क्लस्टर बना, प्रसंस्करण सुधारेगा आलू राजा की सेहत, जानिए कैसे
- क्लस्टर क्षेत्र में खाद्य प्रसंस्करण की सुविधाएं की जाएंगी विकसित - आगरा और अलीगढ़ मंडल के दो-दो जिले किए क्लस्टर में शामिल
आगरा, अम्बुज उपाध्याय। आलू किसानों को अब नुकसान नहीं झेलना होगा। भंडारित आलू (सब्जियों का राजा) की निकासी के लिए कोल्ड के चक्कर नहीं लगाने होंगे। दूसरे राज्यों और जिलों की फसल आने पर दाम गिरने का भय नहीं होगा। कारण, आलू किसानों के लिए ऑपरेशन ग्रीन तैयार किया गया है। इसके तहत दो क्लस्टर बनाए गए हैं। इनमें आधारभूत सुविधाएं और खाद्य प्रसंस्करण यूनिट विकसित करवाई जाएंगी। इससे किसान और दूसरे उत्पादकों को साथ जोड़ा जाएगा।
जिले में बड़े पैमाने पर आलू की पैदावार होती है। भाव की अस्थिरता के कारण किसान मुश्किल में रहते हैं। पैदावार अधिक होने पर आलू फेंकना तक पड़ता है। गत फसल को छोड़ दें तो उससे पहले तीन वर्ष किसानों को लगातार नुकसान झेलना पड़ा। इस पर लगाम के लिए ऑपरेशन ग्रीन तैयार किया गया है। यह हैं दो क्लस्टर
योजना के तहत दो क्लस्टर बनाए गए हैं। इसमें आगरा, फीरोजाबाद और अलीगढ़, हाथरस को मिलाकर एक क्लस्टर बनाया गया है। वहीं कन्नौज और फर्रुखाबाद को मिलाकर दूसरा क्लस्टर बनाया गया है। केंद्र और राज्य सरकारें देंगी गति
केंद्र और प्रदेश सरकार दोनों मिलकर इस प्रोजेक्ट को गति देंगी। केंद्र ने गाइड लाइन जारी कर दी है। राज्य ने गाइड लाइन जारी नहीं की है। योजना के तहत फार्मर प्रोडक्शन आर्गेनाइजेशन (एफपीओ) गठित कराकर उनको गुणवत्ता परक उत्पादन और खाद्य प्रसंस्करण के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। अनुदान के माध्यम से देंगे बढ़ावा
योजना में एफपीओ को 70 फीसद अनुदान और अन्य को 50 फीसद अनुदान दिया जाएगा। प्रोजेक्ट की नोडल एजेंसी नेफेड रहेगी। यह भाव की स्थिरता में विशेष भूमिका निभाएगी। फसल के समय पर निर्धारित भाव से खरीद की जाएगी। इस पर 50 फीसद का अनुदान भी देना प्रस्तावित है। अधिक उत्पादन वाले क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में फसल भेजने के लिए परिवहन भाड़े पर अनुदान देने की भी योजना है। किसानों को नुकसान से बचाने और लाभ दिलाने के लिए ऑपरेशन ग्रीन है। इसके तहत भाव की स्थिरता, प्रसंस्करण को बढ़ावा देना के लिए कार्य होगा।
कौशल कुमार, उप निदेशक उद्यान