमान में ड्रोन, सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौती बन चुके हैं। इसलिए प्रोजेक्ट की जांच कर जिम्मेदार व्यक्ति की जवाबदेही तय करते हुए कार्रवाई की जानी चाहिए।
समिति ने उठाए हैं यह सवाल
-हेलीपोर्ट के निर्माण पर काफी धनराशि व्यय हो चुकी है और उसके निर्माण को देश के निर्धारित नियमों के अनुसार कोई अनुमति नहीं ली गई है। क्या नियम परिवर्तित हो गए हैं? प्रधानमंत्री द्वारा शिलान्यास करने के बाद क्या किसी तरह की अनुमति की आवश्यकता नहीं होती है?
-भारतीय वायुसेना हेलीपोर्ट के निर्माण के प्रति जागरूक नहीं है। यह जाना-पहचाना तथ्य है कि देश की सुरक्षा के लिए खेरिया एयरफोर्स स्टेशन सुरक्षा की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। हेलीपोर्ट की लोकेशन ताजमहल के बहुत नजदीक है। ताजमहल को सरकार ने नो फ्लाइंग जोन घोषित कर रखा है। क्या पालिसी में कोई परिवर्तन हुआ है? अगर हुआ है तो उसे सावर्जजनिक किया जाए, जिससे कि अन्य लोगों को भी उसकी जानकारी मिल सके।
-हेलीपोर्ट बनाने की पालिसी के अनुसार, निर्माण से पूर्व अनुमति प्राप्त करना अावश्यक है।
-आगरा में प्रोजेक्ट्स के लिए पर्यावरण संबंधित अनुमति सुप्रीम कोर्ट से प्राप्त करनी होती हैं। आगरा में ताज ट्रेपेजियम जोन अथारिटी है, जो जोन में सभी प्रोजेक्ट्स को अनुमति प्रदान करती है।
रैली में किया था प्रधानमंत्री ने शिलान्यास
हेलीपोर्ट की 4.95 करोड़ रुपये की योजना का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नौ जनवरी, 2019 को कोठी मीना बाजार मैदान में हुई रैली में किया था। उप्र एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण यूपीडा ने इसके लिए जगह उपलब्ध कराई थी। 200 वर्ग गज जमीन किसान से खरीदी गई थी। पांच एकड़ जमीन में बन रहे हेलीपोर्ट में एक हेलीपैड और हेलीकाप्टर खड़ा करने को दो हैंगर बनाए जा रहे हैं। पर्यटकों की सुविधा को यात्री विश्रामगृह और टिकटघर भी बनेगा।
लखनऊ में ही बना दिया था प्रोजेक्ट
लोक निर्माण विभाग ने लखनऊ स्तर पर ही हेलीपोर्ट की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार कर ली थी। उसमें फायर फाइटिंग सिस्टम अप-टू-डेट नहीं थे। स्थानीय स्तर पर इसकी जरूरत महसूस होने पर लागत बढ़ गई। हेलीपोर्ट का रिवाइज्ड एस्टीमेट तैयार कर वर्ष 2020 में लखनऊ भेजा था।