जरूरत नहीं, लत बन गई है ऑनलाइन शॉपिंग, जानिए क्या हो रहा नुकसान
ऑनलाइन शॉपिंग ने बढ़ाई कंपल्सिव बाइंग डिसऑर्डर के मरीजों की संख्या।
आगरा, जागरण संवाददाता। स्कूल शिक्षिका मिताली ऑनलाइन शॉपिंग में व्यस्त रहती है। एक माह में वह दस से अधिक ड्रेस के ऑर्डर कर चुकी है। छोटी-छोटी जरूरतों के लिए भी ऑनलाइन ही सामान मंगाती है। अब वह क्रेडिट कार्ड के बिल को लेकर परेशान हैं।
एमबीए की छात्रा शिवानी दिन भर ऑनलाइन शॉपिंग साइट्स देखती रहती है। किसी भी उत्पाद पर छूट मिल रही हो उसे तुरंत बुक करा लेती है। उसकी इस आदत से अभिभावक परेशान हो चुके हैं। हर महीने का खर्च भी अनावश्यक बढ़ गया है।
यह सिर्फ मिताली और शिवानी की समस्या नहीं है। यह समाज में लोगों की तेजी से बदल रही आदत का आईना है। पहले जरूरत, फिर शौक के बाद ऑनलाइन शॉपिंग लत बनती जा रही है। तथाकथित छूट के लालच में वह वस्तुएं भी मंगाई जा रही हैं जिनकी जरूरत नहीं। ऑनलाइन शॉपिंग की लत ने लोगों को मनोरोगी बना दिया है। दिन-रात ऑनलाइन साइट पर यही तलाश रहती है कुछ सस्ता मिल जाए। एक महिला ने थोड़े से समय में दर्जन भर से अधिक साडिय़ां खरीद ली। अलमारी में दर्जनों साडिय़ां ठूंस-ठूंस कर भरी हुई हैं। हर तीसरे-चौथे दिन बैड पर नई चादर बिछी दिखाई देती है। पति ने समझाने की कोशिश की तो वह चोरी-छुपे शॉपिंग करने लगी। इस तरह के मामले अब आम होते जा रहे हैं। मनोचिकित्सक के पास ऐसे मामले आने लगे हैं, जो ऑनलाइन खरीदारी से ज्यादा खरीद की बीमारी का शिकार हो चुके हैं। यह बीमारी कंपल्सिव बाइंग डिसऑर्डर है। इसमें मरीज आवेग में आकर खरीद करते हैं। वह स्वयं को तब तक नियंत्रित नहीं कर पाते, जब तक कुछ खरीद नहीं लें। खरीदारी करने के बाद बेचैनी कम हो जाती है। ऐसे मरीजों का दिन का बड़ा समय ऑनलाइन साइट्स पर सामान ढूंढने में निकलता है। ऐसा न करने पर बेचैनी होने लगती है।
जरूरत से ज्यादा हो रही खरीदारी
लोगों को ऑनलाइन शॉपिंग की ऐसी लत लग रही है कि सस्ता देखकर बिना जरूरत का सामान भी खरीदा जा रहा है। कमाई का एक बड़ा हिस्सा घर के बजट के अलावा ऑनलाइन शॉपिंग पर खर्च होने लगा है। इससे घर का बजट गड़बड़ाने लगा है।
क्रेडिट कार्ड से खरीदारी से बढ़ रहा कर्ज
लोगों में खरीदारी की आदत को क्रेडिट कार्ड ने भी बढ़ा रखा है। जेब में पैसे न होने पर भी लोग क्रेडिट कार्ड से खरीदारी कर रहे हैं। किस्तों में पैसे चुकाने की व्यवस्था के कारण लोग अधिक खरीदारी करने लगे हैं। इससे लोगों पर धीरे-धीरे कर्ज बढऩे लगा है।
बीमारी जाहिर नहीं होने देते
कंपल्सिव बाइंग डिसऑर्डर के मरीज अपनी बीमारी छिपाने के लिए तरह-तरह के बहाने बनाते हैं। लोगों की नजर में न आएं, इसके लिए वे छुप-छुप कर शॉपिंग करते हैं। खरीदारी के लिए पैसा कहां से आएगा, उन्हें इसकी चिंता नहीं रहती।
विशेषज्ञ की राय
मोबाइल और ऑनलाइन शॉपिंग के ट्रेंड ने बीमारी को बढ़ावा दिया है। कई लोग तो तनाव कम करने के लिए खरीदारी करते हैं। लोग ऑफिस में भी शॉपिंग साइट पर सामान खंगालते रहते हैं।
विवेक पाठक, साइकोथैरेपिस्ट, पोलारिस अस्पताल लॉयर्स कॉलोनी
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