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आगरा में स्वयं सहायता समूहों के जीवन में आत्मनिर्भरता की मिठास घोलेगा पेठा

विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय स्वयं सहायता समूह अब पेठे के काम से भी जुड़ेंगे। इसके लिए उन्हें जागरूक किया जाएगा। इस क्षेत्र में वह सरकारी योजनाओं का लाभ उठाते हुए कैसे स्थापित हो सकते हैं इसके बारे में 27 अक्टूबर को सेमिनार के जरिये उन्हें जानकारी दी जाएगी।

By Nirlosh KumarEdited By: Published: Sun, 24 Oct 2021 04:34 PM (IST)Updated: Sun, 24 Oct 2021 04:34 PM (IST)
आगरा में स्वयं सहायता समूहों के जीवन में आत्मनिर्भरता की मिठास घोलेगा पेठा
27 अक्टूबर को कमला नगर स्थित महाराजा अग्रसेन सेवा सदन में सेमिनार का होगा आयोजन।

आगरा, जागरण संवाददाता। विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय स्वयं सहायता समूह अब पेठे के काम से भी जुड़ेंगे। इसके लिए उन्हें जागरूक किया जाएगा। इस क्षेत्र में वह सरकारी योजनाओं का लाभ उठाते हुए कैसे स्थापित हो सकते हैं, इसके बारे में 27 अक्टूबर को सेमिनार के जरिये उन्हें जानकारी दी जाएगी। इसकी अभी से तैयारी कर ली गई है।

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उपनिदेशक उद्यान कौशल कुमार ने बताया कि आगरा के लिए एक जिला एक उत्पाद के तहत पेठा को चयनित किया गया है। इस योजना के अंतर्गत उद्यमियों को कुल लागत का 35 फीसद या अधिकतम दस लाख प्रति इकाई अनुदान अनुमन्य है। यह अनुदान पेठा उत्पाद की नवीन इकाई की स्थापना पर दिया जाएगा तथा इसके साथ ही असंगठित क्षेत्र में स्थापित अन्य खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के उन्नयन पर भी यह अनुदान अनुमन्य है। 27 अक्टूबर को कमला नगर स्थित महाराजा अग्रसेन सेवा सदन में इस योजना के प्रचार-प्रसार के लिए सेमिनार आयोजित किया जा रहा है। इस संबंध में मुख्य विकास अधिकारी ए. मनिकंडन ने कहा कि जिले में कार्यरत 17 हजार स्वयं सहायता समूह को इस योजना से जाेड़कर उनको लाभान्वित किया जाएगा। बता दें कि अधिकांश घरों में दीपावली पर मेहमानों के स्वागत में पेठा परोसा जाता है। ऐसे में पेठा कारोबारियों ने दीपावली को लेकर अभी से तैयारी शुरू कर दी है। पहले से जो आॅर्डर मिल चुके हैं, उनके लिए पेठा बनाना शुरू कर दिया है। शहर ही नहीं, दिल्ली, ग्वालियर, जयपुर, लखनऊ, बरेली, कानपुर आदि कई प्रमुख शहरों से यहां के कारोबारियों को पेठे के आॅर्डर मिले हैं। जिले में लगभग 40 टन पेठे का हर रोज उत्पादन हो रहा है। 500 इकाइयां सक्रिय हैं। दो हजार से अधिक पेठा विक्रय की दुकानें हैं। ताजनगरी में वर्तमान में लगभग 30 तरह के पेठे का उत्पादन हो रहा है, हालांकि यहां 56 तरीका का पेठा बन सकता है।


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