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Holi 2020: Corona के डर पर भारी पड़ा होली का हुल्‍लड़, ताजनगरी में जमकर हो रहा हुड़दंग

मौसम अपेक्षाकृत ठंडा रहने से सुबह देर से निकलेे हुड़दंगी। एक्‍जाम्‍स के चलते बच्‍चों को मास्‍क और जैकेट पहनाकर खिलाया गया रंगों का त्‍योहार।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Tue, 10 Mar 2020 09:34 AM (IST)Updated: Tue, 10 Mar 2020 09:34 AM (IST)
Holi 2020: Corona के डर पर भारी पड़ा होली का हुल्‍लड़, ताजनगरी में जमकर हो रहा हुड़दंग
Holi 2020: Corona के डर पर भारी पड़ा होली का हुल्‍लड़, ताजनगरी में जमकर हो रहा हुड़दंग

आगरा, जागरण संवाददाता। ताजनगरी पर छाई कोरोना की घबराहट, रंगों के उल्‍लास में धुलती नजर आ रही है। पूरा शहर जहां मास्‍क और सेनेटाइजर से लैस होकर काेरोना से निपटने को तैयार हो गया था। वह रंगों की बौछार के आगे धीरे-धीरे दहशत के बंधन तोड़कर गले मिलने निकल पड़ा है। हालांकि इस बार बारिश और ओलों की वजह से मौसम में ठंडक बरकरार है। त्‍योहार पर अलसाई सी सुबह की खुमारी कुछ देर से उतरी। धूप निकल आने पर ही बच्‍चों को घर से बाहर होली खेलने की इजाजत मिली। सड़कों पर युवाओं में रंगों की तरंग भी देखने को मिल रही है। हां, पिछले साल के मुकाबले यह कुछ कम जरूर है।

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होली त्‍योहार ही हुल्‍लड़, मस्‍ती, रंग और प्रेम का है। मंगलवार सुबह से ही त्‍योहार की रौनक नजर आने लगी है। कोरोना के भय को देखते हुए बदलाव इतना जरूर दिखा है कि लोग मास्‍क पहनकर होली पहनकर खेलने निकले हैं।

राधास्वामी सत्संग केंद्रों पर ही मन रही होली

कोरोना वायरस के चलते दयालबाग में इस बार कोई कार्यक्रम नहीं हो रहा है। हालांकि राधास्वामी मत में होली का बहुत महत्व है। इस दिन सत्संग, गुरु भक्ति के रंग खिलाए जाते हैं। हर साल होली पर कार्यक्रम आयोजित किए जाते थे, लेकिन इस साल कोरोना वायरस के चलते सत्संगियों को परामर्श दिया गया है कि वे दयालबाग न आएं बल्कि सत्संग केंद्रों पर ही कार्यक्रम में शामिल हों। दयालबाग से कार्यक्रमों का सीधा प्रसारण देश-विदेश के लगभग 500 ब्रांचों एवं सत्संग केंद्रों पर किया जाएगा। इस बार दयालबाग में भी ऐसे ही कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, ताकि अधिक भीड़ एकत्र न हो। सोमवार को होली से पूर्व खेतों में सभी ने मिलकर सेवा की।

कोरोना के खात्‍मे को होलिका मईया से प्रार्थना

सोमवार रात को पूरी श्रद्धा के साथ होलिका दहन किया। लोगों ने कोरोना वायरस की समाप्ति की भी प्रार्थना की। शहर के हर गली मुहल्ले, चौराहों पर सूखी लकडिय़ों, कंडे और लौंद से होलिका तैयार की गई थी। महिलाओं ने होलिका माता की पूजा की। घरों में होलिका में अग्नि प्रज्वलित कर उन पर होरे और जौ भून कर होली के लोक गीत गाए। होलिका दहन के लिए एक महीने से चौराहों पर सूखी लकड़ी एकत्र की जा रही थी। मुहल्लों और कालोनियों में चंदा कर युवाओं और बच्चों ने सूखी लकडिय़ों और कंड़ों से होलिका सजाई। दोपहर से शाम तक महिलाओं ने पारंपरिक होली के गीत गाते हुए होलिका का पूजन किया और उनके चारों तरफ सूत लपेटा। इसके बाद देर शाम होलिका जलाई गई।

शाम छह बजे से देर रात तक हुआ दहन

होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त शाम छह बजकर 26 मिनट से रात आठ बजकर 52 मिनट तक था। कुछ लोगों ने शाम छह बजे से ही होलिका दहन की रस्म पूरी करना शुरु कर दिया, लेकिन कई स्थानों पर देर रात विधि विधान से होलिका दहन किया।

घरों में भी हुआ होलिका दहन

मान्यता है कि मुहल्लों में होने वाले सामूहिक होलिका दहन की अग्नि से ही घरों में होलिका को प्रज्जवलित किया जाता है। इसके बाद घर की महिलाएं होली के पारंपरिक गीत गाते हुए जौ और होरे भूनती हैं। इसका संबंध अनाज की पूजा करने से माना जाता है।

रात भर हुई मस्ती

होलिका दहन के बाद युवाओं ने रात से ही होली का धमाल शुरु कर दिया। मुहल्लों और कालोनियों में म्यूजिक सिस्टम की व्यवस्था कर उन्होंने पूरी रात धमाल किया। इस मौके पर ठंडाई का भी प्रबंध किया गया। 


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