Move to Jagran APP

Historical Things: टोडरमल की बारादरी में मिले प्राचीन बर्तन, पुरानी सभ्‍यता को दर्शाते हैं ये

फतेहपुरसीकरी में उत्खनन के दौरान मिला है प्राचीन टैंक व फव्वारा। यहां खोदाई में मिट्टी के पुराने बर्तनों खिलौनों चिलम अादि के अवशेष मिले हैं। टैंक को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने सभी दिशाओं से साफ कर लिया है। एएसआइ अब टैंक सूखने के बाद करेगा काम।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Thu, 21 Jan 2021 01:09 PM (IST)Updated: Thu, 21 Jan 2021 01:09 PM (IST)
Historical Things: टोडरमल की बारादरी में मिले प्राचीन बर्तन, पुरानी सभ्‍यता को दर्शाते हैं ये
फतेहपुरसीकरी में राजा टोडरमल का टैंक। इसकी सफाई चल रही है।

आगरा, जागरण संवाददाता। फतेहपुर सीकरी स्थित टोडरमल की बारादरी में उत्खनन में मिले प्राचीन टैंक में जमा गर्द की परतें हटने के बादे जमीन में दबा इतिहास का खजाना सामने आया है। यहां खोदाई में मिट्टी के पुराने बर्तनों, खिलौनों, चिलम अादि के अवशेष मिले हैं। टैंक को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने सभी दिशाओं से साफ कर लिया है। अब टैंक सूखने के बाद बाहर की तरफ उत्खनन किया जाएगा।

loksabha election banner

एएसआइ द्वारा टोडरमल की बारादरी का संरक्षण कार्य इन दिनों किया जा रहा है। यहां उत्खनन करने पर वर्गाकार डिजाइनदार चूने का बना हुआ टैंक और उसमें लगा फव्वारा मिला है। प्रत्येक दिशा में टैंक की लंबाई 8.7 मीटर और गहराई 1.1 मीटर है। बुधवार को टैंक में अंदर की तरफ से चारों दिशाओं में मलबा हटाने का काम पूरा हो गया। अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार ने टीम के साथ टैंक का निरीक्षण किया। टैंक की सफाई में यहां दबे मिट्टी के बने पुराने बर्तनों हांडी, ढक्कन, चिलम और खिलौनाें के अवशेष मिले हैं। इन्हें एएसआइ की टीम फतेहपुर सीकरी से माल रोड स्थित सर्किल आफिस ले आई है। यहां उनका कालक्रम पता लगाने को अध्ययन किया जाएगा। उधर, टैंक में पानी पहुंचाने को आउटलेट नाली भी मिली है। टीम यहां यह अध्ययन करेगी कि टैंक में लगा फव्वारे तक पानी कैसे पहुंचता था और फव्वारा कैसे चलता था? मुगल काल में चारबाग पद्धति पर बनाए गए उद्यानों में फव्वारे दबाव पद्धति पर चलते थे। इसमें अधिक ऊंचाई पर बनी टंकी से पानी को नीचे छोड़ा जाता था और फव्वारे बिना किसी मोटर के चलने लगते थे। ताजमहल के फव्वारे आज भी इसी पद्धति पर संचालित होते हैैं।

अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार ने बताया कि टैंक में अभी काफी गीलापन है। कुछ दिन इसके सूखने का इंतजार किया जाएगा। उसके बाद टैंक की बाहरी तरफ से उत्खनन किया जाएगा। बाहर की तरफ उत्खनन करने के बाद ही टैंक की जल प्रणाली के बारे में जानकारी मिल सकेगी।

बारादरी तक पहुंचने को नहीं है रास्ता

टोडरमल की बारादरी तक पहुंचने को उचित संपर्क मार्ग नहीं है, जिसके चलते पर्यटक यहां नहीं पहुंच सकते। प्रशासन को पर्यटकों की सुगम पहुंच के लिए यहां रास्ता बनाना होगा, तभी वो बारादरी को देख सकेंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.