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उद्यानों और हवेलियों के लिए जाना जाता था आगरा, वैभवशाली रहा इतिहास यहां का Agra News

यमुना के दोनों किनारे पर बने हुए थे 45 उद्यान हवेलियां और मकबरे। आज अधिकांश का अस्तित्व हो चुका है खत्म एएसआइ संरक्षित ही बचे।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Tue, 18 Jun 2019 12:16 PM (IST)Updated: Tue, 18 Jun 2019 12:16 PM (IST)
उद्यानों और हवेलियों के लिए जाना जाता था आगरा, वैभवशाली रहा इतिहास यहां का Agra News
उद्यानों और हवेलियों के लिए जाना जाता था आगरा, वैभवशाली रहा इतिहास यहां का Agra News

आगरा, निर्लोष कुमार। ताज के पार्श्‍व में बहने वाली यमुना आज बदहाल है। उसमें जमा सिल्ट और रेत में यमुना किनारे बने घाट कहीं गुम हो गए हैं। मगर कभी आगरा को यमुना के किनारे बने उद्यानों और हवेलियों के जाना जाता था। उसके दोनों तटों पर 45 उद्यान, हवेलियां और मकबरे बने थे। आज इनमें से अधिकांश का अस्तित्व मिट चुका है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) द्वारा ताज की पश्चिमी दीवार के बराबर में स्थित बाग खान-ए-आलम के पार्श्‍व में यमुना किनारे पर साइंटिफिक क्लीयरेंस कराई जा रही है। यहां छह दशक पूर्व तक बसई घाट था, जो आज सिल्ट और पत्थरों के रोके में दबा हुआ है। दरअसल, बाग-खान-आलम ही नहीं, यमुना किनारे पर मुगल काल में बागों और हवेलियों की लंबी श्रृंखला हुआ करती थी। आस्ट्रियन लेखिका ईबा कोच ने अपनी किताब 'दि कंप्लीट ताजमहल एंड दि रिवरफ्रंट गार्डन्स ऑफ आगरा में यमुना के तट पर बने 45 उद्यानों, हवेलियों और मकबरों का उल्लेख किया है। यमुना के बायें तट पर इनमें से आज केवल बाग-ए-नूर अफशां, चीनी का रोजा, एत्माद्दौला, मेहताब बाग ही अस्तित्व में हैं। अन्य बागों का कहीं पता नहीं है। नदी के दायें तट पर वर्तमान में हवेली खान-ए-दुर्रां, ताजमहल, बाग खान-ए-आलम, आगरा किला, दाराशिकोह की हवेली, जसवंत सिंह की छतरी ही बचे हैं। हवेली आगा खान के नाम पर केवल टीले हैं, वहीं दाराशिकोह की लाइब्रेरी एएसआइ द्वारा संरक्षित नहीं है।

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प्रो-पुअर टूरिज्म डवलपमेंट प्रोजेक्ट में होना है काम
विश्व बैंक सहायतित प्रो-पुअर टूरिज्म डवलपमेंट प्रोजेक्ट में रिवरफ्रंट डवलपमेंट का काम होना है। इसके लिए उप्र पर्यटन विभाग द्वारा मुख्यालय के साथ ही स्थानीय स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं।

कॉरिडोर से बदलेगी दशा
एएसआइ द्वारा ताज व आगरा किला के बीच स्थित 20 हेक्टेअर जमीन में ताज हेरिटेज कॉरिडोर पर हरियाली विकसित की जा रही है। यहां काम पूरा होने के बाद यमुना किनारा बदला-बदला नजर आएगा। वहीं, राजकीय उद्यान विभाग भी 20 एकड़ जमीन में हरियाली विकसित कर रहा है।

यमुना किनारे पर बने थे यह उद्यान
बायां किनारा
बाग-ए-शाह नवाज खान, बुलंदबाग, बाग-ए-नूर अफशां (रामबाग), बाग-ए-जहांआरा, अनाम उद्यान, चीनी का रोजा, बाग-ए-ख्वाजा, बाग-ए-सुल्तान परवेज, एत्माद्दौला, बाग-ए-मुसावी खान सदर, बाग पादशाही, मोती बाग पादशाही, बाग पादशाही, लाल बाग पादशाही, द्वितीय चार बाग पादशाही, चारबाग पादशाही (चौबुर्जी), बाग-ए-मेहताब पादशाही (मेहताब बाग)।

दायां किनारा
हवेली खान-ए-दुर्रां, हवेली आगा खान, ताजमहल, बाग खान-ए-आलम, हवेली असालत खान, हवेली महाबत खान, हवेली होशदार खान, हवेली आजम खान, हवेली मुगल खान, हवेली इस्लाम खान, आगरा किला, हवेली दाराशिकोह, हवेली खान-ए-जहां लोदी, हवेली हाफिज खिदमतगार, हवेली आसफ खान, हवेली आलमगीर, हवेली आलमगीर, मस्जिद मुबारक मंजिल, हवेली शाइस्ता खान, हवेली जफर खान, शाइस्ता खां का मकबरा, हवेली वजीर खान, हवेली मुकीम खान, हवेली खलील खान, बाग-ए-राय शिवदास, बाग-ए-हाकिम काजिम अली, जफर खां का मकबरा, जसवंत सिंह की छतरी।

क्‍या कहते हैं इतिहासकार
मुगल काल में यमुना के किनारे पर मुगल शासकों और उनके मनसबदारों के उद्यान व हवेलियां बनी हुई थीं। आज उनमें से कुछ ही बच सके हैं'।
-राजकिशोर राजे, इतिहासविद

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