जागरण लाइव: यहां तो कागजों में ओडीएफ और खेतों पर होती लोटा पार्टी
ज्यादातर शौचालय दूसरी किस्त न मिलने पर अधूरे। कहीं उपले रखे, कहीं कबाड़ हुए शौचालय।
केस - एक: फतेहपुर सीकरी ब्लॉक के गांव दूरा निवासी सुरेश की पत्नी मंजू ने डेढ़ साल पहले शौचालय बनवाने के लिए फॉर्म भरकर ग्र्राम पंचायत अधिकारी को दिया था। लेकिन अब तक खाते में एक भी रुपया नहीं आया। शौचालय के लिए गड्ढा और टैंक बनवाने में मंजू ने अपने पास से रुपया खर्च किया।
केस-दो: डडूकरा गांव में रह रहे बुजुर्ग दंपती मानिक चंद्र ने कई बार शौचालय के लिए फॉर्म भरा लेकिन आज तक उन्हें स्वीकृति नहीं मिल सकी। दंपती को शौच के लिए खेतों का सहारा लेना पड़ता है।
आगरा, विनीत मिश्र। ये दो उदाहरण तो महज बानगी हैं, उस स्याह हकीकत की, जो अफसरों ने कागजों में गढ़ी है। ताजनगरी को कागजों में ओडीएफ घोषित करने वाले अफसरों के लिए ये उदाहरण आईना हैं। जो तस्वीर दस्तावेजों में बनाई गई, उसकी हकीकत कुछ और ही है। गांवों में कहीं शौचालय अधूरे हैं, तो कोई एक अदद शौचालय के लिए भटक रहा है। 'जागरण' ने सरकार के ताजनगरी को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) करने के दावे की पड़ताल की, तो सच सामने आ गया।
शौचालय बनाने के लिए ग्र्रामीणों को पंचायत राज विभाग से छह-छह हजार के रूप में दो किस्तों में 12 हजार रुपये मिलते हैं। बीते वर्ष 2 अक्टूबर को ही जिले को पूरी तरह ओडीएफ घोषित करना था, लेकिन अफसर इसमें फेल हो गए। हाल ये हुआ कि प्रशासन ने सरकार से ओडीएफ घोषित करने को समय मांगा। आनन-फानन मेें कार्रवाई हुई और फिर बीते वर्ष ही 5 नवंबर को जिले को पूरी तरह ओडीएफ घोषित कर दिया गया। विभाग ने ग्र्रामीण इलाकों में तीन लाख से अधिक शौचालय बनवाने का दावा किया है। लेकिन हकीकत ये है कि करीब एक लाख शौचालयों के लिए दूसरी किस्त ही नहीं गई। ऐसे में ये शौचालय अधूरे हैं, या फिर बने ही नहीं। किसी शौचालय में उपले रखे हैं, तो कहीं कबाड़। हाल ये है कि खेतों पर सुबह लोटा पार्टी ओडीएफ की हकीकत बयां कर रही है।
खुले में शौच, फसल बर्बादी का आरोप
फतेहपुर सीकरी: गांवों में सुबह आज भी लोटा पार्टी खेतों की ओर जाती दिख जाती है। खेत मालिक शौच से खेत की फसल को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाते हैं। गांव दैवरेठा निवासी ठाकुर राजेंद्र सिंह का आरोप है कि खेतों में शौच जाने वाले महिला पुरुषों से फसल खराब हो रही है। गांव में अधिकांश शौचालय अधूरे पड़े हैं।
शौचालय बनवा लिया किस्त का इंतजार
रुनकता: अछनेरा क्षेत्र के गांव मुरैंडा के ग्राम प्रधान यदुवीर सिंह बताते हैं कि गांव में 450 शौचालय मंजूर हुए थे। इनमें करीब सौ लाभार्थियों की दूसरी किस्त तथा 60 लाभार्थियों की एक भी किस्त नहीं आई है। कुछ ग्र्रामीणों ने अपने पास से रुपये खर्च कर शौचालय का निर्माण करा लिया है और अब किस्त आने का इंतजार कर रहे हैं।
किस्त मिली, नहीं बनाया शौचालय
फतेहाबाद: फतेहाबाद ब्लॉक क्षेत्र में बड़ी संख्या में ग्र्रामीणों को शौचालय बनवाने को दूसरी किस्त ही नहीं प्राप्त हुई है। गांव पलिया कृपाल में ज्यादातर लोगों को किस्त नहीं मिली है। कई को पहली किस्त मिल गई है लेकिन उन्होंने शौचालय निर्माण ही नहीं कराया है। गढ़ निवासी मुकेश कुमार को काफी समय पहले ही पहली किस्त मिल गई थी। लेकिन आज तक केवल गड्ढा ही खोदा गया है।
800 को मिला पैसा, शौचालय अधूरा
एत्मादपुर: ब्लॉक में 47 ग्र्राम पंचायतों में से 22 ओडीएफ हो गई हैं। अन्य में काम चल रहा है। 1753 लाभार्थियों में महज 750 को दूसरी किस्त मिल सकी है। करीब 800 लाभार्थी ऐसे हैं, जिन्हें काफी पहले पहली किस्त मिल गई, लेकिन उन्होंने अभी तक शौचालय का निर्माण भी शुरू नहीं किया।
1250 में 45 को पहली किस्त
बरहन: खंदौली ब्लॉक की ग्र्राम पंचायत खांडा का हाल भी जुदा नहीं है। ग्र्राम प्रधान उमेश यादव ने बताया कि आठ माह पहले 1250 फॉर्म भेजे गए थे, इनमें 45 शौचालयों के लिए ही पहली किस्त मिल सकी है। जबकि दूसरी किस्त किसी को नहीं मिली।
52 में से 13 में ही आई दूसरी किस्त
अछनेरा: अछनेरा ब्लॉक में 52 ग्र्राम पंचायतें हैं। इनमें शौचालय निर्माण के लिए केवल 13 ग्र्राम पंचायतों में ही दूसरी किस्त आई है। दूसरी किस्त न मिलने के कारण ज्यादातर ग्र्रामीणों ने शौचालय का निर्माण अधूरा ही छोड़ दिया है।
मेहनत से शहर को मिला तमगा
आगरा: शौचालय निर्माण में आई तेजी से नगर निगम को पहले ओडीएफ फिर ओडीएफ प्लस और फिर ओडीएफ डबल प्लस का तमगा भी मिल गया।
एक नजर
-695 ग्र्राम पंचायतों के 945 गांवों को ओडीएफ घोषित किया गया।
-3.52 परिवार बेस लाइन सर्वे में हुए शामिल।
-3.14 लाख परिवार शौचालय के लिए वेबसाइट में फीड।
-1 लाख परिवारों को अभी तक नहीं मिली दूसरी किस्त।
-35850 परिवार नए बेसलाइन सर्वे में चिन्हित।
-19194 परिवार का डाटा वेबसाइट में फीड, पहली किस्त जारी होगी।
किस्त देने की प्रक्रिया लगातार जारी
'पहली किस्त जिन्हें दी गई है, उन्हें शौचालय का निर्माण कराना था। लेकिन काफी ऐसे हैं, जिन्होंने शौचालय नहीं बनवाया है। किस्त देने की प्रक्रिया लगातार जारी है'।
गौरव कुमार, जिला समन्वयक, स्वच्छ भारत अभियान।