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बात करे तो सलमान लगे और चाल अमिताभ वाली हो, एडमिशन के लिए चल रही अजग ट्रेनिंग Agra News

इंटरव्यू में एंट्री मारते ही बच्चे का एडमिशन हो जाए इस चाहत के साथ बच्चों को स्पेशल ट्रेनिंग दिलवाई जा रही है।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Wed, 30 Oct 2019 11:57 AM (IST)Updated: Wed, 30 Oct 2019 11:57 AM (IST)
बात करे तो सलमान लगे और चाल अमिताभ वाली हो, एडमिशन के लिए चल रही अजग ट्रेनिंग Agra News
बात करे तो सलमान लगे और चाल अमिताभ वाली हो, एडमिशन के लिए चल रही अजग ट्रेनिंग Agra News

आगरा, जागरण संवाददाता। चाल अमिताभ बच्चन जैसी हो। स्टाइल रितिक रोशन जैसी हो। बात करे तो सलमान खान लगे और एक्सप्रेशन आमिर खान जैसे हो। दिमाग एपीजे अब्दुल कलाम का हो। यह सारी चाहतें किसी फिल्मी किरदार के लिए नहीं बल्कि नर्सरी में एडमिशन के लिए है। इंटरव्यू में एंट्री मारते ही बच्चे का एडमिशन हो जाए, इस चाहत के साथ बच्चों को स्पेशल ट्रेनिंग दिलवाई जा रही है।

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इस साल नर्सरी एडमिशन की डेट्स घोषित होते ही अभिभावकों के सिर पर दोहरी मार पड़ी है। पहला उन्हें एडमिशन के लिए सारे कागज तैयार करने हैं तो दूसरी तैयारी बच्चे की है। एडमिशन के लिए अभिभावक बच्चे को खुद भी तैयार कर रहे हैं तो प्ले ग्रुप्स में स्पेशल ट्रेनिंग दिलवा रहे हैं।

चलने से लेकर बोलने में हो स्टाइल

बच्चों में कितना आत्मविश्वास है, ये बात एडमिशन में बहुत मायने रखती है। टीचर्स इंटरव्यू के दौरान बच्चे की हर गतिविधि को गौर से देखते हैं। अभिभावक भी अपने बच्चे को हर पैमाने पर टॉप पर रखना चाहते हैं। इसके लिए स्पेशल ट्यूशन तक दिलवा रहे हैं। बच्चों को सिखाया जा रहा है कि किस तरह उन्हें पूर्ण विश्वास के साथ चलना है। बात करने में सिर्फ इंग्लिश का प्रयोग करना है।

प्ले ग्रुप्स में चल रही क्लासेज

शहर के कई प्ले ग्रुप्स ऐसे हैं जो अपने यहां पढ़ रहे बच्चों को एडमिशन के लिए स्पेशल क्लासेज दे रहे हैं। इन क्लासेज में बच्चों को जरूरी सामान्य ज्ञान से लेकर इंटरव्यू को पास करने के टिप्स तक दिए जा रहे हैं। किड्जी प्ले ग्रुप की संचालिका नेहा गुप्ता बताती हैं कि हम अपने यहां पढ़ने वाले बच्चों को स्पेशल ट्रेनिंग देते हैं, जिससे उनका एडमिशन स्कूल में आसानी से हो जाए। इस ट्रेनिंग में टीचर्स का स्वागत करना, चलने का स्टाइल और इंग्लिश के बोलने का तरीका तक शामिल होता है।

घरों में भी चल रही ट्रेनिंग

इस समय हर उस घर में ट्रेनिंग का माहौल है, जहां तीन-चार साल के बच्चे हैं। शहर के चुनिंदा स्कूलों में एडमिशन के लिए अभिभावक अपने बच्चों को सुबह उठने से लेकर रात सोने तक हर बात में कुछ ना कुछ सिखा रहे हैं। घरों में भी बच्चों से इंग्लिश में बात की जा रही है।


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