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Chaitra Chhath Special: सिक्कों पर रहा था यमुना का प्राचीनतम अंकन

ब्रज संस्कृति शोध संस्थान में संरक्षित सिक्के पर अंकित हैं यमुना महारानी!

By Prateek GuptaEdited By: Published: Thu, 11 Apr 2019 10:56 AM (IST)Updated: Thu, 11 Apr 2019 10:56 AM (IST)
Chaitra Chhath Special: सिक्कों पर रहा था यमुना का प्राचीनतम अंकन
Chaitra Chhath Special: सिक्कों पर रहा था यमुना का प्राचीनतम अंकन

आगरा, जेएनएन। ब्रज की जीवनदायिनी यमुना का चित्रण कई तरीके से किया गया है। मगर इसका अब तक का ज्ञात सबसे पुराना अंकन मित्रवंशी राजाओं के सिक्के में मिलता है। ऐसा एक सिक्का वृंदावन के ब्रज संस्कृति शोध संस्थान में संरक्षित है। ईसा पूर्व प्रथम सदी के करीब मथुरा पर मित्र वंशी स्थानीय शासकों ने राज्य किया।

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गौमित्र इस वंश का प्रारंभिक शासक था। इसके कई अभिलेख और सिक्के मथुरा के आसपास के क्षेत्र से मिलते रहे हैं। मथुरा में सौंख टीले के पुरातात्विक उत्खनन में भी गौमित्र के सिक्के प्राप्त हुए हैं। इनमें यमुना का प्राचीनतम अंकन देखने को मिलता है।

ब्रज संस्कृति शोध संस्थान के सचिव लक्ष्मीनारायण तिवारी बताते हैं कि मथुरा में गौसना नामक गांव का टीला है। यहां से समय-समय पर पुरासम्पदा प्राप्त होती रही है, का संबंध गौमित्र से रहा है। गौमित्र संभवत: भागवत धर्म का अनुयायी था। कुछ वर्ष पूर्व वृंदावन से प्राप्त एक खंडित इष्टिका अभिलेख से यह ज्ञान होता है। इसका सचित्र मूलपाठ ब्रज संस्कृति शोध संस्थान द्वारा प्रकाशित पुस्तक ब्रज के अभिलेख भाग एक में प्रकाशित किया गया है।

इसके साथ ही गौमित्र का सिक्का भी इस ओर संकेत देता है। गौमित्र के सिक्के पर एक देवी का अंकन है। मुद्राविद विद्वान जिसे लक्ष्मी मानते हैं। लेकिन मेरा सदैव से ही यह मानना रहा है कि यह देवी लक्ष्मी नहीं यमुना हैं। इस का कारण सिक्के पर अंकित देवी की आकृति एक हाथ में (कमल) पुष्प लिए खड़ी है। देवी के नीचे दो रेखाओं के बीच में जलचर (मछली व कच्छप) विचरण करते अंकित हैं। यह रेखाएं निश्चित ही नदी का प्रतीक हैं। यमुना का संबंध जलचरों से विशेषकर कच्छप से है।

यह देवी आकृति और कोई नहीं यमुना नदी का ही मानवीय रूप में प्राचीनतम अंकन है। मथुरा और ब्रज के भूगोल की समझ रखते हैं वह जानते कि यमुना ब्रज क्षेत्र में आदिकाल से ही जीवनदायनी नदी रही है। हालांकि पौराणिक संदर्भों में यमुना का संबंध श्रीकृष्ण के लीला प्रसंगों से जुड़ा है और मध्यकाल के भक्ति आंदोलन ने तो यमुना को पूरी तरह देवत्व प्रदान किया। विशेषकर वैष्णवों की पुष्टी सम्प्रदाय में तो यमुना उपासना के केंद्र में हैं। गौमित्र का यह प्राचीन सिक्का यमुना के देवत्व को समझने की एक कुंजी है। 


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