हर पांच में ये एक महिला इसकी शिकार, जानिए मोटापा और आॅक्सिडेटिव तनाव की क्या है वजह Agra News
युवा चिकित्सक डा. निहारिका के साथ डा. शैली और डा. नीरजा सचदेव ने कहा बचाव है आसान बस जागरूकता की कमी आ रही आडे़।
आगरा, जागरण संवाददाता। एक अध्ययन के मुताबिक, भारत में पांच में से एक वयस्क महिला और पांच में से दो किशोरी PCOS या PCOD से पीड़ित हैं। मुंहासे और हिरसुटिज्म पीसीओएस के सबसे बुरे लक्षण हैं। इसके अलावा मोटापा और बांझपन महिलाओं की जिंदगी बदतर बना रहे हैं। आखिर ये है क्या ? तमाम लोग यह जानने की कोशिश करते हैं, जिसका जवाब आपको इस खबर में मिलेगा।
रेनबो हाॅस्पिटल कीं डा. निहारिका मल्होत्रा, डा. शैली गुप्ता और डा. नीरजा सचदेवा महिलाओं की इन समस्याओं पर काफी काम कर रही हैं। डा. निहारिका मल्होत्रा ने बताती हैं कि पीसीओएस की वजह से महिलाएं समाज में शर्म की स्थिति झेलने के साथ-साथ भावनात्मक तनाव और अवसाद की चपेट में आ जाती हैं। इस समस्या को पाॅलिसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम कहा जाता है, जिसका जल्दी ही उचित इलाज मिलने पर समस्याओं से बचा जा सकता है। पीसीओएस वास्तव में मेटाबाॅलिक, हार्मोनल और साइकोसोशल बीमारी है, जिसका प्रबंधन किया जा सकता है। इसके लिए खराब खान-पान, निष्क्रिय जीवनशैली कारण बनते हैं। पीसीओएस में इंसुलिन का स्तर भी सामान्य से अधिक हो जाता है, जो वजन और अन्य समस्याओं का कारण बनता है। हमारे पास न सिर्फ वयस्क महिलाएं बल्कि तमाम किशोरियां भी इस समस्या से पीड़ित आती हैं, जिनका जीवनशैली में बदलाव और बेहतर दवाओं से इलाज किया जाता है।
क्या हैं पीसीओएस या पीसीओडी के लक्षण
- वजन बढ़ना
- थकान
- अवांछित बाल उगना
- बाल पतले होना
- बांझपन
- मुंहासे
- पैल्विक पेन
- सिर दर्द
- नींद की समस्या
मोटापा बन रहा बांझपन की वजह
डा. नीरजा सचेदव ने बताया कि मोटापा महिलाओं में न सिर्फ गर्भधारण के लिए समस्या बनता है बल्कि कई बार गर्भवती महिलाओं के लिए भी हानिकारक होता है। मोटापे की वजह से शरीर में एंड्रोजन, इंसुलिन जैसे हार्मोन के बढ़ने की समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा मोटापे की वजह से अंडोत्सर्ग और शुक्राणु के लिए नुकसानदेह प्रतिरोधी हार्मोन बनते हैं। अधिक वजन महिलाओं में कई बार गर्भधारण न कर पाने की वजह बन जाता है तो कई बार गर्भधारण में संतुलित वजन वाली महिलाओं की अपेक्षा एक साल से अधिक का समय लग सकता है। हालांकि आजकल विकल्प मौजूद हैं। इसे दो तरह से सुधारा जा सकता है। एक तो संतुलित जीवनशैली से और दूसरा एडवांस दवाओं से। अब ऐसी दवाएं उपलब्ध हैं जो मोटापा को न सिर्फ कम करती हैं बल्कि इसे दोबारा न बढ़ने के लिए भी काम करती हैं।
आॅक्सिडेटिव तनाव कैसे कर रहा संतान सुख से दूर
डा. शैली गुप्ता ने बताया कि आजकल मेल-फीमेल दोनों इनफर्टिलिटी की वजह आॅक्सिडेटिव तनाव बन रहा है। पुरूषों में यह स्पर्म की गुणवत्ता खराब करता है। लगभग आधे फर्टिलिटी के मामले पुरूषों से जुडे़ होते हैं। इसके विभिन्न कारण होते हैं, जिनमें से एक है आॅक्सिडेटिव तनाव। यह एकाग्रता, उपस्थिति और अंडे को निषेचित करने की क्षमता का भी हानिकारक रूप से प्रभावित करता है। इसलिए यह सिर्फ महिलाओं की समस्या नहीं है बल्कि बांझपन के लिए महिला और पुरूष दोनों बराबर के जिम्मेदार हैं। इसी तरह महिलाओं में यह बांझपन की वजह बन जाता है और इसके साथ कई तरह की दूसरी बीमारियां भी लग जाती हैं।