शासन को भेजी गई सहमति रिपोर्ट पर अभिभावक हैरान
बिना वैक्सीनेशन बचों को स्कूल भेजने के लिए तैयार नहीं स्कूलों के आंकड़ों और शासन को भेजी गई सहमति रिपोर्ट पर उठे सवाल
आगरा, जागरण संवाददाता। कोरोना काल में हमने अपनों को खोया है। तीसरी लहर की आशंका लगातार बनी हुई है। बिना वैक्सीनेशन के बच्चों को स्कूल भेजने की सोच भी नहीं सकते, ऐसे में जिले के 66.37 फीसद और मंडल के 64.4 फीसद अभिभावकों ने सहमति कब और कहां से दे दी?
माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा शासन को भेजी गई रिपोर्ट के आंकड़ों पर अभिभावकों और प्रोग्रेसिव आगरा पेरेंट्स एसोसिएशन (पापा) ने हैरानी जताई है। अभिभावक शोभित जेटली का कहना है कि यह डाटा कैसे जुटाया गया, हम भी जानना चाहते हैं, क्योंकि हमने अभी तक कोई सहमति नहीं दी है। आंकड़ों की हो जांच
पापा के जिला संयोजक अमर सिंह सेंगर का कहना है कि बच्चों को वैक्सीन नही लगी है, जबकि तीसरी लहर में सबसे अधिक खतरा उन्हें ही बताया जा रहा है। फिर भी यह सर्वे हैरानी और संदेह पैदा करता है, क्या सर्वे एजेंसी, शासन, प्रशासन और स्कूल प्रबंधकों को बीती त्रासदी का जरा भी अहसास नहीं है?
अभिभावक अरुण मिश्रा ने कहा कि हम इस पूरे सर्वे का खंडन करते हैं, हमारी मांग है कि भ्रांति फैलाने वाली ऐसी एजेंसी, प्रशासन और स्कूल संचालकों की मिलीभगत की निष्पक्ष जांच हो। इसलिए उठे सवाल
शासन ने स्कूल खोलने के लिए अभिभावकों की सहमति की स्थिति मांगी तो वित्तविहीन स्कूल संचालक खुश हो गए। विभागीय सूत्रों के अनुसार इसे स्कूल खुलने का पहला कदम मानते हुए उन्होंने अभिभावकों का मन टटोले बिना ही अपने स्तर से 70 से 90 फीसद तक विद्यार्थियों के अभिभावकों की सहमति रिपोर्ट तैयार कर जिला विद्यालय निरीक्षक को भेज दी। लेकिन, अभिभावकों से सहमति कैसे ली गई, उनके हस्ताक्षर आदि कोई भी साक्ष्य रिपोर्ट के साथ नहीं लगाए। वाट्सएप से जुटाई हां
तमाम स्कूलों के शिक्षकों ने आनलाइन शिक्षण वाले ग्रुप पर मैसेज भेजकर अभिभावकों की राय जानी। ज्यादातर विद्यार्थियों के नंबर से विद्यालय खुलने के लिए हां में जवाब आया। हालांकि वह संदेश अभिभावकों ने भेजा या विद्यार्थियों ने, इसको लेकर कोई सत्यापन नहीं किया गया।