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एसएन मेडिकल कॉलेज में आग की दहशत के पल, धुंए में कुछ नहीं दिख रहा था, खांसी उठ रही थी लोग एक दूसरे पर गिरे जा रहे थे

आठ मंजिला इमारत में दहशत के पल याद कर कांप उठे तीमारदार। कोई दिव्यांग बेटे को कंधे पर लेकर भागा कोई गोद में लेकर आया। मंगलवार दोपहर एसएन मेडिकल कॉलेज के सर्जिकल ब्लॉक के बेसमेंट में लगी थी आग।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Tue, 15 Mar 2022 05:35 PM (IST)Updated: Tue, 15 Mar 2022 05:35 PM (IST)
एसएन मेडिकल कॉलेज में आग की दहशत के पल, धुंए में कुछ नहीं दिख रहा था, खांसी उठ रही थी लोग एक दूसरे पर गिरे जा रहे थे
एसएन मेडिकल कॉलेज में लगी आग के बाद खाैफ में आये तीमारदार कालीचरण और उनकी बेटी।

आगरा, अली अब्बास। जाड़े के कोहरे की तरह इमारत के अंदर धुंआ भरा हुआ था। किसी को कुछ नहीं दिख रहा था। बस लोगों के खांसने की आवाजें कानों में आ रही थीं। लोग एक दूसरे पर गिरे जा रहे थे। इसी बीच अचानक अंधेरा हो गया तो दिल दहशत से बैठने लगा कि अब क्या होगा। दाैलतराम, कालीचरण ने एेसा मंजर अभी तक टीवी चैनलों और मोबाइल पर वायरल होने वाली वीडियो में देखा था। मंगलवार को सर्जरी बिल्डिंग में हुए हादसे को बताते वक्त उनके चेहरे पर दहशत साफ झलक रही थी।

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शाहगंज के अलबतिया रोड नई आबादी प्रेम नगर निवासी दौलतराम ने अपने बेटे इंद्रजीत को 10 मार्च को एसएन में भर्ती कराया था। वह एक पैर से दिव्यांग है, कैंसर के चलते उसकी जीभ व गले का अापरेशन हुआ है। वह तीसरी मंजिल के वार्ड में सात नंबर बेड पर भर्ती है। उसी मंजिल पर कालीचरण का दामाद मूलचंद भी 13 दिन से भर्ती है। उसे अज्ञात लोगों ने अधमरा कर सड़क किनारे डाल दिया था। तीसरी मंजिल पर तीनों वार्ड में 100 से ज्यादा मरीज भर्ती थे।

दौलतराम ने बताया इमारत के बेसमेंट में लगी आग से फैले धुंए की उन्हें व वार्ड में भर्ती अन्य मरीजों के तीमादारों को जानकारी नहीं थी। आग लगने का शोर मचने पर वह वार्ड से बाहर निकलकर आए, चारों तरफ अफरातफरी का दृश्य था। परिसर में धुंए के चलते लोगों को कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। लोग लिफ्ट की ओर भाग रहे थे। इसी दौरान लाइट चली गई, जिससे अचानक अंधेरा हो गया। जिससे मरीज और उनके तीमारदार घबरा गए। कुछ लोग तो रोने लगे। स्टाफ ने लिफ्ट से जाने से मना कर दिया दिव्यांग बेटे को वह अपनी पत्नी की मदद से किसी तरह लेकर सीढ़ियों की ओर भागे।

सीढ़ी पर लोग बाहर निकलने के लिए एक दूसरे पर गिरे जा रहे थे। वह बुरी तरह से घबराए हुए थे। करीब बीस मिनट की काेशिश के बाद वह इमारत के बाहर निकल सके। वहीं कालीचरण के सामने भी कम मुश्किल नहीं थी। वार्ड में भर्ती दामाद मूलचंद की छह पसलियां वह एक बाजू में फ्रैक्चर है। जिसके चलते उसे पैदल ले जाना मुमकिन नहीं था। बेटी राजनदेवी को उन्होंने काम से बाहर भेजा हुआ था। ऐसे में दामाद को सकुशल कैसे बाहर निकालें, यह सोचकर उनकी अांखों में आंसू आ गए। ऐसे में वहां कुछ तीमारदारों ने उनकी मदद की। स्ट्रेचर का इंतजाम कर उस पर मूलचंद को रखकर बाहर लेकर आए। कालीचरण, दौलतराम, राजन देवी समेत अन्य तीमारदाराें के उस दृश्य को याद करके रोंगटे खड़े हो रहे थे।   


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