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स्‍कूलों की मनमानी नहीं होती बर्दाश्‍त पर कोई लिखित शिकायत को नहीं तैयार

उप्र स्ववित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय शुल्क निर्धारण अध्यादेश में होगी कार्रवाई। मौखिक शिकायतें कई आयीं विभाग को लिखित की दरकार।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Fri, 26 Apr 2019 05:31 PM (IST)Updated: Fri, 26 Apr 2019 05:31 PM (IST)
स्‍कूलों की मनमानी नहीं होती बर्दाश्‍त पर कोई लिखित शिकायत को नहीं तैयार
स्‍कूलों की मनमानी नहीं होती बर्दाश्‍त पर कोई लिखित शिकायत को नहीं तैयार

आगरा, जागरण संवाददाता। नए सत्र में स्कूलों से लेकर पुस्तक विक्रेताओं के यहां तक अभिभावकों से खुलकर अवैध वसूली हुई। अभिभावकों ने अपनी पीड़ा दबे स्वर में उठाई, लेकिन बच्चों के भविष्य की खातिर फिर चुप्पी साध ली। उनकी मजबूरी का फायदा स्कूल संचालक आदि, सभी मिल कर उठा रहे हैं। वहीं शिक्षा विभाग को अब तक शिकायतों का इंतजार है, इसके बाद ही खुली लूट करने वालों के खिलाफ उप्र स्ववित्त पोषित स्वतंत्र विद्यालय शुल्क निर्धारण अध्यादेश 2018 में कार्रवाई की जा सके।

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फिलहाल की बात करें, तो विभाग के पास मौखिक से शिकायतें तो हैं पर लिखित शिकायतें नहीं हैं। विभाग की मजबूरी है कि मौखिक शिकायतों पर कार्रवाई संभव नहीं। लिहाजा डीआईओएस रवींद्र सिंह को लिखित शिकायत का इंतजार है। उन्होंने बताया कि कानून में प्रावधान है कि लिखित शिकायत पर ही कार्रवाई की जा सकती है। हालांकि विभाग ने मीडिया रिपोर्ट को भी संज्ञान में लिया है, लेकिन संबंधित स्कूल और उससे जुड़े तंत्र पर कार्रवाई करने के लिए लिखित शिकायत होना जरूरी है। इसलिए पीड़ित अभिभावक थोड़ी हिम्मत कर आगे आएं, तो मनमानी रोकने का काम करेंगे।

बुलाई जाएगी बैठक

नियम के अंतर्गत आने वाली शिकायतों के निस्तारण के लिए शासन ने पांच सदस्यीय कमेटी बनाई है। विभागीय अधिकारी का कहना है कि जब शिकायतें आएंगी, तभी कार्रवाई के लिए समिति की बैठक बुलाई जाएगी।

यह है समिति में शामिल

समिति के अध्यक्ष जिलाधिकारी व सचिव जिला विद्यालय निरीक्षक है। सदस्य बतौर बीएसए, वित्ताधिकारी, सीए दीपेंद्र मोहन, क्वीन विक्टोरिया इंटर कॉलेज के प्रबंधक जेएस जर्माया शामिल हैं।

यह कार्रवाई है संभव

मामले में पहली बार दोषी पाए जाने पर स्कूल पर एक लाख का जुर्माना लगेगा। दूसरी बार दोषी पाए जाने पर पांच लाख का जुर्माना लगेगा। जबकि तीसरी बार दोषी पाए जाने पर जुर्माने के साथ में मान्यता प्रत्याहरण की कार्रवाई भी संभव है।

यह है नियम

उप्र स्ववित्त पोषित स्वतंत्र विद्यालय शुल्क निर्धारण अध्यादेश 2018 में प्रावधान है कि कोई भी स्कूल, जिसकी फीस 20 हजार से ज्यादा है, इसकी जद में आएगा। वो अपनी वार्षिक फीस में अधिकतम नौ फीसद (वर्तमान महंगाई दर प्लस पांच फीस बढ़ोत्तरी) ही वृद्धि कर सकता है। इससे ज्यादा वृद्धि के लिए उसे समिति के समक्ष प्रस्ताव देना होगा और ज्यादा बढ़ोत्तरी का तर्क रखना होगा। तब समिति इसके लिए अनुमति देगी। इसके साथ स्कूल किसी खास दुकान से या अपने यहां काउंटर लगाकर किताबें या ड्रेस आदि नहीं बेच सकता।


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