Pet Lovers: कोरोना काल में खलने लगा अकेलापन तो बेजुबान बन गए तन्हाई का सहारा
Pet Lovers आगरा में पिछले चार महीनों में श्वान और बिल्ली की मांग हुई दोगुनी। सप्लाई न होने से कीमतों में तीन गुना तक इजाफा। युवाओं ने अपने अकेलेपन को कम करने के लिए युवाओं ने श्वान और बिल्ली पालना शुरू किया।
आगरा, प्रभजोत कौर। कोरोना काल में दूसरे शहरों में नौकरी करने वाले युवा अपने घर लौट आए। घंटों वर्क फ्राम होम में इतने उलझ गए कि तनाव बढ़ता गया। दोस्तों से मुलाकात नहीं हुई, बाहर आना जाना नहीं हुआ। अपने अकेलेपन को कम करने के लिए युवाओं ने श्वान और बिल्ली पालने शुरु किए। इसका नतीजा यह निकला कि पिछले चार महीनों में पालतू जानवरों की मांग में दो गुना का इजाफा हो गया है। इसके साथ ही इनकी कीमतें भी दो से तीन गुना तक बढ़ गई हैं।
हर महीने बिकते थे 200 पिल्ले
आगरा में 250 से ज्यादा पालतू जानवरों के विक्रेता हैं। लाकडाउन से पहले हर महीने शहर में लगभग 200 श्वान व बिल्ली बिकती थीं। अनलाक में यह संख्या दोगुनी हो गई है। आगरा में कोलकाता से छोटी ब्रीड, पंजाब से बड़ी ब्रीड, जयपुर और दिल्ली से भी श्वानों की विभिन्न ब्रीड आती हैं।
युवा ज्यादा कर रहे मांग
पालतू जानवर पालने वालों में युवाओं की संख्या ज्यादा है। यह वो युवा हैं जो दूसरे शहरों में नौकरी करते थे, लाकडाउन में अपने घर वापस आए।वर्क फ्राम होम का कल्चर बढ़ा और लोगों से मिलना जुलना बंद हो गया। अकेलेपन को दूर करने के लिए युवाओं ने श्वानों और बिल्लियों को पालना शुरु किया।
नहीं हो रही सप्लाई
लाकडाउन में कोलकाता, जयपुर, पंजाब, दिल्ली से पिल्लों की सप्लाई बंद हो गई। मांग बढ़ती गई। इससे कीमतों में काफी वृद्धि हुई। पेट विक्रेता पीयूष बताते हैं कि दो से तीन गुना की वृद्धि श्वानों और बिल्लियों की कीमतों में हुई है।
यह है कीमतें
बीगल- 15 से बढ़कर 30 हजार
लेब्राडोर- 10 से बढ़कर 25 हजार
जर्मन शैफर्ड- पांच से बढकर 20 हजार
पामेरियन- दो से बढ़कर 10 हजार
पग- 10 से बढ़कर 20 हजार
सिप्टज- 2500 से बढ़कर 10 हजार
डाबरमैन- आठ से बढ़कर 20 हजार
परशियन बिल्ली- आठ से बढ़कर 15 हजार
आगरा में कई ब्रीड के श्वान हैं। कोरोना काल में श्वानों की मांग में काफी इजाफा हुआ है क्योंकि हमारे पास वैक्सीन के लिए आने वाले पिल्लों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। एनिमल बोर्ड वेलफेयर एसोसिएशन का नियम है कि पेट विक्रेता इलाज नहीं कर सकता है, इसलिए लोग पिल्ला खरीदने के बाद हमारे पास वैक्सीन के लिए आते हैं।
- डा. संजीव नेहरू, वेटरनररी
श्वानों के साथ ही परशियन बिल्ली पाने वालों की संख्या काफी बढ़ी है।इसकी देखभाल आसान होती है, इसलिए युवा इसे ज्यादा पसंद कर रहे हैं।सप्लाई न होने से इसकी कीमतों में भी काफी वृद्धि हुई है।
- डा. मनोज गुप्ता, वेटनररी