बुलियन कारोबारी परिवार का बुझ गया अंतिम चिराग, माता पिता और बहन की हुई थी हत्या Agra News
एक जनवरी की सुबह झज्जर गांव के पास बंद कार में तीन शवों के साथ मिला था घायल। दिल्ली के अपोलो अस्पताल में आधी रात के बाद शौर्य अग्रवाल ने भी तोड़ा दम।
आगरा, जेएनएन। बुलियन कारोबारी नीरज अग्रवाल, उनकी पत्नी नेहा और बेटी धान्या हत्याकांड में घायल बेटे शौर्य ने भी चार दिन तक अस्पताल में जिंदगी के लिए जूझने के बाद आखिर दम तोड़ दिया। एक जनवरी को मथुरा से दिल्ली जाते समय यमुना एक्सप्रेस वे की सर्विस रोड पर एक कार में ये वारदात हुई थी। नीरज, नेहा और धान्या की तो कार में ही मौत हो गई थी जबकि घायलावस्था में मिले शौर्य को दिल्ली में भर्ती कराया गया था। पुलिस को उम्मीद थी कि स्वस्थ होने पर शौर्य इस हत्याकांड को लेकर कुछ सुराग दे सकता है। मगर शौर्य की मौत के साथ ही पुलिस के लिए इस हत्याकांड की गुत्थी सुलझाने की एक संभावना भी खत्म हो गई है।
100 करोड़ के काले धन को सफेद करने के बहुत चर्चित आरएस बुलियन फर्म के मालिक नीरज अग्रवाल उनकी पत्नी नेहा, बेटी धान्या और पुत्र शौर्य 31 जनवरी की रात को जगन्नाथ पुरी से दिल्ली मयूर विहार के लिए निकले थे। दूसरे दिन सुबह थाना जमुनापार के गांव झज्जर के समीप यमुना एक्सप्रेसवे के पुल के समीप बंद कार में खून से लथपथ नीरज, उनकी पत्नी और बेटी के शव मिले थे। जबकि घायल हालत में बेटेे शौर्य की सांसे चल रही थींं। पुलिस ने शौर्य को नयति अस्पताल में भर्ती कराया था। हालत गंभीर होने पर स्वजन शौर्य को अपोलो अस्पताल, दिल्ली में लेकर गए। उसके सिर और गले का ऑपरेशन किया गया। वह घटना के दिन से ही कोमा में था। उसके भी सिर में गोली लगी थी। शुरुआत में पुलिस इस मामले को खुदकुशी बता रही थी लेकिन मृतक नीरज अग्रवाल के साले अमित अग्रवाल ने घटना की नामजद रिपोर्ट थाना जमुनापार में कराई थी। उसने आरोप लगाया था कि महाविद्या कॉलोनी निवासी मनीष चतुर्वेदी, आशीष अरोड़ा, आशीष चतुर्वेदी और नीरज कुमार ने उसके जीजा बहन भांजी की हत्या कर दी और गोली मारकर भांजे को घायल कर दिया है। अमित की रिपोर्ट के बाद मामला उलझ गया और उम्मीद की जा रही थी कि शौर्य अग्रवाल के ठीक होने के बाद हकीकत सामने आ जाएगी कि तीनों की हत्या की गई है या खुदकुशी का मामला है। शनिवार की रात को घटना का अंतिम चश्मदीद गवाह शौर्य भी जिंदगी की जंग हार गया। शनिवार को शहर में जगह-जगह मोमबत्ती और दीपक जलाकर शौर्य अग्रवाल की लंबी आयु और उसके ठीक होने के लिए प्रार्थना की गई थी। मगर कोई दुआ उसकी जिंदगी को नहीं बचा सकी।